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सूरतुल अह्ज़ाब की आयत संख्या (40) में अल्लाह तआला के कथन :"किन्तु आप अल्लाह के रसूल और अंतिम नबी हैं।" के संदर्भ में रसूल और नबी में क्या अंतर है? तथा रसूल क्यों कहा, और अंतिम रसूल क्यों नहीं कहा?





उत्तर





उत्तर




हर  प्रकार की प्रशंसा और स्तुति अल्लाह के लिए योग्य है।





नबी और रसूल के बीच प्रसिद्ध अंतर यह है कि रसूल वह है जिस की ओर किसी शरीअत की वह्य की गई हो और उसे उसके प्रसार का हुक्म दिया गया हो, और नबी वह है जिस की ओर किसी शरीअत की वह्य की गई हो और उसे उसके प्रसार का हुक्म न दिया गया हो। लेकिन यह अंतर आपत्ति (इश्काल) से खाली नहीं है, क्योंकि नबी को दावत देने, प्रसार करने और फैसला करने का हुक्म होता है। इसीलिए शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या कहते हैं : ठीक (शुद्ध) बात यह है कि रसूल वह है जो किसी झुठलाने वाली काफिर क़ौम की ओर भेजा गया हो, और नबी वह है जो किसी पूर्व रसूल की शरीअत पर ईमान रखने वाली क़ौम की ओर भेजा गया हो कि उन्हें शिक्षा दे और उनके बीच हुक्म (फैसला) करे, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है :"हम ने तौरात उतारी है जिस में मार्गदर्शन और रोशनी है जिसके द्वारा अल्लाह को मानने वाले अंबिया फैसला किया करते हैं।" (सूरतुल माईदा :44) चुनाँचि बनी इस्राईल के अंबिया तौरात के द्वारा फैसला करते थे जो मूसा अलैहिस्सलाम पर अवतरित हुआ था।





जहाँ तक अल्लाह के फरमान (व खातमुन्नबीईन) अर्थात अंतिम नबी कहने और खातमुल मुरसलीन अर्थात् अंतिम रसूल न कहने का प्रश्न है, तो इस का कारण यह है कि रिसालत के अंत से नुबुव्वत का अंत आवश्यक नहीं होता है, किन्तु नुबुव्वत के अंत से रिसालत का अंत भी आवश्यक हो जाता है, इसीलिए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है कि :"मेरे बाद कोई नबी नहीं है।" और आप ने यह नहीं कहा कि मेरे बाद कोई रसूल नहीं है।





इस से ज्ञात हुआ कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बाद न कोई रसूल है और न कोई नबी, बल्कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अंतिम रसूल और अंतिम नबी हैं।





शैख अब्दुर्रहमान अल-बर्राक





 



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