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उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं








मैं अद्धत मेहरिान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हँ।


إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله


فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:


हर प्रकार की हम्द िं सना (प्रशंसा और गुणगान) केिंल अल्लाह के द्धलए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की िुराई और अपने िुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, द्धिसे अल्लाह द्धहदायत प्रदान कर दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करनेिंाला नहीं, और द्धिसे गुमराह कर दे उसे कोई द्धहदायत देनेिंाला नहीं। हम्द िं सना के िाद :


उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं


अल्लाह के अद्धमतत्िं का िो ची़ि सिसे अद्धधक पता देती है िंह उसकी कारीगरी हैं द्धिसे उसने अच्छी तरह संिंारा है, और उसकी रचनाएँ हैं द्धिन्हें उसने पैदा ककया है और उसके अनुग्रह हैं िो उसने अपने आद्धमतक और नाद्धमतक दासों को प्रदान ककए हैं।


पद्धिंत्र कुरआन अल्लाह के चमत्कार और उसकी शद्धि पर सि से िडा गिंाह है। अल्लाह सिंरशद्धिमान ने उसमें अगलों और द्धपछलों के समाचार रख कदए हैं, और उसमें ऐसी अनदेखी (प्रोक्ष) िातों का खुलासा ककया है द्धिनकी मनुष्य को पहले िानकारी नहीं थी। यहाँ हम पद्धिंत्र


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कुरआन में िंर्णणत कुछ चमत्कारों को आपके सामने रखते हैं द्धिनसे अल्लाह के अद्धमतत्िं का साफ़ संकेत द्धमलता है और यह कक उसे हर ची़ि का पूिंर ज्ञान हैैः


* िंैज्ञाद्धनकों ने लौह धातु के घटकों के तथ्य का पता करने की कोद्धशश में िहुत आश्चयर का सामना ककया है। क्योंकक िो ऊिार उसके गुटों को िोडने के द्धलए दरकार हैं िंह हमारे सौर मंडल में उपलब्ध ऊिार से चार गुना िढ़कर है ... यह िात िंैज्ञाद्धनकों के द्धलए िहुत आश्चयरिनक थी; लेककन यह तथ्य इमलामी द्धिंद्वानों के द्धलए आश्चयर की िात नहीं थी द्धिन्हों ने अल्लाह सिंरशद्धिमान के इस कथन को देखा थाैः





“और हम ने लोहा भी उतारा, द्धिसमें िडी शद्धि है और लोगों के द्धलए ककतने ही लाभ है, और (ककताि एिंं तुला इसद्धलए भी उतारा) ताकक अल्लाह िान ले कक कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। द्धनश्चय ही अल्लाह शद्धिशाली, प्रभुत्िंशाली है।” (सूरतुल हदीदैः 25)


चुनाँचे मुद्धमलम द्धिंद्वानों को तुरंत पता चल गया कक अल्लाह सिंरशद्धिमान ने लोहे के द्धिंषय में “हमने उतारा” का शब्द इमतेमाल है, इससे द्धसि होता है कक लोहा के घटक पृथ्िंी के नहीं हैं िद्धल्क िंह तो आकाश से नीचे उतारा गया है । और आधुद्धनक युग में खद्धनि िंैज्ञाद्धनकों ने भी इसी की पुद्धष्ट की है कक लोहा के घटक पृथ्िंी के घटक नहीं हैं ।


* अि चद्धलए िरा हम समुद्र की गहराइयों में गोता लगाते हैं, क्योंकक समुद्र के भूिंैज्ञाद्धनकों ने पता लगाया है कक समुद्र की भूिंैज्ञाद्धनक द्धिंशेषताएं द्धिल्कुल िंही हैं िो अल्लाह सिंरशद्धिमान ने पद्धिंत्र कुरआन में उल्लेख ककया है, अल्लाह सिंरशद्धिमान का फ़रमान है :





"या किर िैसे एक गहरे समुद्र में अँधेरे, लहर के ऊपर लहर छा रही हैं; उसके ऊपर िादल है, अँधेरे है एक पर एक। िि िंह अपना हाथ द्धनकाले तो उसे िंह सुझाई देता प्रतीत न हो। द्धिसे अल्लाह ही प्रकाश न दे किर उसके द्धलए कोई प्रकाश नहीं।" (सूरतुन-नूर : ४०)


इस तथ्य का पता ऐसे ही नहीं चला, िद्धल्क इसके द्धलए सैकडों समुद्री टर्णमनल की मथापना हुई ... और उपग्रह के द्वारा तमिंीरें ली गईं, ति िाकर इस तथ्य का खुलासा हुआ ... इस िात के कहनेिंाले (Professor Rash Ryder) प्रोिेसर राश राइडर पद्धश्चम िमरनी में सिसे िडे समुद्र िंैज्ञाद्धनकों में से एक हैं, उन्होंने इन आयतों को सुन कर कहा कक : यह ककसी मनुष्य का शब्द नहीं हो सकता है। एक दूसरे प्रोिेसर आते हैं, और िंह समुद्र भूद्धिंज्ञान के प्रोिेसर डोरिारो हैं, िो हमारे द्धलए िंैज्ञाद्धनक दृद्धष्टकोण से इन आयतों की प्रामाद्धणकता की व्याख्या करते हुए कहते हैं : "अतीत में मनुष्य द्धिना मशीन के इमतेमाल के िीस मीटर से अद्धधक समुद्र की गहराई में गोता नहीं लगा सकता था .. लेककन अि हम आधुद्धनक उपकरणों के माध्यम से समुद्र की गहराई में गोता लगाते हैं तो हम दो सौ मीटर की गहराई पर िहुत अद्धधक अंधेरा पाते हैं . . िैसा कक कुरआन की आयत ﴿بٍّ ﴾ “िहररन लुज्जी” (एक गहरे समुद्र में) में िंर्णणत ककया गया है।


इसी तरह समुद्र की गहराइयों की खोि ने हमें अल्लाह तआला के कथनैः


 (अँधेरे हैं एक पर एक) के अथर की एक तमिंीर प्रदान करती है।


क्योंकक यह िात सिंर ज्ञात है कक इन्द्रधनुष के सात रंग होते हैं . . उनमें लाल, पीला, नीला, हरा, नारंगी आकद है . . िि हम समुद्र की गहराई में गोता लगाते हैं तो एक के िाद एक ये रंग लुप्त हो िाते हैं .. और हर रंग का लुप्त होना अंधेरा पैदा करता है . . सिसे पहले लाल रंग लुप्त होता है, किर नारंगी, किर पीला .. सिसे आद्धखर में गायि लुप्त होनेिंाला नीला रंग होता है िो दो सौ मीटर की गहराई पर लुप्त होता है .. हर लुप्त होने िंाला रंग अंधेरे का एक द्धहमसा पैदा करता है यहाँ तक कक पूणर अंधकार तक पहुँच िाता है ..


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िहाँ तक अल्लाह सिंरशद्धिमान के कथन : ﴿مَ ﴾ (लहर के ऊपर लहर छा रही हैं) की िात है, तो म्ष्ट रहे कक िंैज्ञाद्धनक रूप से यह द्धसि हो चुका है कक समुद्र के गहरे द्धहमसे और ऊपरी भाग के िीच एक द्धिंभािन रेखा है .. और यह अंतराल लहरों से भरा हुआ है। गोया समुद्र के गहरे अंधेरे द्धहमसे के ककनारे पर लहरें हैं, द्धिन्हें हम नहीं देख पाते हैं। तथा समुद्र की सतह पर भी लहरें हैं, द्धिनको हम देखते हैं . . अतैः मानो कक िंहाँ लहर के ऊपर लहर है . . याद रहे कक यह एक िंैज्ञाद्धनक तथ्य है द्धिसकी पुद्धष्ट हो चुकी है। इसीद्धलए प्रोिेसर दोरिारो (Professor Dorjaro) ने कुरआन की इन आयतों के द्धिंषय में साफ़ साफ़ कहा है ककैः यह मानिं ज्ञान नहीं हो सकता।''


यही िंह अल्लाह है अगर अभी तक आप ने उसको नहीं पहचाना है !!


उसकी द्धनशाद्धनयों और उसकी रचनाओं में मननवचतन कीद्धिए !


आकाशों को देद्धखए उन्हें द्धगरने से कौन रोकता है ?


धरती को देद्धखए उसे आपके पैरों के नीचे कैसे समतल िनाया है ?


हर सांस लेने और सांस छोडने की प्रकिया को देद्धखए, उस प्रणाली को कौन द्धनयंद्धत्रत करता है ?


द्धनैःसंदेह, िंह अल्लाह ही है द्धिसके अलािंा कोई पूिा योग्य नहीं, िो िीद्धिंत है और सिको संभालनेिंाला है ।


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