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लेखकः


अब्दुल अज़ीज बिन अब्दुल्ला बिन िाज


نواقض الإسلام الهندية -


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इस्लाम से बनष्काससत करने वाल़ी िातें


शुरू करता ह ूँ अल्लाह के नाम से, जो बडा दयालु एवं अत्यंत कृपावान है।


सारी प्रशंसा अल्लाह ही के ललए है, तथा दरूद एवं सलाम हो अंलतम नबी, उनकी औलाद, सालथयों एवं अनुसरणकाररयों पर। तत्पश्चात: मेरे सम्मालनत मुसलमान भाइयो! याद रखें लक अल्लाह ने अपने सारे बंदों पर इस्लाम में प्रवेश करने, उसे मज़बूती से पकडे रहने और उसके लवरुद्ध बातों से सावधान रहने को अलनवायय लकया है। तथा इसकी ओर बुलाने के ललए अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम को भेजा है। साथ ही उसने बता लदया है लक नबी का अनुसरण करने वाला सुपथगामी है और उससे मुूँह फेरने वाला पथभ्रष्ट है। उसने कुरआन की बहुत-सी आयतों में इस्लाम से फेर देने वाली चीज़ों एवं सभी प्रकार के लशकय तथा कुफ़्र से सावधान लकया है। उलामा ने इस्लाम से लफरने वाले व्यलि से संबंलधत बात करते हुए बताया है लक अनेक प्रकार की इस्लाम से लनष्कालसत करने वाली चीज़ों के कारण एक मुसलमान इस्लाम से लफर जाता है। यह सारी चीज़ें उसके खून एवं धन को हलाल कर देती हैं और इनके कारण इन्सान इस्लाम के दायरे से बाहर हो जाता है। इस प्रकार की सबसे खतरनाक एवं अलधकतर घलित होने वाली बातें दस हैं, लजन्हें शैख मुहम्मद लबन अब्दुल वह्हाब एवं दूसरे सभी उलामा ने बयान लकया है,उनपर अल्लाह की दया हो। हम आपके सामने इन बातों को संलिप्त रूप में रखने, लफर उसके बाद उनका कुछ लवश्लेषण पेश करने जा रहे हैं, तालक आप इनसे खुद सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान रहने को कहें। हम अल्लाह से इन से सुरलित एवं बचाए रखने की आशा करते हैं। पहला: इस्लाम से लनष्कालसत करने वाली दस बातों में से पहली बात है: उच्च एवं महान


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इस्लाम से बनष्काससत करने वाल़ी िातें


अल्लाह की इबादत में लकसी को साझी बनाना। महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "लनिःसंदेह अल्लाह ये नहीं िमा करेगा लक उसका साझी बनाया जाए और उसके लसवा लजसे चाहे, िमा कर देगा।" और एक स्थान में कहा है: "लन:संदेह जो अल्लाह के साथ लशकय करता है अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी है, उसका लिकाना जहन्नम है और अत्याचारों का कोई सहायक नहीं होगा।" अल्लाह की इबादत में लकसी को साझी िहराने के अंतगयत ही मरे हुए लोगों को पुकारना, उनसे फ़ररयाद करना, उनके ललए मन्नत मानना और जानवर ज़बह करना आलद भी आते हैं, जैसे कोई लकसी लजन्न अथवा कब्र के ललए जानवर ज़बह करे। दूसरा: अपने तथा अल्लाह के बीच बहुत-से माध्यम बनाकर उन्हें पुकारना, उनसे लसफ़ाररश तलब करना और उनपर भरोसा करना भी कुफ़्र है, इस बात पर सभी उलामा एकमत हैं। तीसरा: मुलिकों को कालफ़र न कहने वाला,अथवा उनके कुफ़्र में शक करने वाला अथवा उनके धमय को उलचत िहराने वाला भी कालफ़र है। चौथा: जो यह लवश्वास रखे लक लकसी और का तरीका अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम के तरीके से अलधक संपूणय और लकसी और का आदेश आपके आदेश से अलधक उत्तम है। जैसा लक जो लोग तवागीत (अल्लाह के अलतररि) के आदेश को आपके आदेश पर प्राथलमकता देते हैं, तो वह कालफ़र है। पाूँचवाूँ: लजसने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम की लाई हुई लकसी वस्तु से नफ़रत लकया, चाहे वह उसपर अमल ही क्यों न करता हो, तो वह कालफ़र हो गया। क्योंलक महान अल्लाह ने कहा है: "यह इसललए लक उन्होंने अल्लाह के उतारे हुए लवधान को बुरा माना तो उसने (अथायत अल्लाह ने) उनके कमय व्यथय कर लदए।" छिा: लजसने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम के लाए हुए


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इस्लाम से बनष्काससत करने वाल़ी िातें


धमय की लकसी वस्तु या उसके प्रलतफल तथा दंड के साथ उपहास लकया, तो वह कालफ़र हो गया। इसका प्रमाण, महान अल्लाह का यह फ़रमान है: "आप कह दें लक क्या तुम लोग अल्लाह, उसकी आयतों और उसके रसूल के ही साथ उपहास कर रहे थे? बहाने न बनाओ, तुमने अपने ईमान के पश्चात् कुफ़्र लकया है।" सातवाूँ: जादू करना। इसके अंतगयत पलत को पत्नी से दूर करना तथा लकसी स्त्री पर मोलहत कर देना भी आता है। जादू करने वाला और उसपर संतुलष्ट व्यि करने वाला, दोनों कालफ़र हो जाते हैं। इसका प्रमाण, महान अल्लाह का यह फ़रमान है: "जबलक वे दोनों लकसी को जादू नहीं लसखाते, जब तक यह न कह देते लक हम केवल एक परीिा हैं, अतिः, तू कुफ़्र में न पड।" आिवाूँ: मुसलमानों के लवरुद्ध मुलिकों (बहुदेववालदयों) का साथ देना और उनकी मदद करना। इसका प्रमाण, उच्च एवं महान अल्लाह का यह फ़रमान है: "और तुम में से जो व्यलि उन्हें लमत्र बनाएगा, वह उन्हीं में से होगा तथा अल्लाह अत्याचाररयों को सीधी राह नहीं लदखाता है।" एक अन्य स्थान में उसका फ़रमान है: "लफर यलद वे आपकी बात न सुनें, तो आप जान लें लक वे मनमानी कर रहे हैं और उससे अलधक कुपथ कौन है, जो मनमानी करे, अल्लाह की ओर से लबना लकसी मागयदशयन के? वास्तव में, अल्लाह अत्याचारी लोगों को सुपथ नहीं लदखाता है।" नवाूँ: लजसने यह लवश्वास रखा लक कुछ लोगों को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम की शरीयत से बाहर जाने की अनुमलत है, जैसे लक खलजर के ललए मूसा अलैलहस्सलाम की शरीयत से बाहर जाने की अनुमलत थी, वह कालफ़र है। क्योंलक अल्लाह तआ़ला ने फ़रमाया है: "जो व्यलि इस्लाम के अलतररि अन्य धमय ढूूँढे उसका धमय कदालप स्वीकार नहीं लकया जाएगा और वह आलखरत में िलत उिाने वालों में से होगा।" दसवाूँ:


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इस्लाम से बनष्काससत करने वाल़ी िातें


अल्लाह के धमय इस्लाम से इस तरह बेरुखी लदखाना लक न उसे सीखे और न उस पर अमल करे। इसका प्रमाण, महान अल्लाह का यह फ़रमान है: "और उससे अलधक अत्याचारी कौन होगा, लजसके सामने अल्लाह की लनशालनयों का बयान हो, लफर वह उनसे लवमुख हो जाए? वास्तव में, हम अपरालधयों से बदला लेने वाले हैं।" इस्लाम से लनष्कालसत करने वाले इन कामों को इन्सान मज़ाक से करे, गंभीरता से करे अथवा भय से, इससे कोई फ़कय नहीं पडता है। हाूँ, यलद मजबूर होकर करे, तो बात और है। यह दस बातें ऐसी हैं जो बहुत खतरनाक और अलधक घलित होने वाली हैं। अतिः एक मुसलमान को इनसे सावधान रहना चालहए और अपने लदल में इनका भय रखना चालहए। हम अल्लाह की शरण माूँगते हैं उसके क्रोध को अलनवायय करने वाली चीज़ों तथा उसकी कष्टदायी यातना से। दरूद एवं सलाम हो अल्लाह की सबसे उत्कृष्ट सृलष्ट मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम पर, एवं आपकी औलाद तथा आपके सालथयों पर।


लेखक (मुहम्मद लबन अब्दुल वह्हाब) की बात समाप्त हुई।


इस्लाम से लनष्कालसत करने वाली चौथी बात के अंतगयत यह बातें भी शालमल है; लक यलद कोई यह लवश्वास रखे लक लोगों की बनाई हुई व्यवस्थाएूँ एवं संलवधान इस्लाम की दी हुई शरीयत से उत्तम हैं, या उसके समान हैं, या उनके अनुसार लनणयय लेना जायज़ है यद्यलप वह साथ साथ यह लवश्वास भी रखे लक शरीयत के अनुसार फ़ैसला करना उत्तम है, या यह माने लक इस्लाम द्वारा प्रदान की गई व्यवस्था बीसवीं सदी में लागू लकए जाने के लायक नहीं है, या यह मुसलमानों के लपछडेपन का कारण है, या यह लकसी व्यलि के अपने रब के


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इस्लाम से बनष्काससत करने वाल़ी िातें


साथ संबंध तक ही सीलमत है, जीवन के अन्य िेत्रों से इसका कोई लेना-देना नहीं है, तो एसा व्यलकत कालफर होत जाता है। इस्लाम से लनष्कालसत करने वाली चौथी बात के अंतगयत यह दृलष्टकोण भी आता है लक चोर का हाथ कािने तथा लववालहत व्यलभचारी को संगसार करने से संबंलधत अल्लाह के आदेश को लागू करना आज के दौर में उलचत नहीं है। इसके अंतगयत यह लवश्वास रखना भी आता है लक मामलात एवं दंड संलहता आलद में अल्लाह की शरीयत से हिकर लनणयय लेना भी जायज़ है। यद्यलप यह लवश्वास न रखे लक शरीयत लवरुद्ध कानून शररयत से उत्तम है। क्योंलक ऐसा करने वाले ने अल्लाह की हराम की हुई वस्तु को हलाल मान ललया।इसपर उलमा सवयसम्मलत हैं। और लजसने अल्लाह की हराम की हुई ऐसी चीज़ों को हलाल मान ललया , लजनका हराम होना सारे मुसलमानों के ललए स्पष्ट हो, जैसे व्यलभचार, शराब एवं सूद और अल्लाह की शरीयत को छोड लकसी और लवधान से लनणयय करना, तो सारे मुसलमान एक मत हैं लक ऐसा व्यलि कालफ़र है। दुआ है लक अल्लाह हमें उस काम का सुयोग प्रदान करे जो उसे पसंद हो और हमें तथा सारे मुसलमानों को अपनी सीधी राह लदखाए। लनश्चय ही वह सुनने वाला और लनकि है। अल्लाह की दया और शांलत की जलधारा बरसे हमारे नबी मुह़म्मद तथा आपकी औलाद और सभी सालथयों पर।


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