संकलन:
ख़ाललद अल-खखलीवी
لو عرفوك لأحبوك الهندية -
अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
संकलन:
खाललद अल-लखलीवी
1443 लहजरी, 2022 ई०
लिपोल़िट संख्या : ... /1443 लहजरी
आईएसबीएन : 978-603-02-6219-9
प्रथम संस्करण : 1443 लहजरी, 2022 ई०
प्रथम संस्करण
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
लप्रय पाठक! आपका स्वागत है!
मैं महान अल्लाह -लजसने आकाशों तथा धरती को बनाया है- से प्राथथना करता ह ूँ लक वह आपको एवं आपके सभी चाहने वालों को ख़ुश रखे तथा स्वस्थ रखे और जब आपको यह प़ुलस्तका लमले, तो आप अच्छे, स्वस्थ और स़ुरलित हों।
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मैंने पैगंबर म़ुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- की सम्पूणथ जीवनी दजथनों बार पढी है।
इसी तरह मैंने पूरा क़ुरआन, जो अल्लाह ने उनपर उतारा है, सैकडों बार पढा है।
मैंने पाया है लक हृदय इस नबी से म़ुहब्बत लकए बगैर, उनकी जीवनी से संत़ु एवं ईमानदारी से आश्वस्त हुए बगैर नहीं रह सकता है।
लिर मैंने इस जीवनी को पढकर आपके ललए क़ुछ स़ुंदर बातों का चयन लकया है।
संभवतः यह आपको पसंद आएूँ, इस द़ुलनया में आपके ललए मागथदशथक बनें, आपकी आत्मा को शांलत प्रदान करें, आपका हृदय इनसे संत़ु हो जाए एवं आप ख़ुशी महसूस करें।
आपका भाई: खाललद लबन अब्द़ुल्लाह
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- जब अल्लाह ने म़ुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- को उनके सम़ुदाय की ओर नबी बनाकर भेजा, तो इसका सबसे बडा उद्देश्य था लोगों को केवल एक अल्लाह की इबादत की ओर ब़ुलाना और उस मागथ पर चलाना, लजसे अल्लाह ने लोगों के ललए च़ुना है। क्योंलक अल्लाह ही ने लोगों को पैदा लकया है तथा वही जानता है लक उनके ललए क्या अच्छा है। नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लाम- इस मामले में पहले आने वाले नलबयों -उनपर अल्लाह की शांलत हो- की तरह ही हैं।
आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- कोई समाज स़ुधारक या ब़ुलिमान लवचारक नहीं थे, बलल्क आप अल्लाह की ओर से भेजे गए एक रसूल थे, जो महान एवं उच्च अल्लाह की वह्यी (प्रकाशना) के अऩुसार चलते थे।
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- प्राचीन य़ुग में एक आदमी से पूछा गया : त़ुम नबी म़ुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- पर ईमान क्यों लाए, तो उसने बहुत स़ुंदर उत्तर लदया। उसने कहा : मैंने उनको पाया लक वह लकसी ऐसी ची़ि का आदेश नहीं देते हैं, लजससे मानव लववेक रोके, तथा लकसी ऐसी ची़ि से नहीं रोकते हैं, लजसे मानव लववेक करने का आदेश दे।
इस आधार पर, मैं इस प़ुलस्तका के अंत में संपकथ और प्रश्न के ललए एक ललंक भी दूूँगा।
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- अल्लाह ने आपको सभी इंसानों की ओर नबी बनाकर भेजा। आप अंलतम नबी थे। इसललए आपका चमत्कार कयामत तक बाकी रहेगा। वह चमत्कार है, यह क़ुरआन, लजसके द्वारा अल्लाह ने अरब के भाषालवदों को च़ुनौती पेश की लक वे उसकी तरह कोई लकताब, या दस सूरतें या कम से कम एक सूरा ही ले आएूँ। परन्त़ु वे असमथथ रहे। यह च़ुनौती आज तक कायम है।
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- अल्लाह ने क़ुरआन को चौदह सौ साल पूवथ उतारा और हर ग़ु़िरते लदन एवं बढते वैज्ञालनक लवकास तथा खोज के साथ इस चमत्कार की महानता एवं म़ुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- के संदेश की सच्चाई ही सालबत हुई है।1
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- नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- की दावत अथाथत आह्वान कोई ऐसा दशथन नहीं था, लजसको समझना या लागू करना लोगों के ललए म़ुलश्कल हो। बलल्क यह स्प एवं सरल था, लजसे हर पढा ललखा एवं अनपढ व्यलि समझ सकता है। यह आसानी एवं िमता पर आधाररत है।
ऐसा भी नहीं है लक इस्लाम धमथ एक िेत्र लवशेष के ललए है एवं दूसरे िेत्र के ललए नहीं, बलल्क यह जीवन के हर िेत्र के ललए एक सम्पूणथ संलवधान है। उच्च एवं महान अल्लाह ने ख़ुद क़ुरआन के अंदर क़ुरआन के लवषय में कहा है : ''इस क़ुरआन को रम़िान के महीने में उतारा गया है। यह लोगों को स़ुपथ लदखाने वाला है।'' [सूरा अल-बकरा : 185] तथा सूरा इसरा में कहा है : ''वास्तव में, ये क़ुआथन वह िगर लदखाता है, जो सबसे सीधी है और उन ईमान वालों को श़ुभ सूचना देता है, जो सदाचार करते हैं लक उन्हीं के ललए बहुत बडा प्रलतिल है।'' [सूरा अल-इस्रा : 9]
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- अब्द़ुल्लाह लबन सलाम -अल्लाह उनसे रा़िी हो-, जो पहले यह दी थे और बाद में म़ुसलमान हो गए, कहते हैं : मैं उन लोगों के साथ था, जो मदीने में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- के मदीना आने की प्रतीिा कर रहे थे। जब मेरी ऩिर उनके चेहरे पर पडी, तो मैं जान गया लक उनका चेहरा लकसी झूठे का चेहरा नहीं है। सबसे पहली बात जो मैंने उनको कहते हुए स़ुनी, यह थी : ''ऐ लोगो! सलाम िैलाओ,
1 अलधक लवस्तार के ललए यूट्यूब पर ''क़ुरआन का बडा चमत्कार'' के लवषय पर िा० जालकर नायक के व्याख्यान और बहस को देखा जा सकता है।
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
ररश्तों-नातों का खयाल रखो, लोगों को खाना लखलाओ और रात में जब लोग सो रहे हों तो उठकर नमा़ि पढो, (इसके िलस्वरूप) त़ुम स़ुरलित रूप से जन्नत में प्रवेश पा जाओगे।''
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- अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- 40 वषों तक अपने सम़ुदाय के साथ मक्का में रहे। मक्का वाले उन्हें सालदक (सच्चा) एवं अमीन (अमानतदार) कहकर प़ुकारते थे। जब वे यात्रा में लनकलते, तो अपनी अमानतें उनके पास रख देते थे।
अल्लाह ने जब उन्हें रसूल के तौर पर च़ुना और वह लोगों को एक अल्लाह की इबादत करने तथा हराम, व्यलभचार, अन्याय और गैर कानूनी हत्या से दूर रहने की ओर ब़ुलाने लगे, तो उनमें से बहुतों ने उनसे द़ुश्मनी कर ली। परन्त़ु अंजाम असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर सामने आया। उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : ''मोलमनों की सहायता करना हम पर अलनवायथ है।'' [सूरा अल-रूम : 47]
उन लोगों के पास बहुत बडा अवसर था लक वे सत्य की ओर ब़ुलाने वाले नबी की मदद करते! परन्त़ु उन लोगों ने घमंि लकया तथा म़ुूँह िेर ललया। अंततः घाटे में रहे।
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- हमारे नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- की सबसे बडी लवशेषता यह थी लक आप लनकटवती या दूर वाले, छोटे या बडे, सबके साथ इंसाफ़ करने के ललए जाने जाते थे। आप लकसी भी आदमी पर ़ि़ुल्म करने को हराम करार देते थे, चाहे एक रुपया के द्वारा ही क्यों न हो। आपने कहा है : ''अत्याचार से बचो, क्योंलक अत्याचार कयामत के लदन अंधकार का कारण होगा।'' उन्होंने यह भी कहा है : ''यलद म़ुहम्मद की बेटी (मेरी बेटी) फ़ालतमा भी चोरी करती, तो मैं उसका हाथ काट देता।''
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- लोगों को बताते थे लक अल्लाह के लनकट पैमाना धन की बहुतायत, न ही ब़ुलि की प्रच़ुरता और न ही व्यापक सामालजक संबंध है। बलल्क, यह मापदंि हृदय की पलवत्रता, लवश्वास (ईमान) की महानता, नैलतकता की स़ुंदरता, अच्छे व्यवहार, वाणी की सत्यता और अच्छे कमथ करने का है। आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने फ़रमाया है : ''लकसी अरबी को लकसी गैर अरबी पर और लकसी गैर अरबी को लकसी अरबी पर, लकसी गोरे को लकसी काले पर और लकसी काले को लकसी गोरे पर कोई वरीयता प्राप्त नहीं है। अगर वरीयता प्राप्त है, तो धमथलनष्टा एवं परहे़िगारी की ब़ुलनयाद पर।'' ख़ुद अल्लाह ने अपनी लकताब में कहा है : ''अल्लाह के लनकट त़ुम्हारे अंदर सबसे अलधक प्रलतष्टा वाला व्यलि वह है, जो सबसे अलधक तकवा वाला हो।'' [सूरा अल-हुज़ुरात : 13]
इससे बढकर लघनौना अत्याचार और क्या होगा लक लकसी व्यलि को उसके चेहरे के रंग, नाम, उसके माता-लपता के धमथ, उसकी नागररकता मात्र या ऐसी ची़ि की ब़ुलनयाद पर मापा जाए, जो उसके हाथ में नहीं है। वह तो सवथज्ञानी एवं कृपावान अल्लाह की सृल है।
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- पैगंबर -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- वैवालहक संबंधों को इतना महत्व देते थे लक आपने, वह मूल स्तंभ लजसपर अलनवायथ रूप से पररवार की नींव रखी जानी चालहए, शरई लववाह को करार लदया। इसललए लक यही वह म़िबूत ब़ुलनयाद है, लजसपर ऊूँची इमारत खडी हो सकती है। इसके अलतररि आपने सभी दरवा़िों को बंद कर लदया, लजनकी म़ुसीबतों एवं शारीररक तथा मानलसक रोगों से द़ुलनया आज तक जूझ रही है।
आप इस मामला में लोगों के ललए एक बेहतरीन आदशथ हैं। आपने कहा है : ''त़ुममें से सबसे बेहतर व्यलि वह है, जो अपने पररवार के ललए बेहतर है और मैं अपने पररवार के ललए त़ुममें सबसे बेहतर ह ूँ।''
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
लववाह नाम है म़ुहब्बत, दया, सहयोग, पलवत्रता, सत्यता एवं प्रलशिण का। यह सब, उम्मत में एक नेक पररवार का सृजन करने के ललए है।
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- सबसे पहले कतथव्यों में से लजनका अल्लाह ने अपने नबी को आदेश लदया था, एक कतथव्य नमा़ि पढना है। लदन-रात में पाूँच वक़्त की नमा़िें फ़़िथ हैं, लजनका मलस्जद में जमात के साथ पढना ़िरूरी है। जहाूँ तक औरतों की बात है, तो उनके ललए घरों में नमा़ि पढना ही उत्तम एवं स़ुलवधाजनक है।
नमा़ि नाम है महान अल्लाह का सम्मान करने, अलधक से अलधक उसको याद करने, उसकी प्रशंसा करने एवं इंसान को इस द़ुलनया में लजसकी भी ़िरूरत हो, उसे उससे मांगने का। क्योंलक वही उसका रब है, लजसने उसे पैदा लकया है एवं उसकी जीलवका की गारंटी ली है।
नमा़ि से पहले व़िू करना आवश्यक है। व़िू ख़ुले रहने वाले अंगों को धोने का नाम है (जैसे - चेहरा, कोहनी समेत दोनों हाथों को धोना, सर का मसह करना एवं टखनों समेत दोनों पैरों को धोना।)
यह आदेश इसललए है लक आदमी दोनों पलवत्रता को जमा कर ले। व़िू द्वारा बाहरी पलवत्रता एवं नमा़ि द्वारा हृदय तथा आत्मा की पलवत्रता।
तलनक उस व्यलि की स्वच्छता की कल्पना करें जो इन समयों में हर लदन अपने आपको धोता है लक उसकी स्वच्छता एवं पलवत्रता कैसी होगी?!
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नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- अत्यंत स़ुंदर छलव और अद्भ़ुत जीवन के माललक थे। अतः मैंने आपकी जीवनी से बहुत सारी बातें सीखी हैं। उनमें से क़ुछ बातें इस प्रकार हैं :
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम से सीखा है लक
अल्लाह ने लोगों को आ़िाद पैदा लकया है। मगर यह आ़िादी बेलगाम नहीं है। यलद यह आ़िादी आपको या लकसी दूसरे को शारीररक या मानलसक तौर पर क पहुूँचाने लगे, तो आपकी आ़िादी की सीमा वहीं खत्म हो जाती है।
आपकी आ़िादी का अथथ यह नहीं है लक जब आप गलती पर हों, तो उस समय भी आपको कोई उपदेश नहीं दे सकता है। ध्यान रहे लक एक समृि जीवन सहयोग, नसीहत एवं म़ुहब्बत पर ही आधाररत है।
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
पडोलसयों के अलधकारों की स़ुरिा करूूँ, उनके साथ अच्छा व्यवहार करूूँ, वे मेरी ओर से क एवं ऩुक़्सान पहुूँचने से स़ुरलित रहें और मैं जब-तब उनके साथ खाने का आदान-प्रदान करूूँ, तालक आपस में म़ुहब्बत बढे एवं आत्मीयता परवान चढे।
आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने िरमाया है : ''लजबरील (अलैलहस्सलाम) म़ुझे बराबर पडोसी के बारे में ताकीद करते रहे, यहाूँ तक लक म़ुझे लगने लगा लक वह उसे वाररस बना देंगे।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मैं बाहरी रूप से साि कपडे और स़ुंदर इत्र के द्वारा ख़ुद को खूबसूरत बनाऊूँ एवं अंदर से भी स़ुंदरता अपनाऊूँ। अतः अच्छी नीयत रखूूँ, दूसरों की भलाई के बारे में सोचूूँ, उनकी सिलता पर खूश होऊूँ एवं उनके ललए वही पसंद करूूँ, जो अपने ललए पसंद
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
करूूँ। आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने िरमाया है : ''अल्लाह स़ुन्दर है एवं स़ुन्दरता को पसंद करता है।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
स़ुन्दरता, नंगेपन की त़ुलना में, पदे से अलधक झलकती है। जब भी इंसान और लवशेषकर औरतें पदे में होती हैं, तो वह अलधक स़ुन्दर एवं खूबसूरत लगती हैं। जब भी नंगापन बढता है, तो बदसूरती एवं म़ुसीबतें ज़्यादा होने लगती हैं।
यलद इंसान अपने असली स्वभाव की ओर लौट आए, तो जान जाएगा लक पदाथ को पसंद करना एवं नंगापन से दूर भागना उसके मूल स्वभाव में दालखल है।
आप इसको उस समय आसानी से जान जाएंगे, जब आप त़ुलना करेंगे उन देशों में होने वाले अपराधों की, लजनमें नंगापन आम है, उन देशों के साथ, जो नंगेपन की अऩुमलत नहीं देते हैं। ऐसा करने से आपके सामने वास्तलवकता ख़ुलकर आ जाएगी।
महान एवं उच्च अल्लाह ने सूरा अल-आराफ़ में कहा है : ''हे आदम की संतान, हमने त़ुमपर ऐसा वस्त्र उतारा है, जो त़ुम्हारे ग़ुप्तांगों को छ़ुपाता है, तथा वह शोभा है, एवं धमथलनष्टा का वस्त्र ही सबसे अच्छा वस्त्र है।'' [सूरा अल-आराफ़ : 26]
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मैं बच्चों से प्यार करूूँ, उनपर दया करूूँ, उनके ललए नम्रता धारण करूूँ, उनके संबंध में धैयथ रखूूँ, उनकी तरलबयत के ललए प्रयासरत रह ूँ, तालक वे अपने समाज के सिल व्यलि सालबत हों।
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
जो लोग उनपर रहम नहीं करते, बलल्क उनको प्रतालडत करते हैं, जैसा लक जंगों इत्यालद में होता है, वे अल्लाह की रहमत से वंलचत रहते हैं तथा उनको द़ुलनया एवं आलखरत में कदायक स़िा की धमकी दी गई है।
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने कहा है : ''जो हमारे छोटों पर दया न करे और हमारे बडों का सम्मान न जाने, वह हममें से नहीं है।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मेरे शरीर का भी म़ुझपर अलधकार है, जैसे उसको लाभदायक तथा हलाल खाना लखलाना और हर उस लनवाला से दूर रहना, जो हराम स्रोत से आया हो या ऐसे खाने से दूर रहना, जो मेरे शरीर को वतथमान या भलवष्य में ऩुकसान पहुूँचाए। नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने फ़रमाया है : ''हर वह मांस, जो हराम माल से तैयार हुआ हो, आग उसका अलधक हकदार है।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम से सीखा है लक
शरीर एवं वस्त्र के पाक व साफ़ होने से पूवथ मेरी ़ि़ुबान तथा हृदय साफ़-स़ुथरे हों, तालक मेरे ललए दोनों प्रकार की स़ुन्दरता इकट्ठी हो जाए।
क्योंलक जो पाक अल्लाह चाहता है लक त़ुम बाहरी तौर पर स़ुन्दर लदखो, वही पाक अल्लाह यह भी चाहता है लक त़ुम अंदरूनी तौर पर भी साफ़ व स़ुन्दर हो जाओ।
उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : "लनश्चय अल्लाह तौबा करने वालों तथा पलवत्र रहने वालों से प्रेम करता है।" [सूरा अल-बकरा: 222]
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
इंसान को अपनी पत्नी के साथ सहवास करने के बाद अलनवायथ रूप से नहाना चालहए, तालक वह पलवत्र और च़ुस्त रहे। जो इस ची़ि को आ़िमाएगा, वह इस धालमथक लवधान की स़ुन्दरता को जान जाएगा।
यही आदेश मालसक धमथ वाली औरत के ललए है। जब वह पाक हो जाए, तो उसपर नहाना वालजब है तथा उससे पहले भी नहाते रहना उसके ललए म़ुस्तह़ब (अच्छा) है।
यह सारे आदेश इसललए हैं लक इन्सान पाक रहे और शारीररक एवं मानलसक उत्तम पररणामों का लाभ उठाए।
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
अल्लाह तआला के लनकट माता-लपता का अलधकार बहुत बडा है। लोगों में माता-लपता ही सबसे अलधक अच्छे व्यवहार, अच्छी संगलत तथा धैयथपूणथ आचरण के हकदार हैं।
अल्लाह तआला ने उनकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी एवं उनकी नारा़िगी में अपनी नारा़िगी रखी है। आज द़ुलनया में माता-लपता के अलधकारों का जो बडे पैमाने पर हनन हो रहा है, उनसे आपको सबक हालसल करना चालहए। आज आप औलाद के अपने माता-लपता के साथ द़ुव्यथवहार की ऐसी-ऐसी बातें स़ुनेंगे लक लवश्वास करना म़ुलश्कल हो जाएगा। जबलक अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने फ़रमाया है : ''क्या मैं त़ुम्हें सबसे बडे ग़ुनाहों के बारे में नहीं बताऊूँ? हम लोगों ने कहा : क्यों नहीं हे अल्लाह के रसूल! आपने िरमाया : (तो स़ुनो) अल्लाह के साथ लशकथ करना और माता-लपता की अवज्ञा करना। आप टेक लगाकर बैठे हुए थे। लेलकन उठकर सीधा होकर
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
बैठ गए और िरमाया : तथा आगाह हो जाओ, झूठी बात कहना एवं झूठी गवाही देना! खबरदार हो जाओ, झूठी बात कहना एवं झूठी गवाही देना! आप इस बात को इतनी बार दोहराते रहे लक हमें लगा लक आप च़ुप नहीं होंगे।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
माता-लपता के कंधे पर, औलाद बहुत बडी ल़िम्मेदारी है।
अल्लाह कयामत के लदन माता-लपता से उनके संबंध में प्रश्न करेगा। माूँ-बाप पर वालजब है लक वे अपनी औलाद के साथ नरमी से पेश आएं, उनको अच्छी तरलबयत दें और ख़ुद उनके ललए रोल मॉिल बनें।
औलाद के साथ माूँ-बाप का ररश्ता कभी खत्म नहीं होता है। यह ररश्ता जीवन के अंत तक कायम रहता है। (यह संबंध) वैसा नहीं होना चालहए, जैसा लक द़ुलनया के बहुत सारे देशों में होता है लक 18 वषों के बाद बच्चों को घर से लनकाल लदया जाता है। उनके बीच वास्तलवक ररश्ता टूट जाता है। लजसके नतीजे में बबाथदी और लबगाड जन्म लेती है, लजसकी प़ुल बहुत सारे देशों के सरकारी आंकडे करते हैं।
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मैं बीमार को देखने जाऊूँ, उनके ललए द़ुआ करूूँ, उनके हृदय को प्रसन्न करने का प्रयास करूूँ और इलाज में उनकी मदद करूूँ, यद्यलप वह उनमें से न हो, लजनको मैं जानता ह ूँ। अल्लाह अपने बन्दों से यह चाहता है लक वे उसके बन्दों का भला करें। उसने कहा है : ''उपकार का बदला उपकार ही है।'' [सूरा अल-रहमान : 60]
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
दूसरों के साथ भलाई करने के कारण भलाई करने वाले के हृदय में असीम स़ुख एवं आनंद का संचार होता है।
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मैं अपनी ़ि़ुबान या हाथ से लकसी को ऩुकसान न पहुूँचाऊूँ, चाहे वह कोई जानवर ही क्यों न हों। आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने म़ुझे बताया है लक एक मलहला को इसललए स़िा हुई, क्योंलक उसने एक लबल्ली को बाूँध कर रखा था। न उसको ख़ुद खाना लदया और न ही उसे छोडा लक वह धरती की ची़िों को खाए। बलल्क नबी सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम ने समस्त सृल के साथ उपकार करने का आदेश लदया है, चाहे वह इंसान हो, जानवर हो या पेड-पौधा। आपने िरमाया है : ''अल्लाह ने प्रत्येक ची़ि में एहसान (उपकार) को अलनवायथ करार लदया है।'' तथा अल्लाह तआला ने कहा है : ''और भलाई करो, अल्लाह भलाई करने वालों को पसंद करता है।'' [सूरा अल-बकरा : 195] इसी तरह सवथशलिमान एवं महान अल्लाह ने कहा है : ''धरती पर लबगाड पैदा न करो।'' [सूरा अल-बकरा : 11] एक अन्य स्थान में कहा है : ''और धरती पर उसके स़ुधार के बाद, फ़साद न िैलाओ।'' [सूरा अल-आराफ़ : 56]
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
सभी नबी भाई-भाई हैं और वे एक ही समान ची़ि की तरि लोगों को ब़ुलाते थे। सारे नबी अल्लाह को एक जानने और मानने का आह्वान करते थे एवं नैलतक आदशों, जैसे- सत्य, न्याय, अमानत, दान, भलाई के कामों में सहयोग को लाल़िम पकडने और झूठ, अत्याचार, धोखा, खयानत, व्यलभचार, शराब एवं सोचने-समझने की िमता को प्रभालवत करने वाली तमाम ची़िों से दूर रहने की लशिा देते थे।
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
उनके दरलमयान लभन्नता केवल इबादत, जैसे नमा़ि और रो़िे आलद के तौर-तरीकों में थी। सबसे पहले नबी आदम -अलैलहस्सलाम- थे एवं सबसे अंलतम नबी व रसूल म़ुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- हैं।
ईसा -अलैलहस्सलाम- भी अल्लाह के बन्दे एवं उसके रसूल थे। अल्लाह ने उनको एवं उनकी माता मयथम -अलैहस्सलाम- को अनेक प्रकार केलचमत्कार प्रदान लकए थे।
अल्लाह तआला ने क़ुरआन में 25 बार ईसा -अलैलहस्सलाम- का उल्लेख लकया है। उनकी माूँ मयथम अलैहस्सलाम के नाम से क़ुरआन में एक पूरी सूरा ही मौजूद है।
मैं ने आप सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम से सीखा है लक सभी नलबयों से प्यार करूूँ, क्योंलक वे अल्लाह के लनकट सृलयों में सबसे अच्छे हैं।
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
मैं लकसी का उसके रूप, नागररकता, उसके बात करने के अंदा़ि या उसकी चाल-ढाल के कारण म़िाक न उडाऊूँ। हो सकता है वह अल्लाह के लनकट म़िाक उडाने वाले से बेहतर हो और हो सकता है लक उसके ब़ुरे लदन ग़ु़िर जाएं एवं लस्थलत बदल जाए। आपको अलधक से अलधक अल्लाह की प्रशंसा करनी चालहए एवं उसका धन्यवाद करते रहना चालहए।
अल्लाह तआला ने सूरा हुज़ुरात में कहा है : ''हे ईमान वालों, त़ुममें से कोई सम़ुदाय लकसी सम़ुदाय का म़िाक न उडाए। हो सकता है वह उससे अच्छा हो, एवं औरतें दूसरी औरतों का म़िाक न उडाएूँ। हो सकता है वे उनसे अच्छी हों।'' [सूरा अल-हुज़ुरात : 11]
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अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें
- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
इंसान कभी न कभी अवश्य भूल करता है। इसललए उस पर वालजब है लक वह लजतनी जल्दी हो सके, अपनी गलती को स्वीकार करे, तौबा करे एवं हर संभव अपनी गलती को स़ुधारने की कोलशश करे। सत्य की ओर लौटना असत्य पर अडे रहने से बेहतर है। नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने िरमाया है : ''आदम की प्रत्येक संतान गलती करती है और गलती करने वालों में सबसे उत्तम लोग वह हैं, जो अत्यलधक तौबा करने वाले होंंं।''
तथा (मैंने सीखा लक) गलती यलद अल्लाह के हक में हो, तो तौबा करूूँ, माफ़ी चाह ूँ और अपने रब से िमा करने एवं दर-ग़ु़िर करने की भीख मांगूूँ।
लेलकन गलती यलद बन्दे के हक में हो, तो उससे माफ़ी माूँगूंूंं और लबना क़ुछ कमी लकए उसका अलधकर उसको लौटा दूूँ।
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जीवन पररवार के बीच सहयोग और समन्वय पर आधाररत होना चालहए। यलद कोई सही कर रहा है, तो आप उसको धन्यवाद दें, उसकी लहम्मत बढाएं और यलद कोई गलती कर रहा है, तो उसको सही मागथ लदखाएं तथा उसे लसखाएं। क्योंलक इंसान अकेला बहुत कम़िोर है और अपने भाइयों के साथ लमल कर म़िबूत हो जाता है। अल्लाह तआला ने कहा है : ''तथा आपस में नेकी एवं संयमता में सहयोग करते रहो और ब़ुराई एवं अत्याचार में सहयोग न करो।'' [सूरा अल-माइदा : 2] जबलक अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम ने िरमाया है : ''धमथ खैरख़्वाही (एक-दूसरे का लहत चाहने) का नाम है।''
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उपहार भले ही छोटा हो, परंत़ु प्यार बढाता है। इससे स़ुन्दर और क्या बात होगी लक इंसान कभी-कभी अपनी पत्नी, पररवार एवं दोस्तों को उपहार पेश करे. तालक उनके बीच म़ुहब्बत एवं अपनापन परवान चढे। अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- ने िरमाया है : ''एक-दूसरे को उपहार लदया करो, इससे त़ुम्हारा आपसी प्रेम बढेगा।''
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
शरीर की सफ़ाई ़िरूरी है। लकसी भी व्यलि के ललए जाय़ि नहीं है लक वह 40 लदन से अलधक अपने बगल के बालों, नाखूनों या दूसरी ची़िों के साफ़ करने में देरी करे। यलद इस अवलध से पहले साफ़ कर ले तो और उत्तम एवं बेहतर है। इन्सान लजतना पाक-साफ़ रहेगा, वह अपने ललए एवं दूसरों के ललए उतना ही अलधक स्वीकायथ होगा। अल्लाह तआला ने कहा है : "लनश्चय अल्लाह तौबा करने वालों तथा पलवत्र रहने वालों से प्रेम करता है।" [सूरा अल-बकरा: 222]
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- मैंने आप -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है लक
पूरे रम़िान महीने का रो़िा रखूूँ, जब तक मैं उसकी िमता रखूूँ। रम़िान अरबी नौवां महीना है। इसी महीने में अल्लाह ने नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- पर क़ुरआन उतारा था। रो़िा भोर से ले कर सूयाथस्त तक खाने, पीने एवं पत्नी से संभोग करने से दूर रहने का नाम है।
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इस रो़िा में स्वास््य है, आत्मा की पलवत्रता है, शरीर की सफ़ाई है, धैयथ का प्रलशिण है एवं उन गरीबों की भावनाओं का सम्मान है, लजनको पूरे वषथ (भर पेट) खाना नहीं लमलता है। इसके अलावा भी दूसरे बडे लाभ हैं।
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अंत में कहना है लक
ये क़ुछ ऐसी बातें हैं, लजनको मैंने अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैलह व सल्लम- से सीखा है। उम्मीद है लक अल्लाह इस मीठे नहर एवं स़ुन्दर बगीचे के संबंध में और ललखने की शलि प्रदान करेगा।
लनम्न में क़ुछ वेबसाइट हैं, लजनसे आप लाभ उठा सकते हैं या लकसी ची़ि के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं :
Edialoguec.sa
Slamreligion.com
अलधक जानकारी एवं अपनी भाषा में संदभथ प़ुस्तकों के ललए इस वेबसाइट को देख सकते हैं :
Islamhouse.com
हे हमारे रब!
मेरे शब्दों में बरकत दे तथा इन्हें द़ुलनया व आलखरत में मेरे एवं मेरे चाहने वालों के ललए रौशनी बना दे। आमीन।
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