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शीर्षक:


अल्लाह के पालनहार होने में विश्िास





प्रशंसाओं के पश्चात:


सिषश्रेष्ठ बात अल्लाह की बात हैएिं सिषश्रेष्ठ मार्ष मोहम्मद


सल्लल्लाह





अलैहह िसल्लम का मार्ष है एिं सबसे दष्





ट चीज़


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धमष में अविष्कार ककए र्ए निोन्मेर् हैंप्रत्येक अविष्कार की


र्ई चीज़ निाचार है, हर निाचार र्





मराही है एिं हर र्





मराही


नरक की ओर ले जाने िाली है।


ए म


ुसलमानो! अल्लाह से भयभीत रहो एिं उसका डर अपनी





ुद्धध एिं हृदय में जीवित रखो, उसके आज्ञाकार बने रहो एिं


अिज्ञा सेिंधचत रहो, ज्ञात रखो कक अल्लाह तआ़ला मेंविश्िास


रखने में चार बातें सम्म्मललत हैं, प्रथम: सिोच्च एिं सिषश्रेष्ठ


अल्लाह की उपम्थथतत में विश्िास रखना, द्वितीय: उसके के


पालनहार होने में विश्िास रखना, तीसरा: उसके प





ज्य होने में


विश्िास रखना, चौथा: उसके नामों एिं विशेर्ताओं में विश्िास


रखना।


इस उपदेश मेंहम के िल अल्लाह के पालनहार होने में विश्िास


रखने के संबंध मेंक





छ बातेंकरेंर्े।


अल्लाह के दासो! अल्लाह के पालनहार होने में विश्िास रखने


का अथष यह है कक इस बात में आथथा रखी जाए की अल्लाह


तआ़ला तने तन्हा पालनहार है, इसमें उसका कोई साझी एिं


संर्ी नहीं है, एिं ना कोई उसका सहयोर्ी एिं सहायक, (रब)


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पालनहार होने का अथष: म्जसके हथत में पैदा करने की शम्तत


है, जो प





र्तष


ः महाराज है एिं म्जसका आदेश चलता है, अथाषत


म्जस के आदेश से ब्रहमांड का समाधान होता है, इस कारर्िश


उसके अततररतत कोई पैदा करने िाला नहीं, कोई महाराज नहीं


एिं कोई आदेश देनेिाला नहीं, अल्लाह तआ़ला नेअपनेतनमाषर्


मेंअपने अके ले होने का उल्लेख करते ह





ए फ़रमाया:





अथाषत: सािधान! अल्लाह ही के ललए विशेर् हैपैदा करना एिं


शासक होना।


﴿بديع السماوا واألرض﴾


अथाषत: िह प्रथम थिरूप (इबतेदाअन) आकाश एिं पथ्





िी का


तनमाषर् करने िाला है।





अथाषत: समथत प्रशंसाएं उस अल्लाह हेतुहैंजो प्रथम थिरूप


(इबतेदाअन) आकाश एिं पथ्





िी का तनमाषर् करने िाला है।


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ए विश्िालसयो! अल्लाह नेम्जतनी सम्





ष्ट का तनमाषर् ककया उनमें


सिषश्रेष्ठ ये दस हैं


: आकाश एिं पथ्





िी, सू


यष एिं चंद्रमा, रात्रि एिं


हदन, मन





ष्य एिं पश, ु


िर्ाष एिं िाय





। अल्लाह तआ़ला नेकुरआन


के अधधकतम थथानों पर इनके तनमाषर् का उल्लेख करके अपनी


प्रशंसा की है, विशेर् थिरुप क





छ अध्यायों के प्रारंलभक श्लोकों


में, उदाहरर् थिरूप: सूरतु


ल-् जालसयह मेंअल्लाह का कथन है:





अथाषत: हामीम! यह प


ुथतक अल्लाह प्रम





ख एिं ब


ुद्धधमत्ता िाले


की ओर से अितररत की र्ई है, तन: संदेह आकाशों एिं पथ्





िी


में विश्िालसयों हेतु


अनेक संके त हैंएिं थियं तु


म्हारे जन्म में


एिं पशओ


ु ं के जन्म में म्जन्हेंिह फै लाता हैआथथा रखनेिाले


सम


ुदाय हेतु


बह





त से संके त हैं, एिं रात्रि ि हदिस के पररितषन


मेंऔर जो क





छ रोज़ी-रोटी अल्लाह तआ़ला आकाश सेअितररत


कर के पथ्





िी को उसकी मत्ृ








के पश्चात जीिन प्रदान करता


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है, इसमें एिं िाय





ओं के पररितषन में उन व्यम्ततयों हेतुसंके त


हैंजो ब


ुद्धध रखते हैं।


शासन मेंअल्लाह के अके ले होने का साक्ष्य; अल्लाह का कथन


है:





अथाषत: यह कह दीम्जए कक समथत प्रशंसाऐं अल्लाह ही हेतुहैं,


जो ना ही संतान रखता हैएिं ना ही अपनेशासन मेंकोई संर्ी


ि साझी एिं ना ही िह दब





लष है कक उसे ककसी सहायक की


आिश्यकता हो, और तूउसकी प्रशंसा का उल्लेख करता रह।


इसके अततररतत अल्लाह का कथन है:





अथाषत: अल्लाह ही तु


म सब का पालन-पोर्र् करने िाला है,


उसी का शासन है, उसके अततररतत म्जन्हेंतु


म प





कार रहे हो िह


खजरू


के बीज के तछलके के भी माललक नहीं हैं।


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आदेश (एिं ब्रहमांड के समाधान) मेंअल्लाह के अके ले होनेका


साक्ष्य अल्लाह का यह कथन है:


أَل له اخللق تاضمر


अथाषत: सािधान! अल्लाह ही के ललए विशेर् हैपैदा करना एिं


शासक होना।


इसके अततररतत यह कक:





अथाषत: हम जब ककसी बात की इच्छा करतेहैंतो के िल हमारा


यह कथन पयाषप्त होता है; हो जा! तो िह हो जाती है।


इसके अततररतत यह कक:





अथाषत: संप





र्ष प्रकरर् उसी की ओर पलटने िाले हैं।


ए म


ुसलमानो! आदेश के दो भार् हैं


: पहला धालमषक आदेश


द्वितीय ब्रहमांडीय आदेश, धालमषक आदेश का अथष िह आदेश है


म्जसका संबंध धमष एिं सन्पदेश पह


ुंचाने िालों (न











व्ित) से है,


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इस कारर्िश अल्लाह महान एिं सिोच्च अपने ब


ुद्धधमत्ता के


आिश्यकता अन


ुसार म्जन आज्ञाओं (अहकाम) का आदेश देने


की इच्छा करता है, देता हैएिं म्जन्हें थथधर्त करना चाहता है


कर देता है, िही मन





ष्य हेतुऐसी शरीयतों कोई म्थथत करता है


जो उनके ललए उधचत एिं उनके म्थथततयों को ठीक करने िाली


होती हैं, एिं ऐसी उपासनाओं ि कमों को िैध म्थथत करता है


जो उसकी दृम्ष्ट मेंथिीकायष हों, तयोंकक िह दासों की म्थथततयों


से भलीभांतत अिर्त है एिं उसके हहत का भी ज्ञानी है और


िह उन पर क





पाल





भी है।आदेश का दसू रा भार् ब्रहमांडीय आदेश


है, इसका संबंध ब्रहमांडीय घटनाओं के समाधान से है, अल्लाह


तआ़ला ही बादलों के उड़ने, िर्ाष के अितररत होने, मत्ृ








एिं


जीिन, रोज़ी-रोटी एिं तनमाषर्, भ





कंप, बलाओं के टालने ब्रहमांड


के नष्ट होनेथिरूप समथत घटनाओं का आदेश देता हैजो इस


ब्रहमांड मेंघहटत होते हैं, जब अल्लाह तआ़ला इन घटनाओं में


से ककसी का आदेश देता हैतो िह अिश्य घहटत होकर रहती


हैन उसे कोई पराम्जत कर सकता हैऔर ना ही टाल सकता


है, अल्लाह का कथन है:


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अथाषत: हम जब ककसी बात की इच्छा करतेहैंतो के िल हमारा


यह कथन होता है; हो जा! तो िह हो जाती है।





अथाषत: हमारा आदेश के िल एक बार (एक िातय) ही होता है


जैसे नेि का झपकना।


अथाषत: जब हम ककसी घटना को घहटत करना चाहते हैंतो


के िल हमारा एक बार कह देना ही पयाषप्त होता है कक (होजा)


तो िह पलक झपकतेही प्रदलशषत हो जाती है, एक क्षर् के ललए


भी उसके घहटत होने में विलंब नहीं होता।


सारांश यह कक अल्लाह के आदेश के दो पाठ हैं


: ब्राहमांडीय


आदेश एिं धालमषक आदेश, म्जसके आधार पर प्रलय के हदन


लाभ एिं यातना का तनर्षय होर्ा।


अल्लाह तआ़ला हमें एिं आपको सिषश्रेष्ठ कुरआन के लाभों


से लाभाथी करे, म


ुझे एिं आपको कुरआन के श्लोकों एिं





ुद्धधमत्ता पर आधाररत सलाहों से लाभाथी करे, मैंअपनी यह


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बात कहते हए अपनेललए एिं आप संप





र्ष के ललए अल्लाह से


क्षमा मांर्ता ह


ूं, आप भी उस से क्षमा प्राथी हों। तनः संदेह िह


अधधक क्षमा थिीकार करने िाला एिं अधधकतम दया करने


िाला है।


द्वितीय उपदेश:





प्रशंसा ओं के पश्चात!


अल्लाह के दासो! आप अल्लाह से डरें एिं ज्ञात रखें इस बात


सेकोई भी अिर्त नहीं कक ककसी सम्





ष्ट नेअल्लाह के पालनहार


होने को नकारा हो उन लोर्ों के अततररतत जो अलभमान एिं


अहंकार में ड





बा ह





आ हो, एिं अपनी बात को भी सत्य नहीं


मानता हो जैसा कक कफ़रऔ़न ने ककया जब कक उसने अपने


सम


ुदाय के लोर्ों से कहा:





अथाषत: तु


म समथत का पालनहार मैंही ह


ूं।


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अथाषत: ए दरबाररयो! मैंतो थियं के अततररतत ककसी को तु


म्हारा








ज्य जानता ही नहीं।


परंतुउसने अपनी आथथा के आधार पर ऐसा नहीं कहा बम्ल्क


अलभमान ि अहंकार एिं अत्याचार के आधार पर कहा:


َ ﴿


अथाषत: उन्होंंंने नकार हदया, हालांकक उनके हृदय विश्िास कर








के थे, के िल अत्याचार एिं अहंकार के आधार पर।


-अल्लाह आप पर दया करे- आप यह भी ज्ञात रखें कक नबी


सल्लल्लाह





अलैहह िसल्लम के य





र् में बह





देििादी भी अल्लाह


के पालनहार होनेको थिीकार करतेथे, उन्हेंइस बात मेंआथथा


थी कक अल्लाह ही पैदा करने िाला, रोज़ी-रोटी देने िाला एिं


ब्रहमांड का समाधान करने िाला हैपरंतुकफर भी िह प





जा में








ततयष ों एिं असत्य प





ज्यों को अल्लाह का साझी (शरीक) म्थथत


करते थे, उनके ललए विलभन्न प्रकार की प





जा करते थे, उदाहरर्


थिरूप: प्राथषना करना, बललदान देना, मनोकामना करना एिं


चढािा चढाना (नज़्र ि तनयाज़ मानना) एिं शीश झु


काना आहद,


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इस कारर्िश िेकाकफ़र घोवर्त ह





ए। अल्लाह के पालनहार होने


मेंआथथा रखने का उन्हें कोई लाभ नहीं लमला, तयोंकक उन्होंने


अल्लाह के पालनहार होनेमेंआथथा रखने(तौहीद-ए-रुब





बीय्यत)


की जो आिश्यकताएं हैंउनको विश्िसनीय नहीं समझा जोकक


अल्लाह के अके ले प





ज्य होने में आथथा रखना (तौहीद-एउल


ूहीय्यत) है, यह बात प्रलसद्ध है कक के िल अल्लाह के


पालनहार होने को थिीकार करना इथलाम में प्रिेश करने हेतु


पयाषप्त नहीं हैजब तक की इसके साथ प





जा-पाठ मेंभी अल्लाह


के अके ले होने में भी आथथा ना रखा जाए, अल्लाह तआ़ला ने


कुरआन में थपष्ट रूप से उल्लेख ककया हैबह





देििादी इस बात


को थिीकार करते थे अल्लाह ही समथत सम्





ष्ट को पैदा करने


िाला एिं पालनहार है:





अथाषत: प्रश्न तो कीम्जए कक पथ्





िी एिं उसकी समथत िथतु


एं


ककसकी हैं? बतलाओ यहद अिर्त हो? तुरंत उत्तर देंर्ेकक अल्लाह


की, कह दीम्जए कक तु


म सलाह तयों नहीं प्राप्त करते, प्रश्न


कीम्जए कक सातों आकाशों का एिं महान लसंहासन का पालनहार


कौन है? िे उत्तर देंर्े कक अल्लाह ही है, कफर कहहए कक तु





भयभीत तयों नहीं होते, प्रश्न कीम्जए कक समथत चीज़ों का


तनयंिर् ककसके हथत मेंहै? जो शरर् देता हैएिं म्जसकी तु


लना


में कोई शरर् नहीं दी जाती, यहद तु


म ज्ञानी हो तो बतलाओ?


यही उत्तर देंर्ेकक अल्लाह ही है, कफर कह दीम्जए कक तु


म ककधर


से जादूकर हदए जाते हो?


(इन श्लोकों के उल्लेख मेंइब्ने कसीर रहहमह





ल्लाह ने जो बातें


कही हैं उनका अध्ययन कीम्जए, इसी प्रकार शनकीती





1


(इन श्लोकों के उल्लेख में इब्ने कसीर रहहमहुल्लाह ने जो बातें कही हैंउनका अध्ययन कीम्जए, इसी प्रकार


शनकीती रहहमहुल्लाह नेसूरह-ए-यूनुस: ३१, सूरह-ए-यूसुफ़: १०६ एिं सूरह-ए-इसरा: ९ के उल्लेख मेंजो बातेंललखी


हैंउनका भी अध्ययन करना लाभदायक होर्ा।)


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रहहमह





ल्लाह नेसूरह-ए-य








ुस: ३१, सूरह-ए-य


ूसुफ़: १०६ एिं सूरहए-इसरा: ९ के उल्लेख मेंजो बातें ललखी हैंउनका भी अध्ययन


करना लाभदायक होर्ा।)


⚫आप यह भी ज्ञात रखें -अल्लाह आप के संर् दया प





िकष


व्यिहार करे- कक अल्लाह ने आपको बह





त ही महत्िप





र्ष कायष


का आदेश हदया है, अल्लाह का कथन है:





अथाषत: अल्लाह एिं उसके देिदतू उस नबी पर दरूुद भेजते हैं,


ए विश्िालसयो! तु


म (भी) उस नबी पर दरु


ुद भेजो एिं खू





सलाम (भी) भेजते रहा करो।


⚫हेअल्लाह! तू


अपनेदास एिं दतू





ुहम्मद पर दया एिं सुरक्षा


अितररत कर, उनके पश्चात आने िाले शासकों (खु


लफ़ा) एिं


उनके महान आज्ञाकाररयों और प्रलय के हदन तक शद्ु


धता के


साथ उनकी आज्ञा करने िालों से प्रसन्न हो जा।


⚫हे अल्लाह! इथलाम एिं म


ुसलमानों को श्रेष्ठता एिं सिोच्चता


प्रदान कर, बह





देििाद एिं बह





देििाहदयों को अपमातनत कर दे,


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अपने धमष की रक्षा कर, तू


अपने एिं इथलाम के शिओ


ु ं को


नष्ट कर दे, अद्िैतिाहदयों को सहायता प्रदान कर।


⚫हे अल्लाह! हमें अपने देशों में अम्न एिं शांतत िाला जीिन


प्रदान कर, हे अल्लाह! हमारे इमामों एिं शासकों को ठीक कर


दे, उन्हें हदशा-तनदेश देनेिाला एिं उस पर चलनेिाला बना दे।


⚫हे अल्लाह! म





म्थलम शासकों को अपनी प


ुथतक लार्


ूकरनेकी


शम्तत प्रदान कर, अपनेधमष को सिोच्च करनेकी शम्तत दे एिं


उन्हें अपने प्रजाओं हेतुदया एिं क





पा का कारर् बना दे।


⚫हे अल्लाह! हम तुझसे संसार एिं प्रलय की संप





र्ष भलाईयों


हेतु


प्राथषना करते हैंम्जनसे हम अिर्त हैंअथिा अज्ञानी हैं,


एिं तेरा शरर् चाहते हैंसंसार एिं प्रलय के हदन के संप





र्ष





ुराइयों से, म्जनसे हम अिर्त हैंअथिा अज्ञानी हैं।


⚫हे अल्लाह! हम तेरा शरर् चाहते हैंतेरी नेमत के तछन जाने


से, तेरे (प्रदान ककए र्ए) थिाथथ्य के हट जाने से, तेरी अचानक


आने िाली यातना से एिं तेरे प्रत्येक प्रकार के क्रोध से।


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⚫हे अल्लाह! हमेंक्षमा प्रदान कर, एिं हमारे उन भाइयों को भी


जो हम से प





िष ईमान थिीकार कर च





के हैं, एिं विश्िालसयों की


ओर से हमारे हृदय में द्िेर् (एिं शितु


ा) मत डाल, हे हमारे


पालनहार तन: संदेह तूबड़ा ही दयाल





एिं क





पाल


ुहै।


⚫हे हमारे पालनहार हमेंसांसाररक जीिन मेंप





ण्य दे एिं प्रलय


मेंभलाई प्रदान कर और नरक की यातना सेहमेंसुरक्षक्षत रख।





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ताररक बदर


binhifzurrahman@gmail.com



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