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मैं हस्तमैथुन और मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद व स्नान करने से पूर्व संभोग करने से संबंधित सभी उत्तर पढ़ चुका हूँ, और मैं इस चीज़ के बारे में स्पष्टीकरण चाहता हूँ कि क्या उन पापों से छुटकारा पाने के लिए जिन्हें पुरूष या स्त्री ने किए हैं, कोई पश्चाताप का तरीक़ा है, जैसे उदाहरण के तौर पर कोई दुआ ॽ





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।





मासिक धर्म वाली औरत से यौनि में संभोग करना हराम (निषिद्ध) है, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :





﴿ويسألونك عن المحيض قل هو أذى فاعتزلوا النساء في المحيض ﴾ [البقرة :222]





“वे आपसे मासिक धर्म के बारे में प्रश्न करते हैं, आप कह दीजिए कि वह गंदगी है, अतः तुम मासिक धर्म मे औरतों से अलग थलग रहो।” (सूरतुल बक़रा : 222).





और जिसने ऐसा किया तो उसके ऊपर अनिवार्य है कि वह अल्लाह सर्वशक्तिमान से क्षमायाचना करे और उसके समक्ष तौबा करे, तथा जो कुछ उससे हुआ है उसके परायश्चित के तौर पर एक दीनार या आधा दीनार दान करे, जैसाकि अहमद और असहाबुस्सुनन ने अच्छी इसनाद के साथ इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस आदमी के बारे में जो अपनी औरत से उसकी मासिक धर्म की हालत में संभोग करता है, फरमाया : “वह एक दीनार या आधा दीनार दान करे।” और उन दोनों में से जो भी दान कर दे पर्याप्त होगा, . . तथा पवित्र होने अर्थात खून के बंद होने के बाद और स्नान करने से पहले उससे संभोग करना जायज़ नहीं है, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :





﴿ولا تقربوهن حتى يطهرن ﴾ [البقرة : 222]





“और उनके निकट न जाओ यहाँ तक कि वे पवित्र हो जायें।” (सूरतुल बक़राः 222)





तो अल्लाह तआला ने मासिक धर्म वाली औरत से संभोग करने की अनुमति नहीं दी है यहाँ तक कि उसका खून बंद हो जाए और वह स्नान कर पवित्रता हासिल कर ले। जिसने स्नान करने से पहले उससे संभोग कर लिया उसने पाप किया और उसके ऊपर कफ्फारा (परायश्चित) अनिवार्य है . . . अंत हुआ। देखिए किताब फतावल उलमा फी इश्रतिन्निसा पृष्ठ/51.





फत्वा स्थायी समिति





जहाँ तक उन गुनाहों से छुटकारे की बात है जिन्हें आदमी और औरत ने किए हैं तो उसके लिए प्रश्न संख्या (14289), (329) देखें।





अतः आप अल्लाह अताला के समक्ष तौबा व पश्चाताप करें, इसलिए कि आप ने आयत में वर्णित निषेद्ध का उल्लंघन किया है और अल्लाह तआला के इस फरमान का पालन नहीं किया है :





﴿ فإذا تطهرن فأتوهن من حيث أمركم الله ﴾ [البقرة :222]





“जब वे पवित्र हो कर स्नान कर लें तो तुम उन के पास उस जगह आओं जहाँ अल्लाह तआला ने तुम को आदेश दिया है।” (सूरतुल बक़रा : 222)





और वह इस प्रकार कि आप से जो कुछ हुआ है उसपर आप को पछतावा हो और उसे दुबारा न करने का संकल्प करें, और अधिक से अधिक नेकियाँ करें क्योंकि नेकियाँ बुराईयों को मिटा देती हैं, और अल्लाह तआला बड़ा क्षमा करनेवाला और बड़ा दयावान है।





इसलाम प्रश्न और उत्तर





शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद





शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद





आदमी अपनी पत्नी की छाती को अपने मुँह से पकड़ लेता है और यह केवल दिल्लगी और मनोरंजन के तौर पर करता है तो क्या उसके ऊपर इस बारे में कोई पाप है ॽ





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।





‘‘यदि उसने उससे दूध नहीं पिया है तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, और यदि उसने दूध पी लिया है तो उसके लिए ऐसा करना उचित नहीं है, और इससे वह (औरत) उसके ऊपर हराम नहीं होगी चाहे (दूध पीना) थोड़ा हो या अधिक, क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “वही दूध पीना हराम करता है जो अंतड़ियों को फाड़ दे (अर्थात जिससे पेट भर जाए), और यह दूध छुड़ाने से पहले हो।” इसे तिर्मिज़ी ने उल्लेख किया है।” अंत हुआ। (दूध पिलाने की अवधि दो वर्ष है)





आदरणीय शैख मुहम्मद बिन इब्राहीम रहिमहुल्लाह।





“फतावा शैख मुहम्मद बिन इब्राहीम” (11/188).





तथा प्रश्न संख्या (47721) का उत्तर देखिए।





और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।





इस्लाम प्रश्न और उत्तर





उस हदीस की प्रामाणिकता क्या है कि जो पत्नी अपने पति से तलाक़ मांगती वह धिक्कृत है ?





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।





औरत के लिए जायज़ नहीं है कि वह तलाक़ की मांग करे सिवाय इसके कि उसका कोई कारण मौजूद हो, जैसे पति की ओर से दुर्व्यवहार ; क्योंकि अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2226), तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1187) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2055) ने सौबान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस महिला ने भी अपने पति से अकारण तलाक़ की मांग की तो उसके ऊपर स्वर्ग की सुगंध हराम है।” इस हदीस को अल्बनी ने सहीह अब दाऊद में सही कहा है।





तथा उक़बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु से मरफूअन् रिवायत है कि : “खुलअ़् मांगने वाली महिलाएं निफाक़ वालियाँ हैं।” 





इसे तबरानी ने मोजमुल कबीर (14/339) में रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीहुल जामे (हदीस संख्या : 1934) में इसे सही कहा है।





जहाँ तक ऐसा करनेवाली औरत पर धिक्कार करने की बात है, तो इस शब्द के साथ हमें कोई हदीस नहीं मिली है।





तथा औरत के लिए तलाक़ या खुलअ मांगना् जायज़ है यदि इसका कोई कारण मौजूद है, क्योंकि बुखारी (हदीस संख्या : 4867) ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि साबित बिन क़ैस की पत्नी नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आईं और कहने लगीं : ऐ अल्लाह के पैगंबर ! मैं साबित बिन क़ैस के आचरण और धर्म पर दोष नहीं लगाती हूँ, परंतु मैं इस्लाम में कुफ्र (नास्तिकता) को नापसंद करती हूँ। तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ‘‘क्या तुम उसे उसका बागीचा लौटा सकती हो ? उसने कहा: जी हाँ। अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने (साबीत से) फरमाया : बागीचा ले लो और इसे एक तलाक़ दे दो।’’





उनका कथन : “परंतु मैं इस्लाम में कुफ्र को नापसंद करती हूँ” का मतलब यह है कि मैं ऐसे काम नापसंद करती हूँ जो इस्लाम के आदेश के विरूद्ध हैं जैसे कि पति से द्वेष रखना, उसकी अवज्ञा करना, उसके हुक़ूक़ की अदायगी न करना . . . इत्यादि। देखिए : फत्हुल बारी (9/400).





शैख इब्ने जिब्रीन हफिज़हुल्लाह ने खुलअ मांगने को उचित ठहराने वाली चीज़ों का उल्लेख करते हुए फरमाया : अगर औरत अपने पति की नैतिकता (आचार) को नापसंद करे जैसे कि वह सख्त, कठोर, तीव्र, शीघ्र प्रभावित होनेवाला, अधिक गुस्सा करनेवाला, और साधारण बात पर आलोचना करनेवाला, और छोटी सी कमी पर रोष करनेवाला है तो उसके लिए खुलअ मांगना जायज़ है।





दूसरा : अगर वह उसकी बनावट (आकृति) को नापसंद करे जैसे कि उसके अंदर कोई दोष (त्रुटि), या विकृति हो या उसकी इंद्रियों में कोई कमी हो तो उसके लिए खुलअ् का अधिकार है।





तीसरा : यदि नमाज़ छोड़ने, या जमाअत के साथ नमाज़ में लापरवाही करने, या रमज़ान में बिना शरई कारण (उज़्र) के रोज़ा तोड़ देने, या हराम चीज़ों जैसे व्यभिचार, नशा, संगीत सुनने, मनोरंजन इत्यादि में उपस्थ्ति होने की वजह से उसकी दीनदारी (धर्मनिष्ठा में कमी पाई जाती है तो उसके लिए खुलअ लेना जायज़ है।





चौथा : यदि वह खर्च या कपड़ा या ज़रूरी आवश्यकताओं से उसका अघिकार रोक दे, तो उसके लिए खुलअ मांगने का अधिकार है।





पाँचवां : यदि वह नपुंसकता, या उसमें रूचि न रखने, या किसी दूसरी की ओर झुकाव की वजह से उसे सामान्य सहवास का अधिकार नहीं देता है जिससे उसे पवित्रता व इंद्रिनिग्रह प्राप्त हो, या रात बिताने में न्याय से काम न ले तो औरत खुलअ मांग सकती है, और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।’’ अंत हुआ। तथा प्रश्न संख्या (1859) का उत्तर देखिए।





और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।



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