सामग्री

वह दीन को गाली देता है तो क्या उसके संग रहा जा सकता है ॽ तथा उसके साथ कैसे व्यवहार करेगा ॽ





मेरे संग एक साथी रहता है जो दीन को गाली देता है, और रमज़ान के महीने में मुझे बुरी बात (दुर्वचन) सुनाता है, मैं उसके साथ कैसे व्यवहार करूँ ॽ वह हमेशा मेरे साथ रहता है और बार बार मेरे सामने दुर्वचन करता और गाली बकता है।





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।





अल्लाह सर्वशक्तिमान या धर्म को गाली देना (बुरा भला कहना, अपमान करना) महा पाप है जो धर्म से निष्कासित कर देता है, अल्लाह तआला ने फरमाया :





﴿قُلْ أَبِاللّهِ وَآيَاتِهِ وَرَسُولِهِ كُنتُمْ تَسْتَهْزِؤُونَ لاَ تَعْتَذِرُواْ قَدْ كَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ﴾ [التوبة : 65-66]





“आप कह दीजिए, क्या तुम अल्लाह, उसकी आयतों और उस के रसूल का मज़ाक़ उड़ाते थे ॽ अब बहाने न बनाओ, निःसन्देह तुम ईमान के बाद (फिर) काफिर हो गए।” (सूरतुत्तौबाः 65-66)





आपके ऊपर अनिवार्य यह है कि इस गाली देने वाले को नसीहत करें, उसे समझायें और इस बात से डरायें कि उसके नेक कार्य नष्ट हो गए, और उसने - यदि तौबा नहीं किया - तो अल्लाह तआला से बड़े कुफ्र के साथ मिलेगा।





तथा उसे इस बात से अवगत करा दें कि दुनिया में उसकी सज़ा जिसका वह अधिकृत है वह क़त्ल है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जो व्यक्ति अपने धर्म को बदल दे उसे क़त्ल कर दो।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3017) ने रिवायत किया है।





तथा आप उसे बतायें कि उसके लिए इस्लाम की ओर वापस लौटना अनिवार्य है और यह कि यदि वह इस्लाम में वापस आ जाता है और तौबा (पश्चाताप) कर लेता है तो अल्लह तआला उसकी तौबा को स्वीकार कर लेगा।





यदि वह इस बात को मान लेता है तो उसने अच्छा किया, और यदि उसने इसे नकार दिया तो आपके लिए उसके साथ रहना जाइज़ नहीं है जबकि वह दीन को गाली दे रहा है।





तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से ऐसे लोगों के बीच रहने के बारे में प्रश्न किया गया जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को गाली देते हैं।





तो उन्हों ने उत्तर दिया :





“ऐसे लोगों के बीच रहना जाइज़ नहीं है जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को गाली देते हैं, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :





﴿ وَقَدْ نَزَّلَ عَلَيْكُمْ فِي الْكِتَابِ أَنْ إِذَا سَمِعْتُمْ آَيَاتِ اللَّهِ يُكْفَرُ بِهَا وَيُسْتَهْزَأُ بِهَا فَلا تَقْعُدُوا مَعَهُمْ حَتَّى يَخُوضُوا فِي حَدِيثٍ غَيْرِهِ إِنَّكُمْ إِذًا مِثْلُهُمْ إِنَّ اللَّهَ جَامِعُ الْمُنَافِقِينَ وَالْكَافِرِينَ فِي جَهَنَّمَ جَمِيعًا ﴾ [النساء :140]





“और अल्लाह तआला ने तुम पर अपनी किताब (पवित्र क़ुरआन) में यह हुक्म उतारा है कि जब तुम अल्लाह की आयतों के साथ कुफ्र (इंकार) और मज़ाक होते सुनो तो उनके साथ उस सभा में न बैठो, जब तक कि वे दूसरी बात में न लग जायें, क्योंकि इस स्थिति में तुम उन्हीं के समान होगे, बेशक अल्लाह तआला मुनाफिक़ों (पाखंडियों) और काफिरों (नास्तिकों) को जहन्नम में इकट्ठा करने वाला है।” (सूरतुन निसा : 140)  और अल्लाह तआलम ही तौफीक़ देने वाला है।” अंत हुआ।





“मजमूओ फतावा शैख इब्ने उसैमीन” (2/प्रश्न संख्या : 238).





इस बात को जान लें कि बुरे लोगों की संगत से बुराई ही जन्म लेती है, अतः अपने आपको उस से बचाने के लालायित बनें, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बुराई वाले की उपमा धौंकनी फूँकने वाले व्यक्ति से दी है, वह या तो आपके कपड़े को जला देगा और या तो आप उससे दुर्गंध पायें गे।





अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया कि आप ने फरमाया : “अच्छे साथी और बुरे साथी का उादाहरण कस्तूरी (सुगंध) वाहक और लोहार की भट्टी धौंकने वाले के समान है, कस्तूरी (सुगंध) का वाहक या तो आपको भेंट कर देगा, और या तो आप उस से खरीद लेंगे, और या तो आप उससे अच्छी सुगंध पायेगें, रही बात लोहार की भट्टी धौंकने वाले की, तो या तो वह आपके कपड़े जला देगा, और या तो आपको उससे दुर्गंध मिलेगी। इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5543) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2628) ने रिवायत किया है।





इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने फरमाया :





“इस हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अच्छे साथी का उदाहरण कस्तूरी के वाहक से और बुरे साथी का उदाहरण लोहार की भट्टी धौंकने वाले से दी है, इसके अंदर पुनीत व सदाचारी लोगों, भलाई, मुरूवत, शिष्टाचार, अच्छी नैतिकता, धर्मपरायणता, ज्ञान और सभ्यता वालों के साथ बैठने की प्रतिष्ठा, तथा बुराई वालों, बिदअतों (नवाचार) वालों, लोगों की चुगली (पिशुनता) करने वालों या जिस व्यक्ति की बुराई और निरर्थकता बाहुल्य है और इनके समान अन्य बुरे प्रकार के लोगों साथ बैठने का निषेद्ध है।” अंत





शरह मुस्लिम (16/178).





सरांश : यह कि आप के ऊपर अनिवार्य है कि अपने साथ रहने वाले इस व्यक्ति को नसीहत करें, वह दीन को गाली देने के कारण महा कुफ्र में पड़ गया, और जब उसने आपको गाली दी तो एक महा पाप किया, यदि वह आपकी नसीहत को स्वीकार कर ले और अपने आपको सुधार ले तो आप उसके साथ बाक़ी रहें और उसकी उसके ऊपर सहायता करें, और यदि वह आपकी बात को स्वीकार न करे तो उसके साथ रहने में आपके लिए कोई भलाई नहीं है।





और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।





इस्लाम प्रश्न और उत्तर





वह अपने पति के हुक्म के बारे में पूछती है जो जादूगरों के पास गया था और वह नमाज़ छोड़ने वाला था





मेरी माँ ने नौ साल पहले जबकि मैं पंद्रह साल की थी मुझे मेरे एक रिश्तेदार से शादी करने पर मजबूर कर दिया और मैं उनके डर से विरोध न कर सकी। और उस समय से अल्लाह तआला ने अपनी कृपा से मुझे तीन संतान दिये हैं और हर प्रकार की प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए ही है। किंतु अंतिम दो वर्षों के बीच मेरे और उसके बीच संबंध बहुत बुरे हो गए, तो वह एक जादूगर के पास गया ताकि हमारी समस्याओं के समाधान के लिए जादू का इस्तेमाल करे। इसी तरह वह पाँच समय की नमाज़ें भी नहीं पढ़ता था। जहाँ तक मेरी जानकारी है जादूगर के पास जाना और नमाज़ छोड़ देना आदमी को इस्लाम की सीमा से निष्कासित कर देता है। परंतु उस ने तौबा कर लिया और नमाज़ों की पाबंदी करने लगा, और कहा कि जब वह जादूगर के पास गया था तो उसे शरीअत के हुक्म का ज्ञान नहीं था। क्योंकि वह एक साधारण मनुष्य है उस के पास धर्म का ज्ञान नहीं है जो उसे इस तरह की चीज़ों में पड़ने से रोक सके। अतः मेरे प्रश्न निम्नलिखित हैं : - क्या उसका जादूगर के पास जाना उसे इस्लाम से निष्कासित कर देगा ॽ और क्या उस आदमी का हुक्म जो इस मसअले में शरीअत का हुक्म जानते हुए जादूगर के पास जाता है उसी तरह है जो उसे नहीं जानता है ॽ - क्या उसका पाँच समय की नमाज़ों की अदायगी में कोताही करना उसे इस्लाम से खारिज कर देगा ॽ ज्ञात होना चाहिए कि मैं संकेत कर चुकी हूँ कि उसने तौबा कर लिया है और उनकी पाबंदी करने लगा है। - तीन महीने पहले उसने घर छोड़ दिया और उसी समय से अब तक वापस नहीं हुआ है, और उसने घर छोड़ते समय मेरी माँ से कहा : “उसे सूचना दे दो कि मैं उस से फारिग हो गया और वह मुझसे फारिग होगई।”, तो क्या इसे तलाक़ समझा जायेगा ॽ उसने यह बात क्रोध में कही थी। इस समय वह बाहर रहता है और उसने सारे ऋण मेरे लिए छोड़ दिये जिन्हे मैं ने अकेले उठाया है, किंतु उसने वादा किया है कि वह लौट आयेगा और उनके भुगतान में मेरा सहयोग करेगा . . . अतः मैं उसे लौटने की अनुमति देने से पूर्व उपर्युक्त मसाइल के बारे में शरीअत का हुक्म जानना चाहती हूँ क्योंकि उस पर बहुत सारी चीज़ें निर्भर करती हैं। इसलिए मैं आप से सहायता में शीघ्रता करने का अनुरोध करती हूँ क्योंकि वास्तव में मैं कठिन स्थिति से गुज़र रही हूँ, विशेषकर तीन बच्चों के कारण जो सबके सब आठ वर्ष से छोटे हैं, वे अपने पिता से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वह उनके पास में हो। अल्लाह तआला आप को सर्वश्रेष्ठ बदला दे।





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए है।





सर्व प्रथम :





जादूगरों, काहिनों, ज्योतिषियों के पास जाना बड़े-बड़े गुनाहों में से है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है:





“जो व्यक्ति किसी ज्योतिषी के पास आया और उस से किसी चीज़ के बारे में प्रश्न किया तो उसकी चालीस दिन की नमाज़ क़बूल नहीं होगी।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2230) ने रिवायत किया है।





तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जो आदमी किसी काहिन के पास आया और जो कुछ वह कहता है उसको सच जाना तो उसने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित चीज़ का इनकार किया।” इसे अबू दाऊद (3904) और तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 135) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह कहा है।





और जो व्यक्ति ज्योतिषी या जादूगर के पास गया और इस बात में उसे सच जाना कि वह गैब (परोक्ष) का ज्ञान रखता है, तो वह इस्लाम से बाहर निकल गया।





परंतु यदि वह उसके पास गया है और इल्मे गैब (परोक्ष ज्ञान) के दावा में उसे सच नहीं जाना है, तो उसने एक बड़ा गुनाह किया है किंतु वह इसके कारण इस्लाम से बाहर नहीं निकलेगा।





जहाँ तक उस आदमी का संबंध है जो जादूगर के पास गया है हालांकि वह जानता है कि यह हराम है तो ऐसे व्यक्ति ने एक बहुत घोर पाप किया है और यह उसे इस्लाम से निष्कासित होने की सीमा तक पहुँचा सकता है।





तथा प्रश्न संख्या : (112069), (32863) के उत्तर देखें।





दूसरा :





सुस्ती और आलस्य करते हुए नमाज़ छोड़ने वाले के कुफ्र के हुक्म के बारे में विद्वानों के बीच बड़ा मतभेद है, और वह एक मोतबर मतभेद है, और प्रत्येक कथन की अपनी कुछ दलीलें हैं जिन पर उनका आधार है, और जिस मत पर इस साइट में फत्वा दिया गया है वह: नमाज़ छोड़ने वाले के कुफ्र के कथन को उचित ठहराना है, और यही बहुत से विद्वानों का कथन है।





इसका वर्णन प्रश्न संख्या : (10094) , (5208) के उत्तर में गुज़र चुका है।





अल्लाह तआला की प्रशंसा और गुणगान है कि उसने आपके पति पर उपकार किया और उसे नमाज़ की अदायगी और उसकी पाबंदी करने का मार्गदर्शन किया।





तीसरा :





आदमी का अपनी पत्नी से यह कहना कि “मैं उस से फारिग हो गया और वह मुझसे फारिग हो गयी” उन शब्दों में से है जो तलाक़ के लिए और उसके अन्य के लिए संभावित हैं, इसीलिए इन में तलाक़ के पड़ने का हुक्म नहीं लगाया जाता है सिवाय इस स्थिति के कि पति इसके द्वारा तलाक़ की नीयत रखता हो और उसका उद्देश्य तलाक देना हो,  यदि वह तलाक़ की नीयत और उसका उद्देश्य नहीं रखता है, तो कोई चीज़ घटित नहीं होगी।





तथा प्रश्न संख्या : (98670), (85575) और (127280) के उत्तर देखें।





और चूँकि आप का पति अपनी समझबूझ की ओर लौट आया, नमाज़ की पाबंदी शुरू कर दी और जादूगर के पास जाने से तौबा (पश्चाताप) कर लिया जबकि वह उस समय शरई हुक्म से अनभिज्ञ था, तो उचित यह है कि आप उस के साथ एक नये पृष्ठ का आरंभ करें, और हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि आप लोगों के ऊपर अपनी दया व कृपा की वर्षा करे, तुम्हारे दिलों को जोड़ दे और तुम्हारे बीच भलाई के साथ मिलन (मेल-मिलाप) पैदा करे।





और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।





 



हाल के पोस्ट

जैविक विकास - एक इस्ल ...

जैविक विकास - एक इस्लामी परिप्रेक्ष्य

सृजनवाद, विकासवाद, बु ...

सृजनवाद, विकासवाद, बुद्धिमान डिज़ाइन या इस्लाम?

एक मुस्लिम उपदेशक का ...

एक मुस्लिम उपदेशक का एक ईसाई व्यक्ति के लिए एक संदेश

शवल के छह दिन के उपवा ...

शवल के छह दिन के उपवास का पुण्य