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पतवत्र पानी से वज़ू िथा स्नान करना:


पतवत्र पानी से मुराद हर वह पानी है जो आसमान से बरसा हो या धरिी से िूटा हो और अपनी असल अवस्था पर बाकी हो, और उसके िीन गुणों यानी रंग, स्वाद िथा गंध में से कोई गुण तकसी ऐसी चीज़ के कारण न बदला हो जो पानी की पतवत्रिा को समाप्त कर देिी है।


21 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


वज़ू का तरीक़ा:


पहला काम: नीयि करना। नीयि का स्थान तदल है। इसका अथव है, अल्लाह की तनकटिा प्राप्त करने हेिु तदल में तकसी इबादि की नीयि करना।


दूसरा चरण: दोनों हथेतलयों को धोना।


िीसरा चरण: कुल्ली करना।


कुल्ली करने का मिलब है मुाँह में पानी डालकर अंदर घुमाना और उसके बाद बाहर तनकाल देना।


चौथा चरण: नाक में पानी लेना।


नाक में पानी लेने का अथव है, सांस के माध्यम से नाक के अंतिम भाग िक पानी ले जाना।


उसके बाद नाक झाडना। यानी नाक के अंदर जो गंदतगयााँ हों, उन्हें सााँस द्वारा तनकाल बाहर करना।


पााँचवााँ चरण: चेहरे को धोना।


चेहरे की सीमाएाँ:


चेहरा शरीर के उस भाग को कहिे हैं तजससे तकसी का सामना होिा है।


चौडाई में इसकी सीमा एक कान से दूसरे कान िक है।


जबतक लंबाई में इसकी सीमा सर के बाल उगने के सामान्य स्थान से ठुड्डी के अंतिम भाग िक है।


चेहरे को धोने में उसके हल्के बाल, उसका सफ़ेद भाग और कान के सामने की परियों को धोना भी शातमल है।


सफ़ेद भाग से मुराद कान के सामने की पिी और कान की लौ के बीच का भाग है।


कान के सामने की पिी से मुराद वह बाल हैं जो कान के तछद्र के सामने की उभरी हुई हड्डी के ऊपर होिी है, तजसका तवस्िार ऊपर में सर के अंदर िक और नीचे कान के सामने के भरे हुए भाग िक रहिा है।


22 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


इसी िरह चेहरे को धोने की अतनवायविा में दाढी के घने बालों का बाहरी और लटका हुआ भाग भी शातमल है।


छठा चरण: दोनों हाथों को उाँगतलयों के तकनारों से कोहतनयों िक धोना।


हाथों के साथ कोहतनयों को धोना भी फ़ज़व है।


सािवााँ चरण: हाथों से पूरे सर का, कानों के साथ ,एक बार मसह (छूना) करना।


मसह का आरंभ सर के अगले भाग से करिे हुए दोनों हाथों को गुद्दी िक ले जायेगा और तिर उनको वापस लायेगा।


और दोनों िजवनीयों को अपने दोनों कानों में डालेगा।


और अपने दोनों अंगोठों को कानों के ज़ातहरी भाग के चारों ओर िेरेगा और इस प्रकार कान के बाहरी एवं भीिरी भाग का मसह करेगा।


आाँठवााँ चरण: दोनों पैरों को उाँगतलयों के तकनारों से एतडयों िक धोना। पैरों को धोिे समय टखनों को धोना भी फ़ज़व है।


टखनों से मुराद तपंडली के सबसे तनचले भाग में दो उभरी हुई हड्तडयााँ है।


वज़ू, तनम्नलिखखत कारणों से टूट जाता है:


1- दोनों रास्िों से तनकलने वाली चीज़ें से, जैसे पेशाब, पाखाना, वायु, वीयव और मज़ी।


2- गहरी नींद, झपकी, नशा अथवा पागलपन के कारण अक़्ल के लुप्त हो जाने से।


3- स्नान को अतनवायव करने वाली सारी चीज़ें, जैसे जनाबि, माहवारी और प्रसवोिर रक्तस्रवण आतद।


जब इन्सान पेशाब या पाखाना करे, िो उसे अतनवायव रूप से गंदगी को या िो पतवत्र करने वाले पानी से साफ़ करना है, जो तक उिम है, या तिर अन्य गंदगी दूर करने वाली वस्िुओं से जैसे पत्थर, तमिी, पेपर अथवा कपडे आतद से साफ़ करना है। इस शिव के साथ तक िीन अथवा अतधक बार इस िरह साफ़ करना है तक सफ़ाई प्राप्त हो जाए िथा तकसी पतवत्र एवं हलाल वस्िु से साफ़ तकया जाए।


23 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


चमडे एवं कपडे आहद के मोज़ों पर मसह


जब इन्सान चमडे अथवा कपडे आतद का मोज़ा पहना हुआ हो, िो उन्हें धोने की बजाय उनपर मसह तकया जा सकिा है। लेतकन कुछ शिों के साथ, जो इस प्रकार हैं:


1- उन्हें छोटी िथा बडी नापातकयों से संपूणव पतवत्रिा, तजसमें पैरों को भी धोया गया हो, प्राप्त करने के बाद पहना जाए।


2- दोनों मोज़े पतवत्र हों, नापाक नहीं।


3- मसह अपनी तनयि अवतध में तकया जाए।


4- मोज़े हलाल हों। मसलन चुराए हुए या छीने हुए न हों।


अरबी शब्द "الخف " से मुराद पिले चमडे आतद का मोज़ा है। इसी के समान वह जूिे भी हैं, जो दोनों कदमों को ढााँपे होिे हैं।


जबतक अरबी शब्द "الجورب " (अल-जौरब) से मुराद कपडे आतद का मोज़ा है। अरबी में इसे "ال ر شاب " (अश्शराब) भी कहा जािा है।


मोज़ों पर मसह की अनुमति का रहस्य


मोज़ों पर मसह करने की अनुमति दरअसल मुसलमानों को आसानी प्रदान करने के तलए दी गई है, तजन्हें मोज़ा रखकर पैरों को धोने में कतठनाई का सामना करना पडिा है, तवशेष रूप से जाडे के मौसम में, सख़्ि ठंडी के समय और यात्रा में।


मसह की अवतध:


मसह की अवतध तनवासी के तलए एक तदन एक राि (24 घंटा) है।


जबतक यात्री के तलए िीन तदन िीन राि (72 घंटा) है।


मसह की इस अवतध का आरंभ वज़ू टूटने के बाद मोज़े पर पहले मसह से होगा।


मोज़ों पर मसह का िरीका:


1- दोनों हाथों को िर तकया जाए।


24 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


2- हाथ को कदम के ऊपरी भाग (उाँगतलयों के तकनारों से तपंडली के आरंतभक भाग िक) पर िेरा जाए।


3- दाएाँ कदम का मसह दाएाँ हाथ से और बाएाँ कदम का मसह बाएाँ हाथ से तकया जाएगा।


मसह को तनष्प्रभावी करने वाली चीज़ें:


1- हर वह चीज़ तजसके कारण स्नान वातजब होिा हो।


2- मसह की अवतध का समाप्त हो जाना।


लनान


जब कोई पुरुष अथवा स्त्री संभोग करे या तिर नींद अथवा जागने की अवस्था में वासना से उसका वीयव स्खलन हो जाए, िो दोनों पर स्नान करना वातजब होगा, िातक नमाज़ पढ सकें एवं अन्य ऐसे कायव कर सकें, तजनके तलए िहारि (पाक होना) अतनवायव है। इसी िरह जब कोई स्त्री माहवारी एवं तनफ़ास (प्रसवोिर रक्तस्रवण ) से पतवत्र हो, िो नमाज़ पढने या अन्य कोई ऐसा कायव करने से पहले तजसके तलए िहारि अतनवायव है, उसपर स्नान करना अतनवायव है।


स्नान का िरीका कुछ इस प्रकार है:


स्नान का िरीका यह है तक मुसलमान तकसी भी िरह से हो, अपने पूरे शरीर में पानी बहाए, तजसमें कुल्ला करना िथा नाक झाडना भी शातमल है। पूरे शरीर पर पानी बहा देने से बडी नापाकी दूर हो जाएगी और पतवत्रिा प्राप्त हो जाएगी।


जुंबी जब िक स्नान न कर ले, तनम्नतलतखि कायव नहीं कर सकिा:


1- नमाज़।


2- काबा का िवाफ़।


3- मतस्जद में रुकना। यतद न रुके, िो केवल गुज़र जाने की अनुमति है।


4- मुसहफ़ को छूना।


5- कुरआन पढना।


तयम्मुम


25 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


जब तकसी मुसलमान को पतवत्रिा प्राप्त करने के तलए पानी न तमल सके या तकसी रोग आतद के कारण पानी का प्रयोग न कर सके और नमाज़ का समय तनकल जाने का भय हो, िो वह तमिी से ियम्मुम करेगा।


इसका िरीका यह है तक अपने हाथों को एक बार पतवत्र तमिी पर मारे और उनसे केवल अपने चेहरे िथा दोनों हथेतलयों का मसह करे। इसके तलए तमिी का पाक होना शिव है।


ियम्मुम तनम्नतलतखि चीज़ों से टूट जािा है:


1- ियम्मुम उन िमाम चीज़ों से खत्म जािा है, तजनसे वज़ू खत्म होिा है।


2- ियम्मुम तजस काम के तलए तकया गया है, उसे शुरू करने से पहले पानी तमल जाने से भी ियम्मुम टूट जािा है।


26 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


नमाज कैसे पढें


अल्लाह ने मुसलमान पर तदन एवं राि में पााँच वक़्ि की नमाज़ें फ़ज़व की हैं, और वह हैं: फ़ज्र, ज़ुहर, अस्र, मतिब िथा इशा।


नमाज़ के तलए िैयारी


जब नमाज़ का समय हो जाए िो यतद मुसलमान छोटी नापाकी में या बडी नापाकी में हो, िो उससे पतवत्रिा प्राप्त करेगा।


बडी नापाकी से मुराद वह नापाकी है तजसके कारण मुसलमान पर स्नान करना अतनवायव हो जािा है।


छोटी नापाकी से मुराद वह नापाकी है तजसके कारण मुसलमान पर वज़ू करना अतनवायव होिा है।


मुसलमान पाक वस्त्र धारण कर, पतवत्र स्थान में, अपने शरीर के ढााँपने योग्य भागों को ढााँपकर नमाज़ पढेगा।


मुसलमान नमाज़ के समय उतचि वस्त्र से सुशोतभि होकर उपतस्थि होगा और अपने शरीर को ढााँपकर रखेगा। पुरुष के तलए नमाज़ की तस्थति में नातभ िथा घुटने के बीच के भाग के तकसी भी अंग को खोलना जायज़ नहीं है।


स्त्री के तलए नमाज़ की अवस्था में चेहरे िथा दोनों हथेतलयों के अतिररक्त शरीर के अन्य तकसी भाग को खोलना जायज़ नहीं है।


नमाज़ की हालि में कोई मुसलमान नमाज़ के साथ खास अज़कार िथा दुआओं के अतिररक्त कोई शब्द ज़बान से नहीं तनकालेगा, इमाम को ध्यान से सुनेगा, िथा नमाज़ की अवस्था में इधर-उधर नहीं देखेगा। लेतकन यतद नमाज़ में पढी जाने वाली कुरआन की आयिें, अज़कार िथा दुआओं को याद न कर सके, िो नमाज़ के अंि िक अल्लाह को याद करेगा और उसकी पतवत्रिा बयान करेगा और जल्द से जल्द नमाज़ िथा उसके अज़कार एवं दुआओं को याद कर लेगा।


आएं अब नमाज़ सीखिे हैं


चरण 1 : उस नमाज़ की नीयि करना तजसे अदा करना हो। याद रहे तक नीयि तदल से होिा है।


27 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


वज़ू कर लेने के बाद तकबला की ओर मुाँह कर लेंगे और यतद शतक्त हो िो खडे होकर नमाज़ पढेंगे।


चरण 2: दोनों हाथों को दोनों कंधों के बराबर उठाना है और नमाज़ में प्रवेश करने के इरादे से "अल्लाहु अकबर" कहना है।


चरण 3: हदीस में आई हुई दुआ-ए-इसतिफ़िाह (नमाज़ आरंभ करने की दुआ) पढना है। एक दुआ-ए-इसतिफ़िाह इस प्रकार है: "सुबहानकल्लाहुम्मा व तबहतम्दका, व िबारक्स्मुका, व िआला जद्दुका, व लाइलाहा गैरुका" (िू पतवत्र है ऐ अल्लाह! हम िेरी प्रशंसा करिे हैं, िेरा नाम बरकि वाला है, िेरी मतहमा उच्च है िथा िेरे तसवा कोई सच्चा पूज्य नहीं है)।


चरण 4: धुिकारे हुए शैिान से अल्लाह की शरण मााँगना है। वह इस िरह: "मैं बतहष्कृि शैिान से अल्लाह की शरण में आिा ह ाँ।"


चरण 5: तिर हर रकाि में सूरा फ़ातिहा पढना है, जो इस प्रकार है: "शुरू करिा ह ाँ अल्लाह के नाम से जो बडा दयालु एवं अति कृपावान है।" "सारी प्रशंसा अल्लाह ही के तलए है, जो सारे संसारों का पालनहार है। जो अत्यंि कृपाशील िथा दयावान है। जो प्रतिकार (बदले) के तदन का मातलक है। (हे अल्लाह) हम केवल िेरी ही उपासना करिे हैं िथा कवल िुझ ही से सहायिा मााँगिे हैं। हमें सुपथ (सीधा मागव) तदखा। उनका मागव, तजनको िूने पुरष्कृि तकया। उनका नहीं, तजन पर िेरा प्रकोप हुआ और न ही उनका, जो कुपथ (गुमराह) हो गए।"


सूरा फ़ातिहा के बाद प्रत्येक नमाज़ की केवल पहली िथा दूसरी रकाि में कुरआन का तजिना भाग हो सके, पढना है। यह यद्यतप वातजब नहीं है, लेतकन इससे बडा प्रतििल प्राप्त होिा है।


चरण 6: उसके बाद " الله أك ب " कहेंगे और तिर इस िरह रुकू करेंगे तक पीठ सीधी रहे, दोनों हाथ दोनों घुटनों पर रहें और उनकी उाँगतलयााँ एक-दूसरी से अलग रहें। तिर रुकू में कहेंगे: " سبحان ر ب العظي م " अथावि् मेरा महान पालनहार पतवत्र है।


28 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


चरण 7: रुकू से सर ," سمع الله لمن حمد ه " कहिे हुए और अपने दोनों हाथों को कंधों के बराबर उठािे हुए, उठाएंगे ,तिर जब शरीर ठीक सीधा हो जाए िो कहेंगे: " ربن ا ولك الحمد "।


चरण 8: "अल्लाहु अकबर" कहेंगे और दोनों हाथों, दोनों घुटनों, दोनों कदमों िथा पेशानी एवं नाक पर सजदा करेंगे और सजदे में कहेंगे:" سبحان ر ب


الأعلى "।


चरण 9: तिर "अल्लाहु अकबर" कहेंगे और सजदा से उठेंगे। जब इस िरह ठीक से बाएाँ कदम पर बैठ जाएंगे तक दायााँ कदम खडा हो और पीठ तबलकुल सीधी हो, िो कहेंगे: " رب اغف ر ل "।


चरण 10: तिर"अल्लाहु अकबर" कहना है और पहले सजदा ही की िरह एक और सजदा करना है।


चरण 11: तिर "अल्लाहु अकबर" कहिे हुए सजदा से उठना है और सीधा खडा हो जाना है। इस िरह नमाज़ की शेष रकािों में वही कुछ करना है जो पहली रकाि में तकया है ।


जुहर, अस्र, मतिब, अस्र िथा इशा की नमाज़ की दूसरी रकाि के बाद पहला िशह्हुद पढने के तलए बैठ जाना है। िशह्हुद इस प्रकार है: "हर प्रकार का सम्मान, समग्र दुआ़एाँ एवं समस्ि अच्छे कमव व अच्छे कथन अल्लाह के तलए हैं। हे नबी! आपके ऊपर सलाम, अल्लाह की कृपा िथा उसकी बरकिें हों, हमारे ऊपर एवं अल्लाह के नेक बंदों के ऊपर भी सलाम की जलधारा बरसे, मैं गवाही देिा ह ाँ तक अल्लाह के तसवाय कोई सत्य माबूद (पूज्य) नहीं एवं मुहम्मद अल्लाह के बंदे िथा उसके रसूल हैं।" तिर इसके बाद िीसरी रकाि के तलए खडा हो जाएंगे।


प्रत्येक नमाज़ की अंतिम रकाि के बाद में अंतिम िशह्हुद पढने के तलए बैठेंगे, जो इस प्रकार है: "हर प्रकार का सम्मान, समग्र दुआ़एाँ एवं समस्ि अच्छे कमव व अच्छे कथन अल्लाह के तलए हैं। हे नबी! आपके ऊपर सलाम, अल्लाह


29 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


की कृपा िथा उसकी बरकिें हों, हमारे ऊपर एवं अल्लाह के नेक बंदों के ऊपर भी सलाम की जलधारा बरसे, मैं साक्षी ह ाँ तक अल्लाह के तसवाय कोई सत्य माबूद (पूज्य) नहीं एवं मुहम्मद अल्लाह के बंदे िथा उसके रसूल हैं। हे अल्लाह! िू उसी िरह दरूद व सलाम भेज मुहम्मद एवं उनकी संिान पर तजस प्रकार से िूने इब्राहीम एवं उनकी संिान पर दरूद व सलाम भेजा है। तनस्संदेह िू प्रशंसा योग्य िथा सम्मातनि है। ऐ अल्लाह! मुहम्मद िथा उनकी संिान पर उसी प्रकार से बरकिों की बाररश कर तजस प्रकार से िूने इब्राहीम एवं उनकी संिान पर बरकिों की बाररश की है। तनस्संदेह िू प्रशंसा योग्य िथा सम्मातनि है।"


चरण 12: इसके बाद हम नमाज़ से तनकलने के इरादे से दाये ओर सलाम िेरेंगे और कहेंगे : "السلام عليكم ورحمة الله " िथा बाये ओर सलाम िेरेंगे और कहेंगे: " الس لام عليكم ورحمة الله " इिना करने के बाद हम ने नमाज़ अदा कर ली।


30 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


मुस्स्लम स्त्री का पदाा


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "हे नबी! कह दो अपनी पतत्नयों, अपनी पुतत्रयों और ईमान वालों की तस्त्रयों से तक डाल तलया करें अपने ऊपर अपनी चादरें। यह अतधक समीप है तक वे पहचान ली जाएाँ। तिर उन्हें दुःख न तदया जाए और अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान् है।" [सूरह अल-अहज़ाब: 59]।


अल्लाह ने मुतस्लम मतहला पर पदाव िथा अपने पूरे शरीर को अजनबी पुरुषों से अपने क्षेत्र में प्रचतलि पोशाक से ढााँपने को अतनवायव तकया है। अपने पति अथवा महरम पुरुषों के अतिररक्त तकसी और के सामने तहजाब उिारना जायज़ नहीं है। महरम से मुराद वह सारे लोग हैं तजनसे मुतस्लम मतहला का तनकाह सववकातलक रूप से हराम हो। और वह लोग हैं: तपिा और जो भी बाप के सामान हो जैसे दादा, प्रदादा वगैरह, पुत्र और जो भी पुत्र के सामन हो जैसे पौत्र, परपौत्र आतद , चाचा, मामा, भाई, भाई का बेटा, बहन का बेटा, मााँ का पति (सौिैला बाप), पति का तपिा और और जो भी पति के बाप के समान हो जैसे पति के दादा, प्रदादा वगैरह, पति का पुत्र और जो भी पति के पुत्र समान हो जैसे पति के पौत्र, परपौत्र आतद , दूध भाई और दूध बाप। दूध से वह सब ररश्िे हराम हो जािे हैं जो नसब से होिे हैं।


मुतस्लम मतहला अपने पहनावा के संबंध में तनम्नतलतखि तसिांिों का खयाल रखेगी:


1- पूरा शरीर ढका हुआ हो।


2- पररधान ऐसा न हो तक उसे मतहला शृंगार के तलए पहनिी हो ।


3- इिना पिला न हो तक शरीर झलकिा हो।


4- ढीला-ढाला हो, इिना िंग न हो तक शरीर के तकसी भाग को दशाविा हो।


5- सुगंतधि न हो।


6- पुरुषों के वस्त्र जैसा न हो।


31 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


7- तलबास उस प्रकार का न हो तजस प्रकार का तलबास गैर-मुतस्लम तस्त्रयााँ अपने उपासनाओं िथा त्योहारों के अवसर पर पहनिी हैं।


मोतमन के कुछ गुण


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "वास्िव में, ईमान वाले वही हैं तक जब उनके सामने अल्लाह का वणवन तकया जािा है िो उनके तदल कााँप उठिे हैं और जब उसकी आयिें पढी जािी हैं िो उनका ईमान अतधक हो जािा है और वे अपने पालनहार पर ही भरोसा रखिे हैं।" [सूरह अल-अनफ़ाल: 2]।


- वह सदा सच बोलिा है और झूठ बोलने से गुरेज़ करिा है।


- तदए हुए वचन का पालन करिा है।


- झगडा करिे समय बदज़बानी नहीं करिा।


- अमानि में खयानि नहीं करिा है।


- अपने मुतस्लम भाई के तलए वही पसंद करिा है जो अपने तलए वही पसंद करिा है।


- वह उदार होिा है।


- लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करिा है।


- खूनी ररश्िों को जोड के रखिा है।


- अल्लाह के तनणवय पर संिुि रहिा है, खुशहाली के समय अल्लाह का शुक्र अदा करिा है और परेशानी के समय सब्र करिा है।


- हयादार होिा है।


- सृति पर दया करिा है।


- उसका हृदय ईष्याव से पाक िथा उसके शरीर के अंग तकसी पर ज़ुल्म करने से स्वच्छ होिे हैं।


- वह क्षमाशील होिा है।


- वह न सूद खािा है और न सूदी लेन-देन करिा है।


- वह व्यतभचार में तलप्त नहीं होिा है।


- वह मतदरा पान नहीं करिा है।


32 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


- वह अपने पडोतसयों के साथ अच्छा व्यवहार करिा है।


- वह न अत्याचार करिा है और न धोखा देिा है।


- वह न चोरी करिा है और न चालबाज़ी से काम लेिा है।


- वह अपने मािा-तपिा का आज्ञापालन करिा है और भलाई के काम में उनके आदेशों को मानिा है, चाहे वह गैर-मुतस्लम ही क्यों न हों।


- वह अपने बच्चों को आदशव जीवन जीने की तशक्षा देिा है, उन्हें शरीयि द्वारा अतनवायव तकए हुए कायों का आदेश देिा है और बुरे िथा वतजवि कायों से रोकिा है।


- वह ग़ैर-मुतस्लमों की धातमवक तवतशििाओं िथा ऐसी आदिों की, जो उनकी पहचान बन चुकी हों, की नक़्काली नहीं करिा।


33 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


- कल्याण केवल इस्लाम धमा में है


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "जो भी सदाचार करेगा,चाहे वह नर हो अथवा नारी ,और ईमान वाला हो, िो हम उसे स्वच्छ जीवन व्यिीि कराएाँगे और उन्हें उनका बदला उनके उिम कमों के अनुसार अवश्य प्रदान करेंगे।" [सूरह अन-नह्ल: 97]।


एक मुसलमान को सबसे अतधक खुशी िथा सबसे अतधक संिुति उसका अपने पालनहार से ऐसा सीधा संबंध तदलािा है तक तजसमें तकसी जीतवि या मृि व्यतक्त अथवा तकसी बुि आतद का कोई वास्िा न हो। अल्लाह ने अपनी पतवत्र पुस्िक में इस बाि का उल्लेख तकया है तक वह सदा अपने बंदों के तनकट रहिा है, उन्हें सुनिा है िथा उनकी दुआएाँ ग्रहण करिा है। उसका फ़रमान है: "(हे नबी!) जब मेरे बन्दे मेरे तवषय में आपसे प्रश्न करें, िो उन्हें बिा दें तक तनश्चय ही मैं करीब ह ाँ, मैं प्राथी की प्राथवना का उिर देिा ह ाँ। अिः, उन्हें भी चातहए तक मेरे आज्ञाकारी बना रहें िथा मुझपर ईमान (तवश्वास) रखें, िातक वे सीधी राह पायें ।" [सूरह अल-बकरा: 186]। अल्लाह ने हमें उसे पुकारने का आदेश तदया है और इसे उसकी तनकटिा प्राप्त करने वाली एक महत्वपूणव इबादि भी कहा है। उसने कहा है: ''िथा िुम्हारे पालनहार ने कहा है तक मुझसे प्राथवना करो, मैं िुम्हारी प्राथवना स्वीकार करूाँगा।'' [सूरह गातफ़र: 60]। अिः एक सदाचारी मुसलमान हमेशा अपनी ज़रूरिें अपने रब के सामने रखिा है, उसके सामने हाथ िैलािा है और सत्कमों द्वारा उसकी तनकटिा प्राप्त करने के प्रयास में रहिा है।


दरअसल अल्लाह ने हमें इस दुतनया में बेकार नहीं, बतल्क एक बडे उद्देश्य के तलए पैदा तकया है। वह उद्देश्य यह है तक हम केवल उसी की इबादि करें और तकसी को उसका साझी न बनाएाँ। उसने हमें एक ऐसा व्यापक धमव प्रदान तकया है जो हमारे जीवन के सभी आम िथा खास कामों को व्यवतस्थि करिा है। उसने इसी न्याय पर आधाररि धमव के ज़ररए हमारे जीवन की ज़रूरिों यानी हमारे धमव, जान, मान-सम्मान, बुति और धमव की रक्षा की है। तजसने शरई आदेशों का पालन


34 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


करिे हुए और हराम चीज़ों से दामन बचािे हुए जीवन व्यिीि तकया, िो उसने इन ज़रूरी चीज़ों की रक्षा की और सौभाग्यशाली िथा संिुि जीवन गुजारा।


एक मुसलमान का संबंध अपने पालनहार से बडा गहरा होिा है, जो तदल में संिुति एवं शांति लािा है, सुकून िथा प्रसन्निा का एहसास प्रदान करिा है और इस बाि की अनुभूति करािा है तक सववशतक्तमान अल्लाह अपने मोतमन बंदे के साथ रहिा है, उसका खयाल रखिा है और उसकी सहायिा करिा है। महान अल्लाह ने कहा है: "अल्लाह उनका सहायक है, जो ईमान लाये। वह उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लािा है।" [सूरह अल-बकरा: 257]।


यह प्रगाढ संबंध दरअसल एक अनुभूति की अवस्था हुआ करिी है जो इन्सान को अल्लाह की इबादि में आनंद और उससे तमलने का शौक प्रदान करिी है और उसकी अंिरात्मा को खुतशयों के आकाश की सैर करािी है िथा ईमान की तमठास प्रदान करिी है।


वह तमठास, तजसका स्वाद वही बयान कर सकिा है, तजसने पुण्य के कायव करके और गुनाहों से बचकर उसका स्वाद चखा हो। यही कारण है तक अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने फ़रमाया: "उस व्यतक्त ने ईमान का मज़ा चख तलया, जो संिुि हुआ अल्लाह से पालनहार के िौर पर, इस्लाम से धमव िथा मुहम्मद से संदेशवाहक के िौर पर।"


जब तकसी इन्सान को इस बाि का एहसास हो तक वह हमेशा अपने स्रिा के सामने रहिा है, तिर उसे उसके नामों एवं गुणों के आधार पर जानिा हो, उसकी इबादि ऐसे करिा हो जैसे वह उसे देख रहा है, पूरी तनष्ठा से उसकी उपासना करिा हो और इससे उसका उद्देश्य अल्लाह के अतिररक्त तकसी और को प्रसन्न करना न हो, िो वह दुतनया में सौभाग्यशाली जीवन व्यिीि करिा है और आतखरि में अच्छा स्थान प्राप्त करिा है।


एक मुसलमान को दुतनया में जो भी तवपतियााँ आिी हैं, उनकी ितपश दूर हो जािी है अल्लाह पर उसके तवश्वास, उसके तनणवय पर संिुति और भाग्य के हर भले-बुरे फ़ैसले पर उसकी प्रशंसा व खुशी की ठंडक से।


35 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


एक मुसलमान को अपने कल्याण, सुख-चैन िथा संिुति में बढोिरी के तलए अल्लाह का अतधक से अतधक तज़क्र करना चातहए। महान अल्लाह ने कहा है: "(अथावि वे) लोग जो ईमान लाए िथा तजनके तदल अल्लाह के स्मरण से संिुि होिे हैं। सुन लो! अल्लाह के स्मरण ही से तदलों को संिुति तमलिी है।" [सूरह अर-राद: 28]। एक मुसलमान अल्लाह के तज़क्र िथा कुरआन की तिलावि में तजिना अतधक लीन होिा जाएगा, अल्लाह से उसका संबंध उिना ही अतधक मज़बूि होिा जाएगा, उसकी आत्मा पतवत्र होिी जाएगी और उसका ईमान प्रबल होिा जाएगा।


इसी िरह एक मुसलमान को अपने धमव की बािें सही संदभों से प्राप्त करनी चातहए, िातक अल्लाह की इबादि उतचि ज्ञान के आधार पर करे। अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने कहा है: "तवद्या का प्राप्त करना हर मुसलमान पर अतनवायव है।" तजस अल्लाह ने उसकी सृति की है,वह उसके आदेशों का पालन खुले तदल से करे चाहे उन आदेशों के रहस्य से अवगि हो या न हो। अल्लाह ने अपने पतवत्र ग्रंथ में कहा है: "िथा तकसी ईमान वाले पुरुष और ईमान वाली स्त्री के तलए सही नहीं है तक जब अल्लाह िथा उसके रसूल तकसी बाि का तनणवय कर दें , िो वह उसके अलावा तकसी और आदेश को माने, और जो अल्लाह एवं उसके रसूल की अवज्ञा करेगा, िो वह खुले कुपथ में पड गया।" [सूरह अल-अहज़ाब: 35]।


अल्लाह की दया और शांति की जलधारा बरसे हमारे नबी मुह़म्मद िथा आपके पररजनों और सभी सातथयों पर।


यह तकिाब संपन्न हुई।


36 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


ववषय स़ूची


नव मुतस्लम के तलए संतक्षप्त एवं मुफ़ीद तकिाब .................. Error! Bookmark not defined.


प्रस्िावना ................................ ................................ ................................ .............. 3


मेरा रब अल्लाह है ................................ ................................ ................................ .. 5


मेरे नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- हैं ................................ ......................... 8


पतवत्र कुरआन मेरे रब की वाणी है ................................ ................................ ............... 9


आइए इस्लाम के स्िंभों के बारे में जानिे हैं: ................................ ................................ . 10


प्रथम स्िम्भ: इस बाि की गवाही देना तक अल्लाह के अतिररक्त कोई सत्य पुज्य नहीं है और मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- अल्लाह के रसूल हैं। ................................ ...... 10


दूसरा स्िंभ: नमाज़ स्थातपि करना। ................................ ................................ ......... 11


िीसरा स्िंभ: ज़काि देना। ................................ ................................ .................... 11


चौथा स्िंभ: रमज़ान महीने के रोज़े रखना। ................................ ................................ 12


पााँचवााँ स्िंभ: अल्लाह के घर का हज करना। ................................ ............................ 12


आइए ईमान के स्िंभों के बारे जानिे हैं: ................................ ................................ ...... 14


पहला स्िंभ: अल्लाह पर ईमान ................................ ................................ ............. 15


दूसरा स्िंभ: फ़ररश्िों पर ईमान ................................ ................................ ............... 15


िीसरा स्िंभ: तकिाबों पर ईमान ................................ ................................ ............. 16


चौथा स्िंभ: रसूलों पर ईमान ................................ ................................ ................. 17


पााँचवााँ स्िंभ: आतखरि के तदन पर ईमान ................................ ................................ . 18


छठा स्िंभ: भली-बुरी िकदीर पर ईमान ................................ ................................ ... 18


अब हम वज़ू सीखेंगे: ................................ ................................ ............................. 20


वज़ू का िरीका: ................................ ................................ ................................ . 21


वज़ू, तनम्नतलतखि कारणों से टूट जािा है: ................................ ................................ 22


चमडे एवं कपडे आतद के मोज़ों पर मसह ................................ ................................ . 23


स्नान ................................ ................................ ................................ .............. 24


ियम्मुम ................................ ................................ ................................ ........... 24


37 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


नमाज़ कैसे पढें ................................ ................................ ................................ ..... 26


मुतस्लम स्त्री का पदाव ................................ ................................ ............................... 30


- कल्याण केवल इस्लाम धमव में है ................................ ................................ ............. 33


तवषय सूची ................................ ................................ ................................ .......... 36



 



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