उपदेश का शीर्षक:
प
ू
जा मेंअल्लाह को एक मानना अननवार्षहै।
प्रथम उपदेश:
प्रशंसाओंके पश्चात:
सवषश्रेष्ठ बात अल्लाह की बात हैएवंसवोत्तम मार्षमोहम्मद सल्लल्लाह
ु
अलैहह
वसल्लम का मार्षहै। दष्
ु
टतम चीज़ धमषमेंअववष्करित बबदअ़त (नवाचाि) हैं
2
औि प्रत्र्ेक बबदअ़त (नवोन्मेर्) र्
ु
मिाही हैऔि हि र्
ु
मिाही निक मेंलेजाने
वाली है।
ए म
ुसलमानो! अल्लाह तआ़ला सेडिो औि उसका भर् िखो उसकी आज्ञाकारिता
किो औि उसकी अवज्ञा सेबचो औि र्ह जान लो कक अल्लाह तआ़ला का सबसे
बडा आदेश तौहीद़ (एके श्विवाद) हैतौहीद़ का (अथष) हैउपासना मेंअल्लाह को
एक जानना औि मानना (इस प्रकाि कक) आप के वल उसी की प
ू
जा किेंउसके
साथ ककसी को साझी ना बनाएंवह ऐसा उद्देश हैजजसके कािण ही अल्लाह ने
मन
ु
ष्र् एवंजजन्न को पैदा ककर्ा, अल्लाह िब्ब
ु
ल आ़लमीन का कथन है:
अथाषत: " मनैंेमन
ु
ष्र् एवंजजन्न को के वल अपनी प
ू
जा के ललए पैदा ककर्ा। "
इब्नेतैलमर्ा िहमतु
ल्लाहह अलैहह फ़िमातेहैं
:
" नमाज़, ज़कात,( दान दक्षिणा) िोज़ा (उपवास) ह़ज, सच बोलना, अमानत को
प
ूिा किना, माता वपता के साथ सुंदि व्र्वहाि किना, परिजनों के साथ उत्तम
व्र्वहाि किना, प
ु
ण्र् का आदेश देना, औि पाप सेिोकना, काकफ़ि एवंकपटीर्ों
सेजजहाद किना, पडोसी, ग़िीब, र्ात्री औि ग़ल
ु
ामों केसाथ सुंदि व्र्वहाि किना,
पश
ु
ओंके साथ अच्छा व्र्वहाि किना, प्राथषना, जज़क्र व अज़काि, पववत्र कुिआन
का सस्वि पाठ औि इस प्रकाि के अन्र् कार्षप
ू
जा मेंशालमल होतेहैं।
इसी प्रकाि अल्लाह औि उसके िसू
ल (संदेशवाहक) सेप्रेम किना, अल्लाह का
भर् िखना, औि उसकी ननकटता प्राप्त किना, अल्लाह के धमषको श
ुद्ध किना,
उसके आदेश पि सब्र किना, उसकी नेमत (क
ृ
पा) का धन्र्वाद किना, उसके
3
ननणषर् सेप्रसन्न होना, उस पि ववश्वास किना, उसकी क
ृ
पा का आशा किना,
उसकी र्ातना का भर् िखना भी अल्लाह की प
ू
जा मेंशालमल हैं।"
इब्न-ए-तैलमर्ा िहमतु
ल्लाहह अलैहह का कथन समाप्त ह
ु
आ।
ए अल्लाह के बंदो (दास)! नन: संदेह पैग़बि औि संदेशवाहकों की दावत तौहीद
के इसी प्रकाि अथाषत एके श्विवाद मेंशालमल थी।, अल्लाह का कथन है:
अथाषत: " इससेप
ू
वषजो भी िसू
ल (संदेशवाहक) हम नेभेजा उसकी ओि र्ही
वह़्र् अवतरित की कक मेिेअनतरिक्त कोई सत्र् पिमेश्वि नहींहै, इसललए तु
म
सब के वल मेिी ही प
ू
जा किो।"
समस्त पैग़ंबि (संदेशवाहक) अपनेसम
ुदार् सेर्ही कहा कितेथे:
ٱۡمُاُدوا :65۟ )
अथाषत: " अल्लाह की प
ू
जा किो औि उसके अनतरिक्त कोई तु
म्हािा पिमेश्वि
नहीं।"
ए मोलमनो! समस्त असत्र् पि मेश्विों की अनतरिक्त अल्लाह ही प
ू
जा व उपासना
का पात्र है, इसका सबसेबडा साक्ष्र् र्ह हैकक उसनेअके लेइस संसाि को पैदा
ककर्ा इसमेंकोई उसका साझी एवं सहार्क नहीं, रुब
ू
बीर्त के अंदि िचना,
िाजशाही, उपार् औि रिज़्कक प्रदान किना भी शालमल है। िचनाकाि एवंपालनहाि
िोज़ी प्रदान किनेवाला, आदेश देनेवाला, औि उपार् किनेवाला के वल अल्लाह
ही है।
अल्लाह तआला िचना मेंअपनेअके लेपन का उल्लेख कितेह
ु
ए फ़िमार्ा:
अथाषत: " अल्लाह हि वस्तु
को पैदा किनेवाला औि हि चीज़ का जज़म्मा लेने
वाला है।"
िाजशाही मेंअपनेअके लेपन को स्पष्ट कितेह
अथाषत: " वह अल्लाह तु
म्हािा िब है, उसी की बादशाही है, उससेहटकि जजनको
तु
म प
ु
काितेहो वह एक खज
ूि की र्
ु
ठली के नछलके का भी माललक नहीं।"
"ककतमीि" सफ़े द पतलेनछलके को कहतेहैं, जो खज
ूि की र्
ु
ठली पि होता है।
आदेश लार्
ूकिनेऔि उपार् किनेमेंउसके अके लेहोनेका साक्ष्र् र्ह है:
अथाषत: " औि हि मामला उसी की ओि पलट ता है।"
संसाि का संचालन, जजसमेंजीवन एवंमत्ृ
र्
ुदेना, वर्ाषएवंसू
खा उत्पन्न किना,
धनी एवं र्िीब बनाना, स्वस्थ एवं िोर्ी किना, शांनत प्रदान किना एवं भर्
उत्पन्न किना औि इनके अनतरिक्त वेसमस्त चीज़ेंशालमल हैं, जो इस संसाि
मेंघटती हैं, वेसमस्त अल्लाह के आदेश सेही घटतेहैं।
िोज़ी प्रदान किनेमेंअल्लाह के अके लेहोनेका साक्ष्र् अल्लाह का र्ह कथन है:
अथाषत: " ननश्चर् अल्लाह ही िोज़ी देनेवाला शजक्तशाली दृढ़ है।"
ए म
ुसलमानो! एके श्विवाद का ववपिीत अल्लाह के साथ बह
ु
देववाद किना है।
बह
ु
देववाद र्ह हैकक: ककसी भी प
ू
जा को अल्लाह के अनतरिक्त के ललए किना
इस प्रकाि के मन
ु
ष्र् अल्लाह के ललए कोई ऐसा साझी बना लेजजसकी वह उसी
प्रकाि प
ू
जा किेजजस प्रकाि अल्लाह की प
ू
जा किता है, उससेउसी प्रकाि डिेजजस
प्रकाि वह अल्लाह सेडिता है, ककसी भी उपासना के माध्र्म सेउसी प्रकाि
5
उसकी ननकटता प्राप्त किेजजस प्रकाि अल्लाह की ननकटता प्राप्त किता है, उन
लोर्ों के जैसा जो कब्रों की प
ू
जा कितेहैं, उनकेललए बलल चढ़ातेहैंउनका तवाफ़
(चक्कि) कितेहैं, उनके चौखट को च
ू
मतेहैं, औि उनसेबिकत प्राप्त कितेहैं,
उनका र्ह ववश्वास होता हैकक र्ह कब्र वालेिोज़ी-िोटी प्रदान कितेहैंअथवा
लाभ हानन पह
ुंचातेहैंइसी प्रकाि अन्र् कार्षप
ूिा कितेहैं।
र्ह ऐसेबह
ु
देववादी कार्षहैंजो दासों केललए ववश्वास प्रबल कि देतेहैंकी असत्र्
पिमेश्वि के अनतरिक्त अल्लाह ही समस्त प्रकाि की प
ू
जाओंका पात्र है।
अल्लाह के दासो! बह
ू
देववाद वह सबसेबडी अवज्ञा हैजजससेअल्लाह नेिोका है
अल्लाह तआ़ला नेअपनेपैग़ंबि सेफ़िमार्ा:
अथाषत: " तु
म्हािी ओि औि जो तु
मसेपहलेर्
ुज़ि च
ु
के हैंउनकी ओि भी वह्य़
की जा च
ु
की हैकक र्हद तु
मनेलशकष ककर्ा तो तु
म्हािा ककर्ा धिा अननवार्षत:
अकाित हो जाएर्ा औि तु
म अवश्र् ही घाटेमेंपडनेवालों मेंसेहो जाओर्े,बजल्क
अल्लाह ही की बंदर्ी किो औि क
ृतज्ञता हदखानेवालों मेंसेहो जाओ।"
नन: संदेह अल्लाह नेबह
ू
देववाद केललए बडी र्ातना ननजश्चत की हैअल्लाह का
कथन है:
अथाषत: " जो कोई भी अल्लाह का साझी ठहिाएर्ा उस पि अल्लाह नेस्वर्षको
ह़िाम कि हदर्ा कि हदर्ा हैऔि उसका हठकाना निक हैअत्र्ाचािों का कोई
सहार्क नहीं।"
ऐ ववश्वालसर्ो ! अल्लाह नेबह
ू
देववाद को असत्र् घोवर्त कि हदर्ा हैजजसके
अनेक इस्लामी एवंताककष क प्रमाण हैं, जहांतक इस्लामी साक्ष्र् की बात हैतो
उसका उदाहिण अल्लाह का र्ह कथन है:
अथाषत: " जो कोई भी अल्लाह का साझी ठहिाएर्ा उस पि अल्लाह नेस्वर्षको
ह़िाम कि हदर्ा हैऔि उसका हठकाना निक हैअत्र्ाचािों का कोई सहार्क
नहीं।"
जहां तक बह
ु
देववाद को असत्र् कि देनेवालेताककष क साक्ष्र् की बात हैतो वे
अनेक हैंसबसेमहत्वप
ू
णषर्ह दो साक्ष्र् साक्ष्र् हैं
:
१-प्रथम साक्ष्र् र्ह हैकक बह
ु
देववादी जजन पिमेश्विों की प
ू
जा कितेहैंउनके
अंदि एके श्विवाद का कोई लिण नहींपार्ा जाता हैवेऐसेजीव हैंजो िचना नहीं
कि सकतीं, अपनेप
ू
जनेवालों को लाभ पह
ुंचा सकतीं औि न ही हानन पह
ुंचा
सकतींन उनकी मत्ृ
र्
ु
व जीवन उनके हाथ मेंहै, ना ही आकाश औि पथ्
ृ
वी की
कोई अन्र् चीज़, औि न ही वह अल्लाह को अपनी संपवत्त मेंसाझी कि सकती हैं
अल्लाह का कथन है:
अथाषत: " किि भी उन्होंनेउससेहटकि ऐसेइष्ट-प
ू
ज्र् बना ललए जो ककसी चीज़
को पैदा नहींकिते, बजल्क वेस्वर्ंपैदा ककए जातेहैं, उन्हेंना तो अपनी हानन का
अधधकाि प्राप्त हैऔि ना लाभ का औि ना उन्हेंमत्ृ
र्
ु
का अधधकाि प्राप्त हैऔि
ना ही जीवन का औि ना दोबािा जीववत होकि उठनेका।"
अल्लाह तआ़ला नेइसके अनतरिक्त फ़िमार्ा:
अथाषत: " कह दो, अल्लाह को छोडकि जजनका तु
म्हें(उपास्र् होनेका) दावा है
उन्हेंप
ु
काि कि देखो वेना आकाश मेंकण भि चीज़ के माललक हैंऔि ना ही
धिती मेंऔि ना उन दोनों मेंउनका कोई साझी हैऔि उनमेंसेकोई उसका
सहार्क है। औि उसकेर्हांकोई लसिारिश काम नहींआएर्ी ककंतुउसी की जजसे
उसने(लसिारिश किनेकी) अन
ु
मनत दी हो, र्हां तक कक जब उनके हदलों से
घबिाहट दिू हो जाएर्ी तो वेकहेंर्े
: तु
म्हािेिब नेक्र्ा ककर्ा? वेकहेंर्े: सवषथा
सत्र्, औि वह अत्र्ंत उच्च महान हैजब उन पिमेश्वि की र्ह जस्थनत हो तो
उनको पिमेश्वि मानना प्रलर् स्ति की म
ू
खतष ा औि प्रलर् स्ति की ननिाधाि बात
है।"
२-अल्लाह के दासो! बह
ु
देववाद के असत्र् होनेका द्ववतीर् साक्ष्र् र्ह हैकक र्ह
बह
ु
देववादी इस बात को मानतेहैंकक नन: संदेह अल्लाह ही के वल पालनहाि एवं
िचनाकाि हैजजसके हाथ मेंहि चीज़ की बादशाहत है, वही म
ु
जक्त प्रदान किता
है, उसकी र्ातना सेकोई म
ु
जक्त देनेवाला नहीं( बह
ु
देववादीर्ों के इस ववचाि से)
र्ह बात आवश्र्क रूप सेसमझ मेंआती हैकक वह एके श्विवाद मेंअल्लाह को
8
एक मानतेथेजजस प्रकाि रुब
ू
बीर्त ( पालनहाि मानना) मेंअल्लाह को एक
मानतेथेजैसा कक अल्लाह का कथन है:
अथाषत: "ए लोर्ो! बंदर्ी किो अपनेिब की जजस नेतु
म्हेंऔि तु
म सेपहलेके
लोर्ों को पैदा ककर्ा ताकक तु
म पिहेज़र्ाि बन सको वही हैजजसनेतु
म्हािेललए
ज़मीन को फ़शषऔि आकाश को छत बनार्ा औि आकाश सेपानी उतािा किि
उसके द्वािा हि प्रकाि की पैदावाि की औि िल तु
म्हािी िोज़ी केललए पैदा ककर्ा
अत: जब तु
म जानतेहो तो अल्लाह के ललए सहकमी ना ठहिाओ।"
इन समस्त प्रमाणों के आधाि पि हि वह चीज़ जजसेपिमेश्वि मानकि अल्लाह
के अनतरिक्त अथवा अल्लाह के साथ उसकी प
ू
जा की जाए, उसकी प
ू
जा असत्र्
एवंननिाधाि है, जैसा कक अल्लाह तआ़ला का कथन है:
अथाषत: " र्ह इसललए कक अल्लाह ही सत्र् हैऔि जजसेवेउसको छोड कि
प
ु
काितेहैंवह सब असत्र् हैंऔि र्ह कक अल्लाह ही सवोच्च महान है।"
अल्लाह मेिेऔि आपकेललए पववत्र कुिआन मेंबिकत डाल दे, म
ुझेऔि आपको
आर्त व हह़कमत पि आधारित पिामशषके माध्र्म सेलाभ पह
ुंचाए, मैंअपनी
र्ह बात कहतेह
ु
ए अल्लाह सेअपनेललए औि आप सबकेललए िमा प्राप्त किता
ह
ूं, आप भी उस सेिमा प्राप्त किें, नन: संदेह वह अपनेपापों की िमा प्राप्त किने
वालेको अनत िमा प्रदान किनेवाला वाला है।
9
द्ववतीर् उपदेश:
प्रशंसाओंके पश्चात:
आप र्ाद िखें-अल्लाह आप पि क
ृ
पा किे- कक उपासनाओ मेंसबसेअधधक
जजनमेंलोर् अल्लाह औि उसके जीव को एक दसू िेका साझी बनातेहैं, वह
प्राथषना है,कुिआन एवं ह़दीस के अंदि प्राथषना को मात्र अल्लाह के ललए श
ुद्ध
किनेके महत्व औि अल्लाह के अनतरिक्त सेप्राथषना किनेसेरुकनेपि ज़ोि
हदर्ा र्र्ा हैअल्लाह का कथन है:
अथाषत: "अपनेिब को धर्डधर्डा कि औि च
ु
पके च
ु
पके प
ु
कािो।"
अल्लाह नेइसके अनतरिक्त फ़िमार्ा:
अथाषत: " र्ा वह जो व्र्ग्र की प
ु
काि सु
नता हैजब वह उसेप
ु
कािेऔि तकलीफ़
दिू किता हैऔि तु
म्हेंधिती मेंअधधकािी बनाता है।"
अल्लाह का कथन है:
अथाषत: " औि जब तु
मसेमेिेबंदेमेिेसंबंध मेंप
ू
छेतो मेंतो ननकट ही ह
ूं प
ु
काि
का उत्ति देता ह
ूंजब वह म
ुझेप
ु
कािता है।"
अल्लाह तआ़ला का र्ह भी कथन है:
अथाषत: " अल्लाह सेउसका उदाि दान चाहो।"
अनेक रूप एवंसू
त्रों मेंकुिआन केअंदि ३०० ववलभन्न स्थानों पि प्राथषना केअंदि
अल्लाह के अके लेपन का साक्ष्र् आर्ा है।
ए अल्लाह के दासो! प्राथषना मेंइख़्लास (श
ुद्धता) को अपनाओ, तु
म्हेंसफ़लता
लमलेर्ी। पैग़म्बि सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम नेफ़िमार्ा:
अथाषत: " जजस व्र्जक्त की मत्ृ
र्
ुइस जस्थनत मेंहो कक वह अल्लाह के अनतरिक्त
अन्र् को भी अल्लाह का साझी बनाता िहा तो वह निक मेंजाता है।" 1{ इसे
ब
ुखािी(४४९७)नेववविण ककर्ा है।}
सह़ीह़ैन (ब
ुखािी व म
ु
जस्लम) मेंहैकक पैग़म्बि सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम से
प्रश्न ककर्ा र्र्ा कक अल्लाह तआ़ला के ननकट सबसेबडा पाप क्र्ा है? पैग़म्बि
सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम नेफ़िमार्ा:
अथाषत: "र्ह कक तु
म अल्लाह के साथ ककसी को बिाबि मानो जबकक अल्लाह ही
नेतु
मको पैदा ककर्ा है।"
2{इसेब
ुखािी( ४७६१) एवं म
ु
जस्लम( ८६) नेइब्नेमसऊद िजज़ अल्लाह
ु
अन्ह
ु
से
वणषन ककर्ा है।}
"ननद" का अथष समान औि बिाबि के हैं। हि वह व्र्जक्त जजसनेअल्लाह के
अनतरिक्त सेप्राथषना की अथवा उससे सहार्ता मांर्ी अथवा उसके ललए बलल
चढ़ाई अथवा उसके ललए ककसी प्रकाि की प
ू
जा की मानो उसनेउसेअल्लाह के
साथ बिाबि माना चाहेजजसे(सामान्र् स्थान हदर्ा जा िहा है) वह कोई पैग़ंबि
11
हो, अथवा वली, कोई िाजा हो,अथवा जजन्न, कोई म
ू
नतषहो अथवा कोई अन्र्
जीव।
कुिआन मेंदो स्थानों पि अल्लाह नेअपनेअनतरिक्त अन्र् सेप्राथषना किनेको
असत्र् औि ननिाधाि घोवर्त कि हदर्ा है, प्रथम स्थान सुिह-ए-ह़ज के अंदि है,
अल्लाह का कथन है:
ٰ
अथाषत: "र्ह इसललए कक अल्लाह ही सत्र् हैऔि जजसेवेउसको छोड कि
प
ु
काितेहैंवह सब असत्र् हैं।"
द्ववतीर् स्थान सूिह-ए-ल
ुकमान के अंदि है, अल्लाह का कथन है:
ٰ
अथाषत: "र्ह इसललए कक अल्लाह ही सत्र् हैऔि जजसेवेउसको छोड कि
प
ु
काितेहैंवह सब असत्र् हैं।"
ऐ म
ुसलमानो! प्राथषना के अंदि बह
ु
देववाद प्राचीन काल मेंभी पार्ा र्र्ा औि
आध
ु
ननक काल मेंभी पार्ा जाता है, चाहेर्ह बह
ु
देववाद म
ू
ल बह
ु
देववादीर्ों के
मध्र् हो जैसेइसाई जजन्होनेमसीह सेप्राथषना की, अथवा भाितीर् धमों केमानने
वालों मेंहो जो र्ार् को प
ुकाितेहैंतथा अपनेहाथों सेबनाए ह
ु
ए प्रनतमाओंऔि
ब
ुतों से प्राथषना किते हैं,इनके अनतरिक्त भी अनेक लोर् हैंजो प्राथषना में
बह
ु
देववाद कितेहैं। इसी प्रकाि क
ु
छ ऐसे दलों के र्हां भी प्राथषना के अंदि
बह
ु
देववाद पार्ा जाता हैजो अपना संबंध इस्लाम की ओि कितेहैं,जैसेवह
अनतशर्ोजक्तप
ू
णष सूफ़ी र्ण जो अपने ब
ुज़ु
र्ों को प
ु
कािते हैंऔि उनसे
12
श
ु
भकामनाएंप्राप्त कितेहैं, इसी प्रकाि वेिवाकफ़ज़ (अस्वीकाि किनेवाला) जो
अहल-ए-बैत (आप सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम के परिवाि) को प
ु
काितेहैं, इसी
प्रकाि कब्र प
ू
जनेवालेलोर् जो कब्र वालेको प
ु
काितेहैंर्ह समस्त लोर्ों का इस
प्रकाि के बह
ु
देववाद के बावज
ूद र्ह भ्रम िखतेहैंकक वह म
ुसलमान हैंऔि
पैग़म्बि सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम सेप्रेम किनेवालेहैंजबकक इस्लाम उनके
बह
ु
देववाद सेम
ु
क्त है, हम इस प्रकाि की अंधभजक्त सेअल्लाह का शिण चाहते
हैंऔि अल्लाह सेर्ह प्राथषना कितेहैंकक वह हमािेऊपि एके श्विवाद व सु
न्नत
का क
ृ
पा अंत तक बनाए िखेआप र्ाद िखें-अल्लाह आप पि दर्ा किे- कक
अल्लाह नेआपको एक बडेकार्षका आदेश हदर्ा हैअल्लाह का कथन है:
अथाषत: "अल्लाह तआ़ला एवंउसके देवदतू उस पैग़ंबि पि िह़मत (क
ृ
पा) भेजते
हैंए ववशवालसर्ो! तु
म भी उन पि अधधक सेअधधक दरूुद (अलभवादन) भेजते
िहा किो।"
पैग़ंबि सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम नेअपनेसम
ुदार् को श
ुक्रवाि के हदन अपने
ऊपि अधधक सेअधधक दरूुद (इलभादन) भेजनेका अाादेश हदर्ा हैआपका कथन
है:
अथाषत: " तु
म्हािेपववत्र हदनों मेंसेश
ुक्रवाि का हदन हैइसीललए उस हदन तु
म
लोर् म
ुझ पि अधधक सेअधधक दरूुद (अलभवादन) भेजा किो, क्र्ोंकक तु
म्हािा
दरूुद म
ुझ पि प्रस्तुत ककर्ा जाता है।"
13
हेअल्लाह तू
अपनेबंदेव िसू
ल (दास एवं संदेशवाहक) मोह़म्मद सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम पि दर्ा, क
ृ
पा एवं शांनत भेज, तू
उनके खु
लफ़ा (मोह़म्मद
सल्लल्लाह
ु
अलैहह वसल्लम के उत्तिाधधकािीर्ों) ताबेईन (समथषक) एवंकर्ामत
तक आनेवालेसमस्त आज्ञाकार्ों सेप्रसन्न हो जा!
हे अल्लाह! इस्लाम एवं म
ुसलमानों को सम्मान एवं प्रनतष्ठा प्रदान कि,
बह
ु
देववाद एवं बह
ु
देववाहदर्ों को अपमाननत कि दे,तू
अपनेएवं इस्लाम के
शत्रओ
ु ंएवंवविोधीर्ों को नाश कि दे,तू
अपनेम
ु
वजह्य़हद बंदों (अव्दैतवाहदर्ों) को
सहार्ता प्रदान कि। हेअल्लाह! तूहमािेदेशों को शांनतप
ू
णषबना दे, हमािेइमामों
(प्रनतननधधर्ों), शासकों को सु
धाि दे, उन्हेंहहदार्त (सही मार्ष) का ननदेश दे,
औि हहदार्त पि चलनेवाला बना दे।
हेअल्लाह! तूसमस्त म
ु
जस्लम शासकों को अपनी प
ुस्तक को लार्
ूकिनेएवं
अपनेधमषके उत्थान की तौफ़ीक प्रदान कि, उनको उनके प्रजा के ललए िह़मत
(दर्ा) का कािण बना दे।
हेअल्लाह ! जो हमािेप्रनत, इस्लाम औि म
ुसलमानों के प्रनत ब
ुिाई का भाव
िखतेहैं, उसेतू
अपनी ही ज़ात मेंव्र्स्त कि देऔि उसके फ़िेब व चाल को
उलटा उसके के ललए वबाल बना दे।
हेअल्लाह! म
ुद्रास्िीनत, महामािी, ब्र्ाज बलात्काि, भ
ू
कंप एवंआज़माइशों को
हमसेदिू कि देऔि प्रत्र्ेक प्रकाि केआंतरिक एवंबाह्यर् कफ़त्नों (उत्पीडनों) को
हमािेऊपि सेउठा ले,सामान्र् रूप सेसमस्त म
ु
जस्लम देशों सेऔि ववशेर् रूप
14
सेहमािेदेशों सेऐ दोनों जहांके पालनहाि! हेअल्लाह! हमािेऊपि सेमहामािी
को दिू कि दे, नन: संदेह हम म
ुसलमान हैं।
हेहमािेिब! हमेंदन
ु
नर्ा औि आखखित मेंसमस्त प्रकाि की अच्छाई दे, औि
निक की र्ातना सेहम को म
ु
जक्त प्रदान कि।
ए अल्लाह के दासो! ननिःसंदेह अल्लाह तआला न्र्ार् का, अच्छाई का एवं
परिजनों के साथ सुंदि व्र्वहाि का आदेश देता है, अलशष्ट र्नतववधधर्ों एवं
क्रूिता व दरु
ु
पर्ोर् सेिोकता है। वह स्वर्ंतु
म्हेंपिामशषदेता हैकक तु
म नसीहत
प्राप्त किो।
तु
म अल्लाह का जज़क्र (र्ाद )किो वह तु
म्हेंर्ाद किेर्ा उसकी नेमतों पि उसके
आभािी िहो वह तु
म्हेंअधधक नेमतें(आशीवाषद) देर्ा अल्लाह का जज़क्र बह
ु
त बडी
चीज़ है, अल्लाह तु
म्हािेसमस्त कार्ों एवंर्नतववधधर्ों सेअवर्त है।
लेखक: माजजद बबन सु
लेमान अलिसी
०५ िबी-उल-सानी ,सन्१४४२ हहजिी
ज
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बैल,सऊदी अिब
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वाद: िैज़ुि िह़मान हह़िज़ुि िह़मान तैमी
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