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शीर्षक:


भाग्य में विश्िास रखने का अर्ष





प्रशंसाओं के पश्चात!


ऐ म


ुसलमानो! अल्लाह सेडरो एिं उसका सम्मान करो, उसके आज्ञाकार


बनो एिं आिज्ञा से िंचचत रहो, आज्ञाकारी के कमों को करने में एिं


अिज्ञा से िंचचत रहने में धीरज को अपनाओ, ज्ञात रखो के भाग्य में


विश्िास रखना विश्िास (ईमान) का एक ऐसा स्तंभ है जजसका पालन


ककए बबना ईमान सहीह नहीं हो सकता, भाग्य का अर्ष यह है कक


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अल्लाह नेअपनेप





िष ज्ञानों एिं ब


ुद्चधमत्ता के आिश्यकताओं के अन


ुसार


ब्रहमांड के भाग्य को ननधाषररत ककया है।


१. ऐ अल्लाह के दासो! भाग्य पर विश्िास रखने में चार बातें में


सजम्मललत हैं


: ज्ञान, लेख (ककताबत), इच्छा (मशीयत) एिं ननमाषण


(तख़लीक़) पर विश्िास रखना, ज्ञान पर विश्िास रखने का अर्ष यह है


कक इस बात पर विश्िास रखा जाए कक अल्लाह तआ़ला प्रारंलभक काल


से अंत काल तक के प्रत्येक िस्तु


के संबंध में सारांश एिं विस्तार


स्िरूप भली-भांनत अिगत है, चाहे उसका संबंध कियाओं से हो जैसे:


जीिन एिं मत्ृ





ुदेना, िर्ाष करना अर्िा उसका संबंध दासों की कमों से


हो, जैसे: उनकी िाताष एिं उनके कायष, इन संप





णष कायों सेअल्लाह भली-


भांनत अिगत है, इसका साक्ष्य अल्लाह का कर्न है:


﴿وكان هللا بكل شيء عليما﴾


अर्ाषत: अल्लाह प्रत्येक िस्तु


का (भली-भांनत) ज्ञान रखने िाला है।


इसके अनतररक्त अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत: अल्लाह के पास ही अदृश्य की कंु


जजयां हैं, (धनागार) अल्लाह


के अनतररक्त उनसे कोई अिगत नहीं, एिं िह संप





णष िस्तु


ओं का ज्ञानी


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है, जो क





छ धरती पर हैएिं दररयाओं में है, जो भी पत्ता चगरता हैिह


उसे जानता है, एिं जो भी बीज धरती के अंधेरे भागों में हैएिं जो भी


सु


खा एिं गीला िस्तु चगरता है यह संप





णष चीजें ख





ली ह


ुई प


ुस्तक


(ककताब-ए-म





बीन) में हैं।


२. ऐ विश्िालसयो! भाग्य में विश्िास रखने का दसू रा स्तंभ प


ुस्तक पर


ईमान लाना है, अर्ाषत: इस बात में विश्िास रखना कक प्रलय तक जो








छ भी प्रकट होगा; अल्लाह ने लोह-ए-महफ


ूज मेंउन संप





णष चीजों को


ललख ददया है, यह अल्लाह ने आकाश एिं पथ्





िी के ननमाषण से पचास


हजार िर्ष प





िष ललख ददया, भाग्य के ललखने का साक्ष्य अल्लाह का यह


कर्न है:





अर्ाषत: आप कह दीजजए कक हमें अल्लाह के अनतररक्त हमारे दहत में


ललखे ह





ए कक कोई भी चीज नहीं पह


ुंच सकती।


एिं यह कर्न भी इसका साक्ष्य है:





अर्ाषत: ना कोई कदिनाई संसार मेंप्रकट होती हैना (विशेर्कर) तु


म्हारे


प्राणों में, मगर इससेप





िष कक हम उस का आविष्कार करें, िह एक विशेर्





ुस्तक में ललखखत है।


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अर्ाषत: इससे प





िष कक हम सज





ष्ट का ननमाषण करते।


अब्दल्





लाह बबन अम्र बबन अल-्आ़स रजज अल्लाह





अन्ह





से मरिी हैकक


मनैंे रसू


ल सल्लल्लाह





अलैदह िसल्लम को कहते ह





ए सु


ना: "अल्लाह


तआ़ला ने ही आकाश एिं पथ्





िी के ननमाषण से पचास हजार िर्ष प





िष


सज





ष्ट के भाग्य को ललख ददया"।


(म





जस्लम: २६५३)


एिं उ़बादह बबन सालमत रजज अल्लाह





अन्ह





रसू


ल सल्लल्लाह





अलैदह


िसल्लम से ररिायत करते हैंकक आप ने फ़रमाया: "सिषप्रर्म िस्तु


जजसका अल्लाह नेअविष्कार ककया िह क़लम र्ी, कफर उसेआदेश ददया


कक ललखो, उसने कहा: ए मेरे पालनहार! मैंक्या ललख


ूं? तो अल्लाह ने


उत्तर ददया: प्रलय के ददन के आगमन तक प्रत्येक िस्तु


के भाग्य ललख,


कफर उ़बादह नेअपनेप





त्र सेकहा: ए मेरेवप्रय प





त्र! नन: संदेह मनैंे रसू





सल्लल्लाह





अलैदह िसल्लम को कहते ह





ए सु


ना है, आप कहा करते र्े:


"जजस व्यजक्त की इसके अनतररक्त (ककसी अन्य आस्र्ा) पर मत्ृ





ुह


ुई,


िह म


ुझ मेंसे नहीं"।


(इसेअब


ूदाऊद: ४७००, एिं नतमीजी: ३३१९ नेररिायत ककया है, उल्लेख


ककए गए शब्द अब


ूदाऊद के हैंएिं अल्लामा अल-्बानी ने इसे सहीह


कहा है।)


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३. ऐ म


ुसलमानो! भाग्य में विश्िास रखनेका तीसरा स्तंभ अल्लाह की


इच्छा (मशीय्यत) पर ईमान लाना है, इसका अर्ष यह है कक इस बात


में विश्िास रखना की ब्रहमांड मेंजो क





छ प्रकट हो रहा हैिह अल्लाह


की इच्छा सेहो रहा है, अर्ाषत: ब्रहमांडीय अन





मनत से, चाहे उसका संबंध


अल्लाह की कियाओं से हो जैसे: जीिन एिं मत्ृ





ु प्रदान करना एिं


ब्राहमांड के कायों का समाधान करना अर्िा उसका संबंध सज





ष्ट की


किया से हो जेसे: आना और जाना, क





छ करना एिं क





छ त्याग देना,


आज्ञा एिं अिज्ञा एिं इनके अनतररक्त िो संप





णष कायष जजनकी गणना


करना संभि नहीं, अल्लाह का अपने कियाओं के संबंध मेंकर्न है:





अर्ाषत: और आपका पालनहार जो चाहता करता हैप्रकट करता हैएिं


जजसे चाहता हैचयन कर लेता है।


इसके अनतररक्त अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत: और अल्लाह जो चाहे कर डाले।


एिं अल्लाह ने सज





ष्ट की कियाओं के संबंध मेंफ़रमाया:





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अर्ाषत: यदद अल्लाह चाहता तो उन्हें तु


म्हारे विरुद्ध प्रभ


ुत्ि प्रदान कर


देता एिं िह तु


म से नन: संदेह य


ुद्ध करते।


इस कारणिश य


ुद्ध लड़ना जो कक दासों के कायों में से है िह भी


अल्लाह की इच्छा के बबना प्रकट नहीं हो सकता, अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत: यदद अल्लाह चाहता तो येऐसेकायषना कर सकते, इस कारणिश


आप उन्हें एिं जो क





छ ये मानहानन कर रहे हैंउन्हें रहने दीजजए।


इसके अनतररक्त अल्लाह का कर्न है:


﴿ولو شاء هللا ما أشركوا﴾


अर्ाषत: यदद अल्लाह को स्िीक


ृत होता तो यह बह





देििाद नहीं बनते।


ज्ञात ह





आ के इस ब्रहमांड मेंकोई भी कायष अल्लाह की इच्छा के बबना


प्रकट नहीं होता, चाहे उसका संबंध अल्लाह के कायों से हो अर्िा दासों


के कायों से, क्योंकक यह ब्रहमांड अल्लाह की शासन है, इस कारणिश


इस शासन मेंिही होगा जो िह चाहेगा एिं जजसकी िह अन





मनत देगा,


यदद कोई कायष उसकी अन





मनत के बबना प्रकट होता तो उसका शासन


अध


ूरा रहता,अल्लाह इससे सिोच्च एिं सिषश्रेष्ि है।


४. ऐ म


ुसलमानो! भाग्य में विश्िास रखने का चौर्ा स्तंभ यह हैकक


ननमाषण पर ईमान लाया जाए, अर्ाषत: इस बात में विश्िास रखा जाए


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ूरे ब्रहमांड को उसके संप





णतष


: जानतयों, विशेर्ताओं एिं कियाओं के सार्


अन





पजस्र्त से उपजस्र्त ककया, अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत: अल्लाह ही प्रत्येक चीजों का बनाने िाला है।


अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत: उसने प्रत्येक चीजों को पैदा करके एक उपय





क्त अन





मान/भाग्य


जस्र्त ककया है।


अल्लाह का कर्न है:


﴿إنا كل شيء خلقناه بقدر﴾ .


अल्लाह के दासो! ये चार बातें हैंजो भाग्य में विश्िास रखने के स्तंभ


है, जजसने इन्हें समझ कर इनका अन


ुसरण ककया उसने भाग्य पर


विश्िास रखा।


अल्लाह तआ़ला हमेंएिं आपको सिषश्रेष्ि क़ुरआन के लाभों सेलाभार्ी


करे, म


ुझेएिं आपको क़ुरआन के श्लोकों एिं ब


ुद्चधमत्ता पर आधाररत


सलाहों से लाभार्ी करे, मैंअपनी यह बात कहते हए अपने ललए एिं


आप संप





णष के ललए अल्लाह सेक्षमा मांगता ह


ूं, आप भी उस से क्षमा


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प्रार्ी हों। ननिः संदेह िह अचधक क्षमा स्िीकार करने िाला एिं अचधकतम


दया करने िाला है।


अल्लाह के दासो! ये चार बातें हैंजो भाग्य में विश्िास रखने के स्तंभ


है, जजसने इन्हें समझ कर इनका अन


ुसरण ककया उसने भाग्य पर


विश्िास रखा।


अल्लाह तआ़ला हमेंएिं आपको सिषश्रेष्ि क़ुरआन के लाभों सेलाभार्ी


करे, म


ुझेएिं आपको क़ुरआन के श्लोकों एिं ब


ुद्चधमत्ता पर आधाररत


सलाहों से लाभार्ी करे, मैंअपनी यह बात कहते हए अपने ललए एिं


आप संप





णष के ललए अल्लाह सेक्षमा मांगता ह


ूं, आप भी उस से क्षमा


प्रार्ी हों। ननिः संदेह िह अचधक क्षमा स्िीकार करने िाला एिं अचधकतम


दया करने िाला है।


द्वितीय उपदेश:





प्रशंसा ओं के पश्चात!


ऐ अल्लाह के दासो! आप अल्लाह का भय अपनाएं एिं ज्ञात रखें कक


अल्लाह के भाग्य के तीन भाग हैं


:


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१. पहला भाग्य: जो अल्लाह तआ़ला ने आकाश एिं पथ्





िी के ननमाषण


सेपचास हजार िर्ष प





िष जस्र्त फ़रमाया, जब अल्लाह नेक़लम को पैदा


ककया तो उसे आदेश ददया: प्रलय के प्रकट होने तक प्रत्येक िस्तु


का


भाग्य ललख।


(इस हदीस के प्रमाण का उल्लेख हो च





का है।)


२. आय





का भाग्य: यह उस समय ललखा जाता हैजब मां के कोख में





ुिाण





का ननमाषण होता है, उस समय जो ललखा जाता हैिह यह कक


िह बालक होगा या बाललका होगी, उसके आय





एिं कमष, उसके नेक एिं


पापी होने, रोजी-रोटी एिं इनके के अनतररक्त प्रत्येक िो संप





णष चीजें


ललखी जाती हैंजो सांसाररक जीिन में उनके सार् घदटत होंगी, कफर


उसके अंदर ककसी प्रकार की कोई बढोतरी एिं कमी नहीं होती, इसका


साक्ष्य अब्दल्





लाह बबन मसउ़द रजज अल्लाह





अन्ह





की हदीस है, िह कहते


हैंकक नबी सल्लल्लाह





अलैदह िसल्लम नेहमेंबताया जो के स्ियं सत्य


हैंएिं उनको सत्यता का प्रमाण लमला ह





आ है: "तु


म में से प्रत्येक का


जन्म उसकी मां के कोख मेंप


ूरा हो जाता है, ४० ददनों तक श


ुिाण





के


जस्र्नत में होता है, कफर इतने ही ददनों तक जमे ह





ए रक्त की जस्र्नत


मेंहो जाता है, कफर इतने ही ददनों तक मांस का एक लोर्ड़ा बन जाता


है, इसके पश्चात अल्लाह तआ़ला एक देिदतू


को अितररत करता हैएिं


उसे चार बातों का आदेश देता हैऔर उससे कहता है कक उसका कमष,


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उसकी रोजी-रोटी एिं उसका आय





ललख दे एिं यह भी ललख दे कक िह


नेक होगा या पापी, इसके पश्चात उसने आत्मा फ


ूंक दी जाती है..."।


(ब


ुख़ारी: ३२०८, म





जस्लम: २५४३) ३. िावर्षक भाग्य: यह प्रत्येक िर्ष


रमजान के अंनतम चरण श





भ राबत्र (शब-ए-क़द्र) मेंललखी जाती है, इसमें


आगामी एक िर्ष के भाग्य को जस्र्त ककया जाता है, इसका साक्ष्य


अल्लाह का यह कर्न है:





अर्ाषत: नन: संदेह हमने उसे धनी राबत्र (बाबरकत रात) में अितररत


ककया, नन: संदेह हम भयभीत करने िाले हैं, इसी राबत्र प्रत्येक किोर


कायष का ननणषय ललया जाता है, हमारे ननकट सेआदेश प





िकष हम ही हैं


दतू बनाकर अितररत करने िाले।


शैख़ अब्दरु


षहमान बबन नालसर सअ़दी रदहमह





ल्लाह इस आयत के उल्लेख


में ललखते हैं: "अर्ाषत: प्रत्येक िह चीज जजसका संबंध भाग्य से हैएिं


धमष सेहैउनका आदेश अल्लाह के आदेश अन


ुसार विस्तार प





िकष स्पष्ट


रूप से ललखा जाता है, श





भ राबत्र में ललखा जाने िाला यह स्पष्ट भाग्य


उन लेखों मेंसेएक हैजजन्हेंस्पष्टता के सार् ललखा जाता है, यह लेख


र्ी प





िष लेख के समान होता है जजसमें अल्लाह ने संप





णष सज





ष्ट का


भाग्य, उनका जीिन, उनकी रोजी-रोटी, कमष एिं जस्र्नतयां ललख रखा है।


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शैख़ अब्दरु


षहमान बबन नालसर सअ़दी रदहमह





ल्लाह का कर्न समाप्त








आ।


⚫अल्लाह के दासो! आप यह भी ज्ञात रखें -अल्लाह आप पर अपनी








पा दृजष्ट करे- कक भाग में विश्िास रखने का यह अर्ष नहीं कक एक


दास अपने कमष में नन: सहाय है, चाहे उस कमष का संबंध अच्छे से हो


अर्िा ब


ुरे से, क्योंकक अल्लाह ने ही दासों को इच्छा शजक्त दी है, सत्य


एिं असत्य के बीच अंतर समझने के ललए ब


ुद्चध प्रदान की है जजसके


माध्यम से िह छ





टकारे के मागों को अपनाता है, एिं विनाश होने के


मागों से िंचचत रहता है। अल्लाह ने उसे न्याय करने, प





ण्य कमष करने


एिं पररिार िालों के संग सभ्य व्यिहार करने का आदेश ददया है, दष्








कमों एिं असभ्य गनतविचधयों और अत्याचार करने से रोका है इस


आधार पर मामले स्ियं दासों की ओर लौटते हैं, चाहे तो िह आभार


व्यक्त करे अर्िा क


ुफ़्र करे, चाहे तो सत्य मागष पर चलेअर्िा ग





मराही


के मागष को अपनाए, चाहे तो आज्ञाकार बने अर्िा अिज्ञा पर उतर


जाए, कफर अल्लाह प्रलय के ददन उसका लेखांकन करेगा जजस कमष को


उसने ककया एिं अपनाया, यदद कमष प





ण्य होगा तो बदला भी अच्छा


लमलेगा, एिं यदद कमष दष्





ट होगा तो बदला भी ब


ुरा लमलेगा, अल्लाह ने


दासों की इच्छा शजक्त को जस्र्त करते ह





ا


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अर्ाषत: जो चाहे अपने पालनहार के ननकट (प





ण्य कमष कर के) अपना


दिकाना बना ले।


इसके अनतररक्त अल्लाह का कर्न है:


﴿فمن شاء فليؤمن ومن شاء فليكفر﴾


अर्ाषत: जो चाहे ईमान स्िीकार करे एिं जो चाहे क


ुफ़्र करे।


अल्लाह का एक और कर्न है:





अर्ाषत: अपने खेतों में जजस प्रकार चाहो आओ ।


⚫आप यह भी ज्ञात रखें-अल्लाह आप के संग दया प





िकष व्यिहार करे-


कक अल्लाह ने आपको बह





त ही महत्िप





णष कायष का आदेश ददया है,


अल्लाह का कर्न है:





अर्ाषत अल्लाह एिं उसके देिदतू उस नबी पर दरूुद भेजते हैं, ए


विश्िालसयो! तु


म (भी) उस नबी पर दरु


ुद भेजो एिं ख़ू


ब सलाम (भी)


भेजते रहा करो।


⚫हे अल्लाह! तू


अपने दास एिं दतू





ुहम्मद पर दया एिं सुरक्षा


अितररत कर, उनके पश्चात आने िाले शासकों (ख़ु


लफ़ा) एिं उनके


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महान आज्ञाकाररयों और प्रलय के ददन तक श


ुद्धता के सार् उनकी


आज्ञा करने िालों से प्रसन्न हो जा।


⚫हे अल्लाह! इस्लाम एिं म


ुसलमानों को श्रेष्िता एिं सिोच्चता प्रदान


कर, बह





देििाद एिं बह





देििाददयों को अपमाननत कर दे, अपने धमष की


रक्षा कर, तू


अपने एिं इस्लाम के शत्रओ


ु ं को नष्ट कर दे, अद्िैतिाददयों


को सहायता प्रदान कर।


⚫हे अल्लाह! हमें अपने देशों में अम्न एिं शांनत िाला जीिन प्रदान


कर, हे अल्लाह! हमारे इमामों एिं शासकों को िीक कर दे, उन्हें ददशा-


ननदेश देने िाला एिं उस पर चलने िाला बना दे।


⚫हे अल्लाह! म





जस्लम शासकों को अपनी प


ुस्तक लाग


ूकरने की शजक्त


प्रदान कर, अपने धमष को सिोच्च करने की शजक्त दे एिं उन्हें अपने


प्रजाओं हेतुदया एिं क





पा का कारण बना दे।


⚫हेअल्लाह! हम तुझसेसंसार एिं प्रलय की संप





णष भलाईयों हेतु


प्रार्षना


करते हैंजजनसे हम अिगत हैंअर्िा अज्ञानी हैं, एिं तेरा शरण चाहते


हैंसंसार एिं प्रलय के ददन के संप





णष ब


ुराइयों से, जजनसे हम अिगत हैं


अर्िा अज्ञानी हैं।


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⚫हे अल्लाह! हम तेरा शरण चाहते हैंतेरी नेमत के नछन जाने से, तेरे


(प्रदान ककए गए) स्िास्थ्य के हट जाने से, तेरी अचानक आने िाली


यातना से एिं तेरे प्रत्येक प्रकार के िोध से।


⚫हे अल्लाह! हमेंक्षमा प्रदान कर, एिं हमारे उन भाइयों को भी जो हम


से प





िष ईमान स्िीकार कर च





के हैं, एिं विश्िालसयों की ओर से हमारे


हृदय में द्िेर् (एिं शत्रतु


ा) मत डाल, हे हमारे पालनहार नन: संदेह तू


बड़ा ही दयाल





एिं क





पाल


ुहै।


⚫हे हमारे पालनहार हमें सांसाररक जीिन में प





ण्य दे एिं प्रलय में


भलाई प्रदान कर और नरक की यातना से हमेंसुरक्षक्षत रख।





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ताररक़ बदर


binhifzurrahman@gmail.com



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