मैं उन गुनाहों के बारे में पूछना चाहता हूँ जिनका करने वाला क़ब्र में दंडित किया जायेगा।
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा अल्लाह तआला के लिए योग्य है।
जिन गुनाहों के कारण उनका करने वाला क़ब्र के अंदर अज़ाब दिया जायेगा, वो बहुत हैं, जिन्हें इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने एकत्र किया है, वह कहते हैं : "कुछ लोग उन कारणों के बारे में पूछ सकते हैं जिनकी वजह से क़ब्र वालों को अज़ाब दिया जायेगा?
इस का जवाब दो प्रकार से है :
सार (सामान्य) रूप से और विस्तार में :
सार रूप से इसका उत्तर यह है कि क़ब्र वाले अल्लाह तआला से अपनी अज्ञानता, उसके आदेश को नष्ट करने और उसकी नाफरमानी करने पर दंडित किये जायेंगे। अल्लाह तआला किसी ऐसी आत्मा को सज़ा नहीं देता जो उसे पहचानती, उस से प्रेम करती, उसके आदेश का पालन करती और उसके मनाही से बचती है, और न ही उस शरीर को सज़ा देता है जिस में ऐसी आत्मा मौजूद होती है।
क्योंकि क़ब्र का अज़ाब और आखिरत का अज़ाब अल्लाह तआला के अपने बन्दे पर गज़ब और क्रोध का प्रभाव है, चुनाँचि जिस व्यक्ति ने इस दुनिया में अल्लाह को नाराज़ और क्रोधित कर दिया, फिर उस से तौबा नहीं किया और उसी हालत पर मर गया, तो उसके ऊपर अल्लाह तआला के क्रोध और गुस्से की मात्रा में उसके लिए बर्ज़ख में अज़ाब होगा, तो कुछ लोग कम अज़ाब वाले होंगे और कुछ अधिक अज़ाब वाले, कुछ लोग झुठलाने वाले होंगे और कुछ पुष्टि करने वाले।
तथा विस्तृत उत्तर यह है :
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन दोनों आदमियों के बारे में, जिन्हें आप ने क़ब्र में अज़ाब दिये जाते हुये देखा था, सूचना दी है कि उन में से एक लोगों के बीच चुगली खाता फिरता था, और दूसरा पेशाब से सफाई हासिल नहीं करता था। तो इस ने अनिवार्य तहारत (पवित्रता) को छोड़ दिया और उस ने अपनी ज़ुबान से ऐसे कारण को अपनाया जो लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने वाला है, अगरचि वह सच्चा ही क्यों न हो ..
इस हदीस में इस बात पर चेतावनी पायी जाती है कि लोगों के बीच झूठ बोल कर, झूठी बात और झूठ गढ़कर दुश्मनी पैदा करने वाला सब से अधिक और भयंकर अज़ाब वाला होगा ..
इसी तरह पेशाब से पवित्रता प्राप्त करना छोड़ देने में इस बात पर चेतावनी है कि जिस ने नमाज़ को छोड़ दिया, कि पेशाब से पाकी हासिल करना उसके कुछ वाजिबात और शर्तों में से है, तो वह सबसे कठोर अज़ाब वाला होगा, और शो'अ़बा की हदीस में है कि : (उन में से एक लोगों का गोश्त खाता था।)
तो यह गीबत करने वाला है और वह चुगलखोरी करने वाला।
और इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में उस आदमी के बारे में है जिसे एक कोड़ा लगाया गया जिसकी वजह से उसकी क़ब्र आग से भर गई, क्योंकि उसने एक नमाज़ बिना वुज़ू के पढ़ी थी, और एक मज़लूम के पास से गुज़रा तो उसकी मदद नहीं की।
और सहीह बुखारी में समुरह की हदीस में उस आदमी के अज़ाब दिये जाने का उल्लेख है जो झूठ बोलता है तो वह दुनिया के कोने कोने में पहुँच जाती है ..
उस आदमी को सज़ा दिया जाना जो क़ुर्आन पढ़ता है फिर रात को उस से सोया रहता है, और दिन को उस पर अमल नहीं करता है ..
व्यभिचार करने वाले पुरूषों और व्यभिचार करने वाली महिलाओं को सज़ा दिया जाना..
सूद (व्याज) खाने वाले को सज़ा दिया जाना जैसाकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें बर्ज़ख में देखा।
और अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में कुछ लोगों के सरों को बड़े पत्थर (चट्टान) से कुचलने का उल्लेख है क्योंकि उनके सिर नमाज़ पढ़ने से बोझल होते थे..
इसी तरह जो लोग अपने धनों का ज़कात न देने के कारण काँटेदार पेड़ों और ज़क़्क़ूम (थूहड़) के पेड़ों के बीच चरते हैं ..
और वे लोग जो अपने व्यभिचार के कारण गंदा बदबूदार गोश्त खा रहे होंगे ..
और वे लोग जिनकी ज़ुबानों को लोहे की क़ैंचियों से काटा जा रहा होगा क्योंकि वे फित्नों में वक्तव्य और भाषण दिया करते थे ..
तथा अबू सईद की हदीस में उन अपराध वालों की सज़ा का उल्लेख है, चुनाँचि कुछ लोगों के पेट घरों के समान होंगे और वे सूद खाने वाले हैं ..
उन्हीं में से कुछ लोगों के मुँह को खोल कर उनमें आग के अंगारे भर दिये जायेंगे यहाँ तक कि उनके नीचे से निकल जायेंगे और वे यतीमों का धन खाने वाले हैं ..
और उन्हीं में से कुछ औरतें अपनी छातियों से लटकी हुई होंगी और वे व्यभिचार करने वाली औरतें हैं ..
और उन्हीं में से वे लोग हैं जिनके पहलुओं को काटा जायेगा और वे अपने गोश्तों को खायेंगे और वे ग़ीबत करने वाले हैं ..
उन्हीं में से वे लोग भी हैं जिनके नाखून तांबे के होंगे जिनसे वे अपने चेहरों और सीनों को नोच रहे होंगे, और वे ऐसे लोग हैं जो लोगों की इज़्ज़त व आबरू (सतीत्व) में ज़ुबान खोलते थे ..
तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें उस चादर वाले आदमी के बारे में जिस ने गनीमत के माल से उसे चुरा लिया था, यह सूचना दी है कि वह उसकी क़ब्र में आग बन कर भड़क रही है, यह उस अवस्था में है जबकि उसका उस धन में हक़ हो, तो फिर उस आदमी का क्या हाल होगा जो दूसरे पर ऐसी चीज़ के अंदर ज़ुल्म करता जिस में उसका कोई हक नहीं होता।
चुनाँचि क़ब्र का अज़ाब दिल, आँख, कान, मुँह, ज़ुबान, पेट, यौनि, हाथ, पैर और पूरे शरीर की नाफरमानियों के कारण होगाः
चुगलखोरी करने वाला, झूठ बोलने वाला, गीबत (पिशुनता) करने वाला, झूठी गवाही देने वाला, पवित्र चरित्र वाले पर आरोप लगाने वाला, फित्ने में डालने वाला (फित्नापर्दाज़), बिद्अत की ओर बुलाने वाला, अल्लाह और उसके रसूल पर ऐसी बात कहने वाला जिसका उसे ज्ञान नहीं, और अटकल पच्चू बात करने वाला।
सूद (व्याज़) खाने वाला, यतीमों का धन खाने वाला, हराम खाने वाला जैसे घूँस (रिश्वत) इत्यादि।
बिना किसी अधिकार के अपने मुसलमान भाई का धन, या उस आदमी का धन खाने वाला जिसका मुसलामानों के साथ मुआहदा (समझौता) है, और नशीली चीज़ पीने वाला।
व्यभिचार करने वाला, समलैंगिक, चोर, खियानत करने वाला, गद्दार, धोखेबाज़ और फरेबी।
सूद लेने वाला, सूद देने वाला, उसे लिखने वाले, और उसके गवाह, हलाला करने वाला और जिसके लिए हलाला किया गया है, अल्लाह के कर्तव्यों को समाप्त करने और उसके निषिद्ध किये हुये कामों को करने के लिए हीला और बहाना बनाने वाला।
मुसलमानों को कष्ट पहुँचाने वाला और उनके पर्दें की चीज़ों को टटोलने वाला और उनकी टोह लगाने वाला।
अल्लाह के उतारे हुये आदेश के अलावा से फैसला (शासन) करने वाला, अल्लाह की शरीअत के अलावा से फत्वा देने वाला, गुनाह और अत्याचार (ज़ुल्म व ज़ियदती) पर मदद करने वाला।
जिस जान के क़त्ल को अल्लाह तआला ने हराम किया है उसे क़त्ल करने वाला, अल्लाह के हरम (यानी मक्का में हरम के हुदूद) में इल्हाद (पाप) करने वाला, अल्लाह तआला के नामों और गुणों की वास्तविकता को निरस्त करने वाला उन के बारे में (उचित दृष्टिकोण से हट कर) इल्हाद (टेढ़ेपन) से काम लेने वाला...
अपने विचार, अपने मत और अपनी पालीसी को अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत पर वरीयता और प्रधानता देने वाला।
नौहा करने वाली (अर्थात् किसी के मरने पर रोने पीटने वाली) महिला और उसको सुनने वाला, नरक के नौहा करने वाले जिस से अभिप्राय वो गवैये हैं जो अल्लाह और उसके रसूल के हराम (निषिद्ध) घोषित किये हुये गाने को गाते हैं तथा उनके गाने को सुनने वाला .. तथा वो लोग जो क़ब्रों को मस्जिदें (सज्दागाह) बनाते और उन पर चिराग और बत्तियाँ जलाते हैं, और नाप-तौल में कमी करने वाले जो अपने हक़ को पूरा-पूरा लेते हैं और उनके ऊपर जिस चीज़ को अदा करना अनिवार्य है उसको हड़प कर लेते हैं।
क्रूर, घमंडी, अभिमानी, हठधर्मी, छली, अपने संकेत तथा कथन से लोगों की ऐबजोई करने वाले (बुराई टटोलने वाले) पूर्वजों को बुरा-भला कहने वाले।
तथा जो लोग काहिनों (ज्योतिषियों), नुजूमियों, परोक्षज्ञान का दावा करने वालों के पास आते हैं, और उन से प्रश्न करते हैं और उनकी पुष्टि करते हैं।
तथा अत्याचार करने वालों की मदद करने वाले जिन्हों ने दूसरों की दुनिया के बदले अपनी आखिरत को बेच दिया।
तथा वह आदमी जिसे आप अल्लाह का भय दिलायें और उसके द्वारा नसीहत करें, तो वह बाज़ नहीं आता और उस पर कान नहीं धरता, और जब उसे उसी के समान किसी मनुष्य का भय दिलायें, तो वह डर जाता है और अपने काम से बाज़ आ जाता है।
तथा वह आदमी जिसे अल्लाह के कलाम (वाणी) के द्वारा मार्गदर्शन किया जाता है, तो वह मार्गदर्शन स्वीकार नहीं करता और उस पर सिर नही उठाता है, और जब उसे ऐसे आदमी से कोई बात पहुँचती है जिस पर वह अच्छा गुमान रखता है जिस से गलती होने और सहीह हुक्म तक पहुँचने दोनों की संभावना रहती है, तो उव उसे दाँतों से पकड़ लेता है और उसका विरोध नहीं करता है।
और वह आदमी जिस पर क़ुर्आन पढ़ा जाता है तो उस पर कोई प्रभाव नही पड़ता, और कभी-कभार वह उसे बोझ समझता है, और जब शैतान का क़ुर्आन, व्यभिचार का मंत्र और निफाक़ (पाखण्ड) की सामग्री सुनता है तो उसका दिल प्रसन्न हो जाता है, और वह मदहोश हो जाता है और उसके हृदय से हर्ष व उल्लास की उमंगें भड़क उठती हैं और उसकी चाहत यह होती है कि गाने वाला चुप न हो।
और वह आदमी जो अल्लाह की क़सम खाकर झूठ बोलता है, और जब अपने शैख या क़रीबी या किसी ऐसे आदमी की ज़िन्दगी की क़सम खाता है जिस से वह महब्बत करता और उसका सम्मान करता है तो झूठ नहीं बोलता है, अगरचि उसे धमकी दी जाये और सज़ा दी जाये।
और वह आदमी जो नाफरमानी और गुनाह पर गर्व करता है और अपने भाईयों और अपने हमजोलियों के बीच उसे बहुतायत से करने का प्रदर्शन करता है अर्थात् खुल्लम खुल्ला पाप करने वाला है।
और वह आदमी जिसे आप अपने धन और इज़्ज़त व आबरू पर सुरक्षित न समझें, और वह मुंहफट अश्लील बोली बोलने वाला बदज़ुबान आदमी जिसे लोगों ने उसकी बुराई और अश्लीलता और दुर्वचन से बचने के लिये छोड़ दिया हो।
और वह आदमी जो नमाज़ को उसके अन्तिम समय तक विलंब कर देता है, और उसे चोंच मारने के समान जल्दी-जल्दी पढ़ लेता है, और उसमें बहुत कम ही अल्लाह को याद करता है, और जो अपने धन का ज़कात अपने मन की खुशी के साथ नहीं देता है, और जो हज्ज करने की ताक़त रखने के बावजूद हज्ज नहीं करता है, और उसके ऊपर जो हुक़ूक़ अनिवार्य हैं उनको ताक़त रखने के बावजूद भी अदा नहीं करता है।
और जो आदमी अपनी दृष्टि (निगाह), अपने वचन, अपने खान-पान और अपने चाल-ढाल में सावधानी से काम नहीं लेता है और उसे इस बात की परवाह नहीं होती है कि उसने माल को हलाल तरीक़े से प्राप्त किया है या हराम तरीक़े से।
और जो सिला-रहमी (अर्थात् अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार) नहीं करता है, मिसकीन, बेवाओं, यतीम और जानवरों पर दया नहीं करता है, बल्कि यतीम को धक्का देता है, मिसकीन को खाना खिलाने पर नहीं उभारता है, दुनिया वालों को दिखलाता है, और इस्तेमाल की साधारण चीज़ों को भी रोकता है, और लोगों की बुराईयों को टटोलने में व्यस्त होकर अपनी बुराई से गाफिल हो जाता है, और लोगों के गुनाहों के पीछे पड़कर अपना पाप भूल जाता है।
तो ये सब के सब और इनके समान सभी लोग इन अपराधों पर उनके कम और अधिक, छोटे और बड़े होने के हिसाब से अपनी क़ब्रों में सज़ा दिये जायेंगे।
और चूँकि अधिकांश लोग इसी प्रकार के हैं, अत: अधिकांश क़ब्रों वाले यातना और सज़ा के पात्र होंगे, और उन में सफल होने वाले थोड़े ही होंगे।
क़ब्रों का प्रत्यक्ष भाग मिट्टी दिखाई देता है और उसका भीतरी भाग हसरतों और अज़ाब (यातना) से भरा होता है।
उनका बाहरी भाग मिट्टी और रंग-बिरंगे पत्थरों से निर्मित होता है।
जबकि उनके भीतर बिपदायें, कठिनाईयाँ, हसरत व अफसोस के साथ उबल रही होती हैं जिस प्रकार कि हाँडियां अपने अंदर मौजूद चीज़ों के साथ उबलती हैं, और उनके लिए ऐसा करना योग्य है, जबकि उनके और उनकी आकांक्षाओं और इच्छाओं के बीच रूकावट खड़ी हो गई है।
अल्लाह की क़सम! (क़ब्र ने) ऐसी नसीहत की है कि किसी नसीहत करने वाले के लिए कोई बात नहीं छोड़ी है।
और उसने आवाज़ लगाई है : ऐ दुनिया के निवासियो! तुम ने एक ऐसे घर को आबाद किया है जिसको तुम जल्द ही छोड़कर जाने वाले हो, और एक ऐसे घर को बर्बाद कर दिया है जिसकी तरफ तुम जल्दी से आगमन करने वाले हो।
तुम ने एक ऐसे घर को आबाद किया है जिसका लाभ और निवास दूसरों के लिए है, और तुम ने एक ऐसे घर को बर्बाद व वीरान कर दिया है जिसका निवास तुम्हारे सिवा किसी और के लिए नहीं है।
यह (दुनिया) एक दूसरे से आगे बढ़ने का घर, कर्मों का गोदाम और आखिरत की खेती करने का अवसर है, और यह (क़ब्र) इब्रत पकड़ने का स्थान, जन्नत के बगीचों में से एक बगीचा या नरक की खाईयों में से एक खाई है ..." किताबुर्रूह (पृष्ठ संखयाः 95) से साधारण संशोधन के साथ समाप्त हुआ।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर
क्या मुसलमान क़ब्र के परीक्षण से लाभ उठाता है कि उसके गुनाहों को हल्का कर दिया जाता है या उसे मिटा दिया जाता है ॽ
उत्तर
इस उम्मत पर अल्लाह तआला की एक अनुकम्पा यह भी है कि उसने हिसाब किताब से पूर्व उसके गुनाहों के लिए मिटाने वाली चीज़ें बना दी हैं, शैखुल इस्लाम (इब्ने तैमिय्या) रहिमहुल्लाह ने गुनाह मिटाने वाली दस चीज़ों का उल्लेख किया है, उन्हीं में से एक क़ब्र का अज़ाब (यातना) है। आप रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
मोमिन को दुनिया, बर्ज़ख (मरने के बाद से लेकर परलोक के दिन पुनः जीवित होने के बीच की अवधि के बर्ज़ख़ कहा जाता है) और क़ियामत में जो पीड़ा और कष्ट पहुँचता है जो कि एक यातना है : तो इसके कारण अल्लाह तआला उसके गुनाहों को मिटा देता है, जैसाकि सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित है कि आप ने फरमाया : “मोमिन को जो भी कष्ट, थकावट, दुःख और पीड़ा पहुँचती है यहाँ तक कि उसे एक काँटा भी चुभता है तो अल्लाह तआला उसके कारण उसके गुनाहों को मिटा देता है।
“मजमूउल फतावा” (24/375)
तथा आप रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
आठवाँ कारण : क़ब्र में जो परीक्षण, दबाव और घबराहट होती है, तो यह उन चीज़ों में से है जिसके द्वारा गुनाहों को मिटा दिया जाता है।
“मजमूउल फतावा” (7/500).
तथा शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने मिनहाजुस्सुन्नह (6/238) में यह भी फरमाया है कि गुनाहों को मिटाने वाली चीज़ों में से : मोमिन का अपनी क़ब्र में दबाव और दोनों फरिश्तों के फित्ने से परीक्षण किया जाना भी है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद