क्या वह अपनी पत्नी को घर से बाहर काम करने के लिए मजबूर का सकता है ॽ
कुछ महीने हुए एक युवा के साथ मेरी शादी हुई है जो एक नास्तिक देश में रहता है, और यह तथ्य कि उसने अपने परिवार, जो कि एक सभ्य और खुला परिवार है, के विरोध के बावजूद मेरे नक़ाब पहनने के विचार को स्वीकार कर लिया, मुझे प्रभावित करता है और वह मेरी दृष्टि में बहुत बड़ा बन गया है। जहाँ तक उसकी बात है तो वह समय बीतने के साथ धार्मिकता को और अधिक पसंद करने लगा और इस बात पर अल्लाह का गुणगान करता है कि उसे एक दीनदार (धर्मनिष्ठ) पत्नी प्रदान की, और मैं यह महसूस करने लगी कि मुझे कामयाब जोड़ी मिल गई। लेकनि मुझे प्रतीक हुआ कि वह मेरे काम करने के विषय पर ज़ोर देता है, वह मुझसे चाहता है कि मैं काम करने के लिए बाहर निकलूँ और कुछ पैसा कमाऊँ ताकि उसकी मदद कर सकूँ। वह कहता है कि वह आर्थिक रूप से स्थिर नहीं है और उसे मदद की आवश्यकता है, शायद वह अप्रत्यक्ष रूप से यह संकेत दे रहा है कि मैं अपने पिता को जो कि एक अमीर आदमी हैं, बताऊँ कि वह हमारी सहायता करें। यह बात कल्पना में भी नहीं थी, क्योंकि मैं एक ऐसी औरत हूँ कि घर पर रहना चाहती हूँ ताकि अपनी वैवाहिक जीवन और घर के मामलों की देखभाल करूँ, और मैं ने कई बार उस के साथ इस मुद्दे पर बात की है कि यह मेरे लिए किसी भी तरह उचित नहीं है, लेकिन वह मेरी बात को गंभीरता से नहीं लेता है, जिसकी वजह से मैं इस संबंध में अपने पिता से बात करने पर मजबूर हो गई ताकि वह हमारे लिए इसका समाधान खोजें। यह मुद्दा मुझे बहुत परेशान कर रहा है, और मैं इन सब का अंत करना चाहती हूँ। इसलिए मैं ने इस शादी के अनुबंध को रद्द करने अर्थात तलाक़ के बारे में सोचा है। लेकिन मुझे याद आ रहा है कि इस शादी पर सहमत होने से पहले मैं ने इस्तिखारा की नमाज़ पढ़ी थी, तथा मेरे माता पिता उससे और उसके परिवार से प्यार करते हैं, किंतु अब मैं अलग भावना का एहसास करती हूँ, और मै ने पाया है कि हमारे कुछ धार्मिक एवं सांसारिक मुद्दों के समझ से संबंधित हम दोनों के बीच विशाल अंतर पाया जाता है।
तो मेरी समझ में नहीं आता कि मैं क्या करूँ ॽ क्या कोई सलाह व नसीहत है ॽ
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
पति के लिए इस बात की अनुमति नहीं है कि वह अपनी पत्नी को काम करने के लिए घर से बाहर निकलने पर बाध्य करे, क्योंकि सर्वसम्मति के साथ उसके ऊपर पत्नी का खर्च अनिवार्य है, तथा अल्लाह तआला का फरमान है :
﴿الرِّجَالُ قَوَّامُونَ عَلَى النِّسَاءِ بِمَا فَضَّلَ اللَّهُ بَعْضَهُمْ عَلَى بَعْضٍ وَبِمَا أَنْفَقُوا مِنْ أَمْوَالِهِمْ ﴾ [النساء : 34].
“पुरूष, महिलाओं पर निरीक्षक हैं, इस कारण कि अल्लाह ने एक को दूसरे पर विशेषता दी है, और इस कारण कि पुरूषों ने अपना धन खर्च किया है।” (सूरतुन्निसा : 34).
तथा जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्हों ने कहा कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तुम महिलाओं के बारे में अल्लाह तआला से डरो, क्योंकि तुम ने उन्हें अल्लाह की अमानत से लिया है, और उनकी शरमगाहों को अल्लाह के कलिमा (वचन) के द्वारा हलाल किया है, और उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार यह है कि तुम परंपरा के अनुसार उन की जीविका और कपड़े की व्यवस्था करो।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1218) ने रिवायत किया है।
इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “इससे पत्नी के खर्च और कपड़े की अनिवार्यता का पता चलता है, और यह बात सर्वसम्मति के साथ प्रमाणित है।” “शरह सहीह मुस्लिम” (8/184) से अंत हुआ।
तथा प्रश्न संख्या (5591) और (12465) का उत्तर देखें।
जहाँ तक आपके शादी के अनुबंध को समाप्त करने की अभिरूचि का संबंध है तो हम आप को नसीहत करते हैं कि इस बारे में कोई निर्णय लेने से पहले पति के साथ समझौता होना चाहिए, तथा काम करने के इस मुद्दे और इसके अलावा अन्य मुद्दे जिनके अंदर आप दोनों के बीच मतभेद है उनके बारे में उसके साथ अच्छी तरह से बातचीत और सुचारू ढंग से चर्चा होना चाहिए।
तथा हम आप को यह भी सलाह देते हैं कि शादी के मामले को संपन्न करने के मामले में सोच विचार और सावधानी से काम लेना चाहिए, ताकि आप जीविका के बोझ को उठाने पर उसकी आर्थिक क्षमता से आश्वस्त हो जाएं, और इस बात से कि यह आप दोनों के जीवन के स्वभाव और आप दोनों के बीच के संबंध को प्रभावित नहीं करेगा।
तथा हम आपको यह भी सलाह देते हैं कि जितना हो सके तलाक़ से दूर रहें, सिवाय इसके कि ऐसी परिस्थिति आ जाए कि आप उन मतभेदों के प्रकाश में उसके साथ जीवन बिताना कठिन या दुर्लभ समझें। तथा आप अपने परिवार के विचार और परामर्श वाले लोगों से परामर्श और सलाह लें और इस संबंध में उनके विचार से मार्गदर्शन प्राप्त करें, अल्लाह आप को तौफीक़ प्रदान करे और शुद्ध मार्ग दर्शाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
मुसलमान महिला का उस ग़ैरमुस्लिम से शादी करना जिसके इस्लाम स्वीकारने की आशा हो
मुसलमान महिला के ग़ैर मुस्लिम से शादी करने का क्या हुक्म है विशेषकर जब उसे शादी के बाद उसके इस्लाम स्वीकारने की आशा हो ? क्योंकि बहुत सी मुस्लिम महिलायें यह दावा करती हैं कि उन्हें आम तौर पर योग्य मुसलमान नहीं मिलते हैं, तथा उन्हें भ्रष्ट होने और बिगड़ने का खतरा है या वे कठोर परिस्थति में जीवन यापन करने पर मजबूर होंगी ?
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
मुसलमान महिला का ग़ैर मुस्लिम से शादी करना शरीअत में, क़ुर्आन व हदीस और मुसलमानों की सर्वसमहति के प्रमाणों के आधार पर, वर्जित व निषिद्ध है। (देखिएः प्रश्न संख्याः 689) और यदि शादी हो गई है तो वह बातिल (व्यर्थ व अमान्य) है, और उसके ऊपर निकाह पर निष्कर्षित होने वाले प्रणाम निष्कर्षित नहीं होंगे, और इस शादी से पैदा होने वाले बच्चे अवैध (नाजायज़) हैं। और पतियों के मुसलमान होने की आशा, इस हुक्म (प्रावधान) को कुछ भी परिवर्तित नहीं कर सकती है।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर
शैख मुहम्मद बिन सालेह मुनज्जिद
क्या वह अपने लेपालक भाई से संबंध काट लेगी
मेरी सहेली का एक गोद लिया हुआ भाई है जिसने उसकी माँ से दूध नहीं पिया है। जब वह तीन साल का था तो उसकी माँ ने एक गोद लेनेवाली एजेंसी से उसे गोद ले लिया था। उनके बीच कोई रिश्तेदारी नहीं है। यह मुसलमान है और वह भी मुसलमान था लेकिन वह इस्लाम से मुतर्द्द हो गया। वह सदैव उसकी गीबत करता रहता है और उसके बारे में लोगों से झूटी बातें कहता रहता है। क्या वह उससे अपने संबंध काट सकती है क्योंकि वह उसका गोद लिया हुआ भाई है और उनके बीच कोई रिश्तेदारी का संबंध नहीं है?
क्या वह उसे उसके मुर्तद्द हो जाने (यानी इस्लाम धर्म त्याग कर देने) के बाद भी सलाम करेगी ?
उत्तर
हर प्रकसर की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
इस बच्चे का इस परिवार के साथ कोई संबंध नहीं है, न तो वंश का संबंध है और न ही स्तनपान (दूध पिलाने) का संबंध है। इस आघार पर, यादि वह मुकल्लफ (शरीअत के कर्तव्यों के पालन का योग्य) है तो उसके लिए इनके साथ मिश्रण और महारिम की तरफ देखना जायज़ नहीं है, और यह उस स्थिति में है जब वह इस्लाम पर स्थिर रहता, इस बात को छोड़िए कि वह इस्लाम से मुर्तद्द हो चुका है।
अतः उसके लिए उस लड़के से हाथ मिलाना, उसके साथ अकेले रहना, उसके सामने बेपर्दा रहना जायज़ नहीं है क्योंकि वह महरम नहीं है। (प्रश्न संख्या 5538 देखें)।
तथा वह न उससे सलाम करेगी और न ही उसके सलाम का जवाब देगी जब कि वह मुर्तद्द है। हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते हैं कि वह सभी को सुरक्षित रखे।
शैख मुहम्मद सालेह अल मुनज्जिद
क्या महिला पाँच साल की आयु के बच्चे से पर्दा करेगी
प्रश्न : मेरी शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई है जिसके पास कई पत्नियाँ हैं, और मेरे पास इस पति के अलावा से एक बच्चा है जिसकी आयु पाँच वर्ष है, तो क्या अन्य पत्नियों के ऊपर अनिवार्य है कि जब वह बच्चा मेरे पास उपस्थित हो तो वे पर्दा करें ?
उत्तर
अल्लाह आपको सर्वश्रेष्ठ बदला प्रदान करे।
उत्तर :
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
उपर्युक्त बच्चे की उम्र छोटी है और उसकी उपस्थिति में चेहरा ढांकना ज़रूरी नहीं है, अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन है :
﴿وَقُلْ لِلْمُؤْمِنَاتِ يَغْضُضْنَ مِنْ أَبْصَارِهِنَّ وَيَحْفَظْنَ فُرُوجَهُنَّ وَلا يُبْدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلا مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَلْيَضْرِبْنَ بِخُمُرِهِنَّ عَلَى جُيُوبِهِنَّ وَلا يُبْدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلا لِبُعُولَتِهِنَّ أَوْ ءابَائِهِنَّ أَوْ ءابَاءِ بُعُولَتِهِنَّ أَوْ أَبْنَائِهِنَّ أَوْ أَبْنَاءِ بُعُولَتِهِنَّ أَوْ إِخْوَانِهِنَّ أَوْ بَنِي إِخْوَانِهِنَّ أَوْ بَنِي أَخَوَاتِهِنَّ أَوْ نِسَائِهِنَّ أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُنَّ أَوِ التَّابعين غَيْرِ أُولِي الإِرْبَةِ مِنَ الرِّجَالِ أَوِ الطِّفْلِ الَّذِينَ لَمْ يَظْهَرُوا عَلَى عَوْرَاتِ النِّسَاءِ وَلا يَضْرِبْنَ بِأَرْجُلِهِنَّ لِيُعْلَمَ مَا يُخْفِينَ مِنْ زِينَتِهِنَّ وَتُوبُوا إِلَى اللَّهِ جَمِيعًا أَيُّهَا الْمُؤْمِنُونَ لَعَلكُمْ تُفْلِحُونَ ﴾ [سورة النور :31].
“और आप मुसलमान औरतों से कह दीजिए कि वे अपनी निगाहें नीची रखें, और अपने शरमगाह (सतीत्व) की रक्षा करें, और अपने बनाव व श्रृंगार का प्रदर्शन न करें सिवाय उसके जो ज़ाहिर हो जाए, और अपनी ओढ़़नियाँ अपने गरेबानों पर डाले रहें, और अपने बनाव सिंघार को न प्रदर्शित करें मगर अपने पतियों के लिए, या अपने बाप दादा के लिए या अपने पतियों के बाप दादा के लिए, या अपने बेटों के लिए, या अपने पतियों के बेटों के लिए, या अपने भाईयों के लिए, या अपने भाईयों के बेटों के लिए, या अपनी बहनों के बेटों के लिए, या अपनी (यानी मुसलमान) औरतों के लिए, या उनके लिए जिनके उनके हाथ मालिक हैं, या पुरूषों में से उन नौकरों चाकरों के लिए जो औरतों की इच्छा नहीं रखते हैं, या उन बच्चों के लिए जो महिलाओं की गुप्त बातों को नहीं जानते। और वे (औरतें) अपने पैर न पटकें ताकि जान लिया जाये उनका बनाव सिंघार जिसे वे छुपाती हैं, और ऐ मोमिनो! तुम सब के सब अल्लाह की ओर तौबा (पश्चाताप) करो ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।” (सूरतुन्नूर : 31)
यह लड़का, अभी बच्चा है महिलाओं की व्यक्तिगत अंगों से अवगत नहीं है, अतः उसके सामने ज़ीनत (अलंकरण और श्रृंगार) को प्रकट करना जायज़ है, इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह फरमाते हैं : और अल्लाह तआला का यह कथन कि ‘‘या वे बच्चे जो महिलाओं के गुप्तांगों (पर्दा की चीज़ों) से अवगत नहीं हैं।” अर्थात अपनी छोटी आयु की वजह से महिलाओं की स्थितियों और उनकी पर्दा की चीज़ों को नहीं समझते हैं जैसे - उनकी कोमल बात, उनकी लचकदार चाल, उनकी हरकात व सकनात, अगर बच्चा छोटा है इन चीज़ों को नहीं समझता है, तो उसके औरतों पर प्रवेश करने में कोई बात नहीं है, लेकिन अगर वह किशोर अवस्था को पहुँच गया है या उसके क़रीब है इस प्रकार कि वह इन चीज़ों को जानता है और कुरूप और रूपवान औरतों के बीच अंतर को समझता है तो उसे औरतों पर प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा। अंत हुआ और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
शैख मुहम्मद सालेह अल मुनज्जिद
क्या महिला के लिए उस लड़की के पति के साथ यात्रा करना जायज़ है जिसे उसने गोद ली है?
मेरे पिता ने अपने भाई की बेटी (भतीजी) को उस समय से गोद लिया हुआ है जब वह दस साल की थी। वह और मेरी माँ दोनों उसके प्रति पूर्ण रूप से माता पिता का कर्तव्य निभाते हैं और उसे अपनी बेटी समझते हैं।
क्या मेरी माँ के लिए इस गोद ली हुई लड़की और उसके पति (लड़की के पति) और उनके बच्चों के साथ उम्रा करने लिए यात्रा करना संभव है?
उत्तर
हर प्रकसर की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
गोद लेने से शरई वंश (यानी शरीअत के दृष्टिकोण से वंश) साबित नहीं होता है। इस मुद्दे का वर्णन प्रश्न संख्या : (188161) के उत्तर और प्रश्न संख्या : (6102) के उत्तर में बीत चुका है। तथा इससे महरमिय्यत (महरम होना) भी साबित नहीं होती है, सिवाय इसके कि वहाँ महरम बनाने वाला दूध पिलाना पाया जाता हो। तथा प्रश्न संख्या : (129988) का उत्तर देखें।
इस आधार पर, आपके चाचा की बेटी - जिसे आपके पिता ने गोद लिया हुआ है - का पति आपकी माँ के लिए महरम नहीं समझा जायेगा ; क्योंकि उसकी पत्नी (आपके चाचा की बेटी) आपकी माँ की लड़की नहीं है, तथा - इसी तरह - उसके व्यस्क बेटे आपकी माँ के लिए महरम नहीं हैं ; अतः ऐसी स्थिति में उसके लिए उनके साथ यात्रा करने की अनुमति नहीं है।
और अल्लाह तआला की सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
महिला के लिए एक ही समय में एक से अधिक पति क्यों हराम हैं ?
औरत के लिए तीन या चार पुरूषों से शादी करना क्यों नहीं जाइज़ है, जबकि पुरूष को तीन या चार पत्नियों से शादी करने का अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
यह, सर्व प्रथम, अल्लाह सर्वशक्तिमान में विश्वास से जुड़ा हुआ है, सभी धर्म इस बात पर सहमत हैं कि औरत के लिए वैध नहीं है कि उससे उसके पति के अलावा कोई अन्य व्यक्ति संभोग करे, इन धर्मों में से कुछ निश्चित रूप से आकाशीय हैं जैसे इस्लाम और मूल यहूदी और ईसाई धर्म। अल्लाह में विश्वास रखना इस बात की अपेक्षा करता है कि अल्लाह के आदेशों और उसकी शरीअत के प्रति समर्पित कर दिया जाये, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान तत्वदर्शी (हिक्मत वाला) और मानव जाति के हितों का ज्ञान रखने वाला है। कभी-कभार हम शरई हुक्म (धार्मिक प्रावधान) की हिक्मत (तत्वदर्शिता) को जानते हैं और कभी हमें उसका बोध नहीं होता है। जहाँ तक पुरूष के लिए अनेक पत्नियों से शादी करने की वैधता और महिला के लिए उसके निषेध का संबंध है, तो ज्ञात होना चाहिए कि यहाँ कुछ ऐसे तत्व हैं जो किसी बुद्धिमान व्यक्ति पर रहस्य नहीं हैं। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने औरत को बर्तन (संग्रहणशालय) बनाया है, जबकि पुरूष ऐसा नहीं है। यदि औरत गर्भवती हो जाये (और उस के साथ एक ही समय में कई आदमियों ने संभोग किया हो) तो उसके बाप का पता नहीं चलेगा, और लोगों के नसब (वंश) मिश्रित हो जायें गे, घराने नष्ट हो जायें गे, बच्चे विस्थापित (आवारा) हो जायें गे, और औरत बच्चों (संतानों) से बोझल हो जायेगी जिनके पालन पोषण और उन पर खर्च करने पर वह सक्षम नहीं होगी, और संभव है कि औरत नसबंदी कराने पर मजबूर हो जाये, और यह मानव जाति के विलुप्त होने का कारण बना जायेगा। इसके अलावा, आज -चिकित्सा विज्ञान- के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि गंभीर बीमारियाँ जैसे एड्स इत्यादि जो फैली हुई हैं उनके अहम कारणों में से यह है कि औरत के साथ एक से अधिक लोग संभोग करते हैं, चुनांचे औरत के गर्भाशय में तरल शुक्राणुओं का मिश्रित होना इन घातक बीमारियों का कारण बनता है। इसलिए अल्लाह सर्वशक्तिमान ने तलाक़शुदा या विधवा औरत (जिसका पति मर गया हो) के लिए इद्दत (एक विशिष्ट अवधि) निर्धारित किया है, ताकि वह अपने गर्भाशय और उसके रास्ते को पूर्व पति के प्रभाव से पवित्र करने के लिए एक अवधि तक ठहरी रहे, तथा उसे जो मासिक धर्म आता है उसका भी इस प्रक्रिया में एक भूमिका है।
शायद इसमें इतना संकेत पाया जाता है जिसकी वजह से बात को लंबी करने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। यदि प्रश्न करने का उद्देश्य किसी विश्वविद्यालय या अन्य स्तर का वैज्ञानिक अनुसंधान है तो प्रश्नकर्ता को चाहिए कि उन किताबों को देखे जो बहुविवाह और उसकी तत्वदर्शिता के विषय पर लिखी गई हैं। और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है।
शैख सअद अल हुमैयिद