“वो अधिकार जो नैसधगकि रूप से होने चाहहयें तथा शरीअत ने भी उन्हें अन ु मोहित ककया है” लेखकः मोह़म्मद बिन सालेह़ उस़ैमीन रबह़महुल्लाह