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नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


संकिनकताा


मुहम्मद अश-शहरी





3 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


शुरू अल्लाह के नाम से जो बडा दयालु एवं अति कृपाशील है।


प्रस्तावना


सभी प्रकार की प्रशंसा अल्लाह के तलए है, हम उसकी प्रशंसा और गुणगान करिे हैं, उसी से सहायिा मााँगिे हैं और उसी से क्षमा याचना करिे हैं। िथा हम अपनी आत्मा की बुराइयों और अपने दुष्कमों से अल्लाह की शरण में आिे हैं। तजसे अल्लाह तहदायि दे उसे कोई गुमराह करने वाला नहीं है, और तजसे वह गुमराह करे उसे कोई तहदायि देने वाला नहीं है। िथा मैं गवाही देिा ह ाँ तक अल्लाह के तसवा कोई सच्चा पुज्य नहीं है, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं है। और गवाही देिा ह ाँ तक मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम) उसके बंदे िथा रसूल हैं।


ित्पश्चाि:


अल्लाह िाआला ने मनुष्य को बडा सम्मान तदया है और उसे बहुि-सी सृतियों से उत्कृि बनाया है। स्वयं अल्लाह ने कहा है: "वास्िव में हमने आदम की संिान को श्रेष्ठिा प्रदान की है।" [सूरह अल- इसरा: 70] तिर उसने इस उम्मि के लोगों को अतिररक्त सम्मान यह तदया तक उनकी ओर अपने सववश्रेष्ठ नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- को भेजा, उनपर अपना सबसे उत्कृष्ठ ग्रंथ कुरआन उिारा और उनके तलए अपने महानिम धमव इस्लाम को पसंद तकया। महान अल्लाह ने कहा है: "(हे मुसलमानों!) िुम सबसे अच्छी उम्मि हो, तजसे सब इंसानों के तलए पैदा तकया गया है ,िुम भलाई का आदेश देिे हो िथा बुराई से रोकिे हो, और अल्लाह पर ईमान (तवश्वास) रखिे हो। यतद अह्ले तकिाब ईमान लािे, िो उनके तलए अच्छा होिा। उनमें कुछ ईमान वाले हैं और अतधकिर अवज्ञाकारी हैं।" [सूरह आल-ए-इमरान: 110] इन्सान पर अल्लाह का सबसे बडा उपकार यह है तक वह उसे इस्लाम का मागव तदखाए और उसपर मज़बूिी से जमे रहने िथा उसके तवतध-तवधानों पर अमल करने का संयोग प्रदान करे। इस तकिाब के माध्यम से, जो आकार में छोटी लेतकन तवषय वस्िु की दृति से बडी है, एक नया-नया इस्लाम धमव ग्रहण करने वाला व्यतक्त उन बािों को सीख सकिा


4 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


है तजनकी इस नए मागव की यात्रा आरंभ करिे समय अनदेखी नहीं की जा सकिी। इसमें संतक्षप्त िथा आसान शैली में इस महान धमव की बुतनयादी बािों को समझा तदया गया है। जब इन्सान इन बुतनयादी बािों को समझ लेिा है और इनके अनुसार काम करिा है िो आगे अतधक ज्ञान अजवन करिा जािा है और अपने महान पालनहार, नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- और इस्लाम धमव के बारे में जानकारी बढािा जािा है। िलस्वरूप अपने रब की इबादि अंिदृवति िथा ज्ञान के साथ करिा है, उसका तदल संिुि रहिा है और वह अल्लाह की इबादि िथा उसके नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के अनुसरण के मागव पर चलकर अपने ईमान में वृति करिा जािा है।


दुआ है तक अल्लाह इस तकिाब के हर शब्द में बरकि दे, इससे इस्लाम िथा मुसलमानों को लाभ पहुाँचाए, इसे केवल अल्लाह की प्रसन्निा प्राप्त करने का साधन बनाए और सभी जीतवि िथा मृि मुसलमानों को इसका प्रतििल प्रदान करे।


अल्लाह का दरूद व सलाम बरसे हमारे नबी मुह़म्मद िथा आपके पररजनों और सभी सातथयों पर।


मुहम्मद तबन शैबा अश-शहरी


2/11/1441 तहजरी


5 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


मेरा रब अल्लाह है


• महान अल्लाह कहिा है: "हे लोगो! केवल अपने उस रब की इबादि (वंदना) करो, तजसने िुम्हें िथा िुमसे पहले वाले लोगों को पैदा तकया है, इसी में िुम्हारा बचाव है।" [सूरह अल-बकरा: 21]


• महान अल्लाह कहिा है: "वह अल्लाह ही है, तजसके अतिररक्त कोई सच्चा पुज्य नहीं है।" [सूरह अल-हश्र: 22]


• महान अल्लाह कहिा है: "उसके जैसी कोई नहीं है,िथा वह सुनने और देखने वाला है।" [सूरह अश-शूरा: 11]


• अल्लाह ही मेरा और सारी चीज़ों का पालनहार है, अतधपति है, सृतिकिाव है, जीतवका दािा है और हर चीज़ की योजना बनाने वाला है।


• वही केवल इबादि का हकदार है। उसके तसवा न कोई पालनहार है और न सत्य पूज्य।


• उसके अच्छे-अच्छे नाम िथा ऊाँचे-ऊाँचे गुण हैं, तजन्हें स्वयं उसने अपने तलए िथा उसके नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने उसके तलए तसि तकया है। यह सारे नाम िथा गुण संपूणविा िथा सुंदरिा की पराकाष्ठा को प्राप्त तकए हुए हैं। उस जैसा कोई नहीं है और वह सुनने वाला िथा देखने वाला है।


उसके कुछ अच्छे नाम इस प्रकार हैं:


अर-रज़्ज़ाक, अर-रहमान, अल-कदीर, अल-मतलक, अस-समी, अस-सलाम, अल-बसीर, अल-वकील, अल-खातलक, अल-लिीफ़, अल-काफ़ी और अल-ग़फ़ूर।


अर-रज़्ज़ाक (रोज़ी देने वाला): जो सारे बंदों की रोज़ी का तज़म्मेवार है, तजसके तबना उनके तजस्म व जान व तदल नहीं चल सकिे।


अर-रहमान (कृपाशील): बडी व्यापक कृपा का मातलक, जो कृपा हर चीज़ को शातमल है।


अल-कदीर (क्षमिावान): संपूणव क्षमिा वाला, जो कभी न तववश होिा है और न उनको सुस्िी आिी है।


6 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


अल-मतलक (बादशाह): जो महानिा, आतधपत्य िथा संचानल जैसी तवशेषिाओं से तवतशि िथा िमाम वस्िुओं का मातलक एवं उन्हें अपने तहसाब से संचातलि करने वाला है।


अस-समी (सुनने वाला): तजसे गुप्त एवं व्यक्त िमाम सुनी जाने वाली बािों का पिा है।


अस-सलाम (दोषरतहि): हर कमी, त्रुतट और दोष से पाक।


अल-बसीर (देखने वाला): तजसकी तनगाहों से कोई छोटी से छोटी चीज़ भी ओझल नहीं है।जो हर चीज़ को देखने वाला, हर चीज़ की सूचना और हर रहस्य का ज्ञान रखने वाला है ।


काम बनाने वाला: अपनी सृतियों को रोज़ी देने वाला, उनके तहिों का रक्षक, वह अपने वतलयों का दोस्ि है, उनके तलए आसातनयााँ पदा करिा है और उनके सारे मामले हल करिा है।


अल-खातलक (सृतिकिाव): सारी वस्िुओं का सृतिकिाव और उन्हें तबना तकसी पूवव उदाहरण के अतस्ित्व में लाने वाला।


अल-लिीफ़ (कृपालु): जो अपने बंदों पर दया िथा कृपा करिा है और उनकी मुरादें पूरी करिा है।


अल-काफ़ी (यथेि): जो अपने बंदे की िमाम ज़रूरिों को पूरा करने के तलए काफ़ी है और तजसकी सहायिा के बाद तकसी और की सहायिा की आवश्यकिा नहीं रहिी है।


अल-ग़फ़ूर (क्षमा करने वाला): जो अपने बंदों को उनके गुनाहों के कुप्रभाव से बचािा है और उन्हें उनके तकए की सज़ा नहीं देिा।


मुसलमान अल्लाह की अद्भुि सृति पर तवचार करिा है और सोचिा है तक अल्लाह छोटी-छोटी सृतियों का भी तकिना ध्यान रखिा है और उनके तलए भोजन के प्रबंध की तकिनी तचंिा करिा है तक उनके अंदर आत्म तवश्वास आ जािा है। अिः पतवत्र है वह अल्लाह, जो उनका सृतिकिाव है और उनपर कृपावान


7 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


है। यह उसकी कृपा ही का निीजा है की इन तनबवल सृतियों के तलए सारी सहायक वस्िुएाँ िथा काम की चीज़ें उपलब्ध करिा है।


8 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


मेरे नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- हैं


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "(हे ईमान वालो!) िुम्हारे पास िुम्हीं में से अल्लाह का एक रसूल आ गया है। उसे वह बाि भारी लगिी है तजससे िुम्हें दुःख हो। वह िुम्हारी सिलिा की लालसा रखिे हैं और ईमान वालों के तलए करुणामय दयावान् हैं।" [सूरह अि-िौबा: 128]।


एक अन्य स्थान में फ़रमाया है: "और (हे नबी!) हमने आपको समस्ि संसार के तलए दया बना कर भेजा।" [सूरह अल-अंतबया: 107]।


मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- दया हैं और उपहार स्वरूप प्रदान तकए गए हैं:


हमारे नबी मुहम्मद तबन अब्दुल्लाह -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- हैं, जो नतबयों िथा रसूलों के तसलतसले की अंतिम कडी हैं। अल्लाह ने आपको इस्लाम धमव के साथ संपूणव मनुष्य संप्रदाय की ओर भेजा था, िातक लोगों को भलाई का मागव तदखाएाँ, तजसमें सबसे पहले िौहीद (एकेश्वरवाद) आिा है, और बुराई से रोकें, तजसका सबसे भयानक रूप तशकव ( बहुदेववाद) है।


आपने जो आदेश तदए हैं उनका पालन करना, जो सूचनाएाँ दी हैं उनकी पुति करना और तजन बािों से रोका है उनसे रुक जाना िथा आपके बिाए हुए िरीके के अनुसार ही अल्लाह की इबादि करना ज़रूरी है।


आपका िथा आपसे पहले के िमाम नतबयों का एक मात्र संदेश था, केवल एक अल्लाह की इबादि की ओर बुलाना, तजसका कोई साझी नहीं है।


प्यारे नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के कुछ गुण इस प्रकार हैं:


सत्यिा, दया, सहनशीलिा, धैयव, वीरिा, उदारिा, उच्च व्यवहार, न्याय, तवनम्रिा और क्षमा।


9 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


पववत्र कुरआन मेरे रब की वाणी है


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "हे लोगो! िुम्हारे पास िुम्हारे पालनहार की ओर से खुला प्रमाण आ गया है और हमने िुम्हारी ओर स्पि रोशनी (कुरआन) उिार दी है।" [सूरह अन-तनसा: 174]।


पतवत्र कुरआन अल्लाह की वाणी है, तजसे उसने अपने नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- पर उिारा है, िातक लोगों को अंधकार से प्रकाश की ओर तनकाल लाए और उन्हें सीधा मागव तदखाए।


उसे पढने वाले को बडा प्रतििल प्राप्त होिा है और जो उसके बिाए हुए मागव पर चलिा है वह सही पथ पर चलिा है।


10 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


आइए इस्लाम के स्तंभों के बारे में जानते हैं:


अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने फ़रमाया है: "इस्लाम के पााँच स्िंभ (अरकान) हैं, इस बाि की गवाही देना तक अल्लाह के अतिररक्त कोई इबादि एवं उपासना के लायक नहीं है और यह तक मुहम्मद صلى الله عليه وسلم


अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ स्थातपि करना, ज़काि देना, रमज़ान महीने के रोज़े रखना िथा अल्लाह के पतवत्र घर (काबा) का हज करना।"


इस्लाम के स्िंभ ऐसी इबादिें हैं तजनका पालन करना हर मुसलमान पर ज़रूरी है। तकसी इन्सान के इस्लाम सही होने के तलए ज़रूरी है तक वह उनके ज़रूरी होने का तवश्वास रखने के साथ-साथ उनका पालन करे। क्योंतक इस्लाम रूपी भवन इन्हीं स्िंभों पर खडा है और इसी बाि को ध्यान में रखिे हुए इन्हें इस्लाम के स्िंभ कहे जािे हैं।


ये स्िंभ इस प्रकार हैं:


प्रथम लतम्भ: इस बात क़ी गवाही देना कक अल्िाह के अततररक्त कोई सत्य पुज्य नहीं है और मुहम्मद -सल्िल्िाहु अिैहह व सल्िम- अल्िाह के रसूि हैं।


महान अल्लाह ने कहा है: "िथा जान लो तक अल्लाह के अतिररक्त कोई सत्य पूज्य नहीं है।" [सूरह मुहम्मद: 19]।


एक अन्य स्थान पर अल्लाह िआला ने िरमाया है: "(ऐ ईमान वालो!) िुम्हारे पास िुम ही में से एक रसूल आ गया है, उसको वह बाि भारी लगिी है तजससे िुम्हें दुःख हो। वह िुम्हारी सिलिा की लालसा रखिा है और ईमान वालों के तलए करुणामय दयावान है।" [सूरह अि-िौबा: 128]।


"ला इलाहा इल्लल्लाहु" की गवाही देने का अथव यह है तक अल्लाह के अतिररक्त कोई सत्य पूज्य नहीं है।


जबतक मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के अल्लाह के रसूल होने की गवाही देने का अथव यह है तक -आप सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने


11 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


जो आदेश तदया है उसका अनुपालन करना, जो सूचनाएाँ दी हैं उनकी पुति करना, तजन बािों से रोका है उनसे रुक जाना िथा अल्लाह की उपासना उसी िरीका अनुसार करना जो आप -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने दशावया है।


दूसरा लतंभ: नमाज़ लथापपत करना।


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "िथा नमाज़ स्थातपि करो।" [सूरह अल-बकरा: 110]।


नमाज़ स्थातपि करने का मिलब यह है तक उसे अल्लाह के बिाए हुए और उसके रसूल -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के तसखाए हुए िरीके के अनुसार अदा तकया जाए।


तीसरा लतंभ: ज़कात देना।


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "िथा ज़काि दो।" [सूरह अल-बकरा: 110]।


अल्लाह ने ज़काि फ़ज़व इसतलए की है, िातक मुसलमानों के ईमान की परीक्षा ली जाए, अल्लाह ने धन के रूप में जो नेमि दे रखी है उसका शुक्र अदा हो िथा ग़रीबों और जरूरिमंदों के तलए सहायिा हो।


ज़काि देने से अतभप्राय उसे उसके हकदारों को देना है।


यह धन का एक अतनवायव तहस्सा है जब वह एक तनतश्चि पररमाण को पहुंच जाए। ज़काि आठ प्रकार के लोगों को दी जािी है, तजनका उल्लेख अल्लाह ने पतवत्र कुरआन में तकया है और तजनमें फ़कीर िथा तमस्कीन भी शातमल हैं।


ज़काि का उद्देश्य धनवानों के तदलों में दया िथा करुणा की भावना को जागृि करना, मुसलमान के व्यवहार एवं धन को स्वच्छ बनाना, तनधवनों िथा ज़रूरिमंद लोगों को संिुि करना िथा मुतस्लम समाज के सभी सदस्यों के बीच प्रेम एवं भाईचारा पर आधाररि संबंधों को सुदृढ बनाना है। यही कारण है तक एक नेक मुसलमान उसे आंिररक प्रसन्निा के साथ तनकालिा है और ज़काि देने को


12 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


अपना सौभाग्य समझिा है। क्योंतक इसके द्वारा अन्य लोगों के जीवन में खुशी लाई जािी है।


ज़काि ज़खीरा तकए हुए सोना, चााँदी, नकदी नोट और ऐसे व्यापाररक धन तजन्हें लाभ के उद्देश्य से क्रय-तवक्रय के तलए िैयार रखे गया हो, उनका 2.5% अदा करना होिा है। इन धनों की ज़काि उस समय देनी होिी है जब उनकी कीमि तनतश्चि हद िक पहुंच जाएाँ और इन पर एक पूरा वषव गुज़र जाए।


इसी िरह एक तनतश्चि संख्या में होजाने पर पशुओं जैसे ऊाँट, गाय और बकररयों पर भी ज़काि अतनवायव है, जब वे वषव का अतधकिर भाग धरिी की घास चरकर गुज़ारिे हों और उनका मातलक उन्हें तखलाने का प्रबंध न करिा हो।


इसी प्रकार, धरिी से तनकलने वाले अनाजों, िलों, खतनजों िथा खज़ानों पर भी ज़काि वातजब है, जब वे एक तनतश्चि पररमाण को पहुंच जाएयं ।


चौथा लतंभ: रमज़ान महीने के रोज़े रखना।


महान अल्लाह ने कहा है: "ऐ ईमान वालो! िुम पर रोज़े उसी प्रकार अतनवायव कर तदए गए हैं, तजस प्रकार िुमसे पूवव लोगों पर अतनवायव तकए गए थे, िातक िुम अल्लाह से डरो।" [सूरह अल-बकरा: 110]।


रमज़ान तहजरी कैलेंडर का नवााँ महीना है। मुसलमानों के यहााँ यह एक सम्मातनि िथा अन्य महीनों की िुलना में एक तवतशि महीना है। इस पूरे महीने का रोज़ा रखना इस्लाम के पााँच स्िंभों में से एक स्िंभ है।


रमज़ान महीने का रोज़ा रखने से मुराद, पूरे रमज़ान महीने के तदनों में फ़ज्र प्रकट होने के बाद से सूयावस्ि िक खाने, पीने, संभोग िथा अन्य सारे रोज़ा िोडने वाले कायों से दूर रहकर अल्लाह की इबादि करना है।


पााँचवााँ लतंभ: अल्िाह के घर का हज करना।


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "िथा अल्लाह के तलए लोगों पर इस घर का हज अतनवायव है, जो वहााँ िक पहुंचने की िाकि रखिा हो।" [सूरह आल-ए-इमरान: 97]।


13 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


हज जीवन में एक बार ऐसे व्यतक्त को करना है जो मक्का िक पहुाँचने की शतक्त रखिा हो। हज नाम है तवतशि तदनों में तवतशि इबादिों को करने के तलए मक्का में तस्थिअल्लाह के पतवत्र घर काबा िथा अन्य पतवत्र स्थानों िक पहुाँचने का। अल्लाह के अंतिम नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- और पुवव के अन्य नतबयों ने भी हज तकया है। इबराहीम अलैतहस्सलाम को िो अल्लाह ने आदेश तदया था तक लोगों के अंदर हज का एलान कर दें। इसका उल्लेख अल्लाह ने पतवत्र कुरआन में भी तकया है। उसने कहा है: "और लोगों में हज की घोषणा कर दे। वे आएाँगे िेरे पास पैदल िथा प्रत्येक दुबली-पिली सवाररयों पर, जो प्रत्येक दूरस्थ मागव से आएाँगी।" [सूरह अल-हज: 27]।


14 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


आइए ईमान के स्तंभों के बारे जानते हैं:


अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- से ईमान के बारे में पूछा गया िो फ़रमाया: "ईमान यह है तक िुम अल्लाह, उसके िररश्िों, उसकी तकिाबों, उसके रसूलों, अंतिम तदन िथा भाग्य के अच्छे एवं बुरे होने पर तवश्वास रखो।"


ईमान के स्िंभ से मुराद ऐसी हातदवक इबादिें हैं जो हर मुसलमान पर अतनवायव हैं और तजन पर तवश्वास रखे तबना तकसी व्यतक्त का इस्लाम सही नहीं हो सकिा है। यही कारण है तक उन्हें ईमान के स्िंभ का नाम तदया गया है। इनके िथा इस्लाम के स्िंभों के बीच अंिर यह है तक इस्लाम के स्िंभ ऐसे ज़ातहरी कायव हैं तजन्हें इन्सान शरीर के अंगों द्वारा करिा है, जैसे ज़बान से अल्लाह के एकमात्र पूज्य होने और मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के अल्लाह के संदेिा होने का इकरार करना, नमाज़ पढना और ज़काि देना आतद। जबतक ईमान के स्िंभ ऐसे हृदय के कायव हैं तजन्हें इन्सान अपने हृदय द्वारा करिा है। जैसे अल्लाह, उसकी तकिाबों और उसके रसूलों पर तवश्वास रखना।


ईमान का अथव: ईमान नाम है अल्लाह, उसके फ़ररश्िों, उसकी तकिाबों, उसके रसूलों, आतखरि के तदन, भले-बुरे भाग्य और जो कुछ अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- तहदायि लाए हैं, उन पर हृदय से दृढ तवश्वास रखना , िथा ज़बान का तदल के अनुरूप प्रतितक्रया देना , जैसे ला इलाहा इल्लल्लाह कहना, कुरआन पढना, अल्लाह की पतवत्रिा बयान करना और उसकी प्रशंसा करना,


िथा शरीर के जाहरी अंगों से अमल करना, जैसे तक नमाज़ पढना, हज करना और रोज़ा रखना... एवं हृदय से अमल करना, जैसे अल्लाह का भय रखना, उसपर भरोसा करना और उसके प्रति तनष्ठावान रहना।


तवशेषज्ञों ने इसकी संतक्षप्त पररभाषा करिे हुए कहा है: ईमान नाम है हृदय में तवश्वास रखने, ज़बान से पुति करने और शरीर के अंगों द्वारा अमल करने का, जो पुण्य के काम से बढिा और गुनाह के काम से घटिा है।


15 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


पहिा लतंभ: अल्िाह पर ईमान


महान अल्लाह ने कहा है: "वास्िव में, ईमान वाले वही हैं जो ईमान लाए अल्लाह पर।" [सूरह अन-नूर: 62]।


अल्लाह पर ईमान की मांग यह है तक उसे उसके रब होने और पूज्य होने में एक, िथा उसे अपने नामों एवं गुणों में बेतमसाल माना जाए। इसके अंदर तनम्नतलतखि बािें आिी हैं:


- अल्लाह के अतस्ित्व पर ईमान रखना।


- उसके पालनहार िथा हर चीज़ का मातलक, सृतिकिाव, अन्नदािा िथा संचालनकिाव होने पर ईमान रखना।


- अल्लाह के पूज्य होने िथा इस बाि पर ईमान रखना तक केवल वही सारी इबादिों, जैसे नमाज़, दुआ, नज़्र, ज़बह, मदद मााँगना और शरम मााँगना आतद का हकदार है और इनमें उसका कोई साझी नहीं है।


- अल्लाह के सुंदर नामों िथा उच्च गुणों पर ईमान रखना तजन्हें स्वयं उसने अपने तलए या उसके नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने उसके तलए तसि तकया है। इसी िरह अल्लाह को उन नामों एवं गुणों से पतवत्र मानना तजनसे उसने स्वयं अपने आपको या तजनसे उसके नबी ने उसे पतवत्र बिाया है। साथ ही इस बाि का तवश्वास रखना तक उसके सभी नाम एवं गुण सुंदरिा और श्रेष्ठिा के तशखर पर पहुंचे हुए हैं, िथा यह तक उसके जैसी कोई वस्िु नहीं है और वह सुनने वाला देखने वाला है।


दूसरा लतंभ: फररश्तों पर ईमान


महान अल्लाह ने कहा है: "सब प्रशंसा अल्लाह के तलए है, जो आकाशों िथा धरिी का पैदा करने वाला है, (और) दो-दो, िीन-िीन, चार-चार परों वाले फ़ररश्िों को संदेशवाहक बनाने वाला है। वह उत्पति में जो चाहिा है अतधक करिा है। तनःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर कुदरि रखिा है।" [सूरह फ़ातिर: 1]।


16 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


हम इस बाि पर ईमान रखिे हैं तक फ़ररश्िे अदृश्य सृति हैं िथा वे अल्लाह के बंदे हैं, तजन्हें अल्लाह ने नूर से पैदा तकया है और अपना आज्ञाकारी बनाया है।


हमारा तवश्वास है तक फ़ररश्िे एक महान सृति हैं, तजनकी शतक्त एवं संख्या का ज्ञान केवल अल्लाह को है। उनमें से हर एक के तलए अल्लाह की दी हुई कुछ तवशेषिाएाँ, नाम और काम हैं। एक फ़ररश्िे का नाम तजबरील है, तजसका काम था अल्लाह के संदेश को उसके पैग़ंबरों िक पहुाँचाना।


तीसरा लतंभ: ककताबों पर ईमान


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "(हे मुसलमानो!) िुम सब कहो तक हम अल्लाह पर ईमान लाए, िथा उसपर जो (कुरआन) हमारी ओर उिारा गया, और उसपर जो इब्राहीम, इस्माईल, इस्ह़ाक, याकूब िथा उनकी संिान की ओर उिारा गया, और जो मूसा िथा ईसा को तदया गया, िथा जो दूसरे नतबयों को उनके पालनहार की ओर से तदया गया। हम इनमें से तकसी के बीच अंिर नहीं करिे और हम उसी के आज्ञाकारी हैं।" [सूरह अल-बकरा: 136]।


तकिाबों पर ईमान से मुराद है इस बाि की अकाट्य पुति करना तक सारे आसमानी ग्रंथ अल्लाह की वाणी हैं।


और इस बाि की भी अकाट्य पुति करना तक उन्हें सववशतक्तमान एवं महान अल्लाह की ओर से उसके रसूलों के माध्यम से उसके बंदों पर स्पि सत्य के साथ उिारा गया है।


एवं इस बाि की अकाट्य पुति करना तकअपने अंतिम संदेिा मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- को पूरे मनुष्य संप्रदाय की ओर भेजने के साथ ही अल्लाह ने आपको दी गई शरीयि द्वारा तपछली सारी शरीयिों को तनरस्ि कर तदया है और कुरआन को सारे आकाशीय ग्रंथों की संरक्षक, उनपर गवाह िथा उनका तनरस्िकिाव घोतषि तकया है। उसने इस बाि की तज़म्मेवारी भी ली है तक उसमें कोई पररविवन या उसके साथ कोई छेडछाड नहीं होनी है। महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "वास्िव में, हमने ही यह तज़क्र (कुरआन) उिारा है और हम ही


17 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


इसके रक्षक हैं।" [सूरह अल-तहज्र: 9]। क्योंतक पतवत्र कुरआन मनुष्य की ओर उिारी जाने वाली अंतिम पुस्िक है, अल्लाह के रसूल मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- अंतिम रसूल हैं और इस्लाम धमव कयामि के तदन िक लोगों के तलए अल्लाह का पसंद तकया हुआ धमव है। महान अल्लाह का फ़रमान है: "तनःसंदेह अल्लाह के तनकट धमव केवल इस्लाम है।" [सूरह आल-ए-इमरान: 19]।


आसमानी ग्रंथ, अल्लाह ने तजनका उल्लेख अपने ग्रंथ में तकया है, इस प्रकार हैं:


पतवत्र कुरआन: इसे अल्लाह ने अपने नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- पर उिारा है।


िौराि: इसे अल्लाह ने अपने नबी मूसा -अलैतहस्सलाम- पर उिारा था।


इंजील: इसे अल्लाह ने अपने नबी ईसा -अलैतहस्सलाम- पर उिारा था।


ज़बूर: इसे अल्लाह ने अपने नबी दाऊद -अलैतहस्सलाम- पर उिारा था।


इब्राहीम के ग्रंथ: इन्हें अल्लाह ने अपने नबी इब्राहीम -अलैतहस्सलाम- पर उिारा था।


चौथा लतंभ: रसूिों पर ईमान


महान अल्लाह ने फ़रमाया है: "हमने हर उम्मि (समूदाय) में रसूल भेजा तक (लोगों ) केवल अल्लाह की उपासना करो और उसके अलावा सभी पुज्यों से बचोl" [सूरह अन-नह्ल: 36]।


रसूलों पर ईमान का अथव है इस बाि की अकाट्य पुति तक अल्लाह ने हर समुदाय में एक संदेिा भेजा है तजसने उसे केवल एक अल्लाह की इबादि की ओर बुलाया और उसके अतिररक्त पूजे जाने वाले सब पूज्यों को नकारने का आह्वान तकया।


इसी िरह इस बाि की भी अकाट्य पुति होनी चातहए तक सारे नबीगण मनुष्य िथा अल्लाह के बंदे थे, सच्चे थे िथा पुति करने वाले थे, धमवपरायण िथा अमानिदार थे, सत्य का मागव तदखाने वाले और सत्य पर चलने वाले थे, तजन्हें


18 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


अल्लाह ने उनकी सच्चाई को प्रमातणि करने वाले चमत्कार (मोतजज़े) प्रदान तकए थे। साथ ही यह तक उन्होंने अल्लाह की ओर से प्रदान तकए हुए संदेश को पहुाँचाया और सारे के सारे नबी स्पि सत्य और उज्जवल मागव पर थे।


मूल रूप से शुरू से अंि िक सारे के सारे नतबयों का आह्वान एक था और वह है, केवल एक सववशतक्तमान एवं महान अल्लाह की इबादि करना और तकसी को उसका साझी न बनाना।


पााँचवााँ लतंभ: आख़िरत के हदन पर ईमान


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "अल्लाह के तसवा कोई सत्य वंदनीय नहीं है, वह अवश्य िुम्हें प्रलय के तदन एकत्र करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है, िथा बाि कहने में अल्लाह से अतधक सच्चा कौन हो सकिा है?" [सूरह अन-तनसा: 87]।


आतखरि के तदन पर ईमान से मुराद है, आतखरि के तदन से संबंतधि सारी बािें, तजनकी सूचना सववशतक्तमान एवं महान अल्लाह ने अपनी तकिाब में दी है या तिर तजनके बारे में हमारे नबी -मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने बिाया है, की अकाट्य पुति। आतखरि से संबंतधि कुछ बािें; इन्सान की मृत्यु, दोबारा जीतवि तकया जाना, सब लोगों को एकत्र तकया जाना, तसफ़ाररश, मीज़ान, तहसाब, जन्नि और जहन्नम आतद हैं।


छठा लतंभ: भिी-बुरी तक़दीर पर ईमान


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "तनश्चय ही हमने एक अनुमान से प्रत्येक वस्िु को पैदा तकया है।" [सूरह अल-कमर: 49]।


भली-बुरी िकदीर पर ईमान का अथव है, इस बाि का पूणव तवश्वास तक इस दुतनया में सृतियों पर जो भी घटनाएाँ घटिी हैं, वह अल्लाह की जानकारी में हैं, उसी के अनुमान एवं फ़ैसले से यह सब घतटि होिी हैं, उसके आदेश और फ़ैसले में कोई उसका साझी नहीं। उनका तववरण इन्सान की सृति से पहले तलख तलया गया है। साथ ही यह तक इन्सान का अपना इरादा और उसकी अपनी चाहि भी


19 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


होिी है और और वह सत्य में अपने कमों का किाव है, लेतकन यह सारी चीज़ें अल्लाह के ज्ञान, इरादे और चाहि के दायरे से बाहर नहीं हैं।


भाग्य पर ईमान की तनम्नतलतखि चार श्रेतणयााँ हैं:


पहली: अल्लाह के तवस्िृि एवं समग्र ज्ञान पर तवश्वास रखना।


दूसरी: इस बाि पर तवश्वास रखना तक अल्लाह ने कयामि िक घतटि होने वाली सारी घटनाओं को तलख रखा है।


िीसरी: अल्लाह के अचूक इरादे िथा संपूणव सामर्थयव पर तवश्वास रखना और मानना तक वह जो चाहे, होगा और जो न चाहे, नहीं होगा।


चौथी: इस बाि पर तवश्वास रखना तक अल्लाह ही ने सारी सृति की रचना की है और इस कायव में उसका कोई साझी नहीं है।


20 नव मुस्लिम के लिए संक्षिप्त एवं मुफ़ीद ककताब


अब हम वज़ू सीखेंगे:


अल्लाह िआला का फ़रमान है: "तनश्चय ही अल्लाह िौबा करने वालों िथा पतवत्र रहने वालों से प्रेम करिा है।" [सूरह अल-बकरा: 22]।


अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने फ़रमाया: "िुम मेरे इस वज़ू की िरह वज़ू करो।"


नमाज़ की महानिा यह है तक अल्लाह ने उससे पहले िहारि (पाक होने) को अतनवायव तकया है और उसे उसके सही होने की शिव करार तदया है। िहारि नमाज़ की चाभी और उसकी महिा का ऐसा एहसास है तजससे तदल नमाज़ की ओर तखंचा चला आिा है। अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- ने फ़रमाया: "स्वच्छिा आधा ईमान है ... िथा नमाज़ प्रकाश है।"


एक अन्य हदीस में है तक आप सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम ने फ़रमाया: "जो अच्छी िरह वज़ू करिा है, उसके पाप उसके शरीर से तनकल जािे हैं।"


इस िरह जब बंदा अपने पालनहार के सामने उपतस्थि होिा है, िो वह वज़ू के रूप में अनुभूव होने वाली स्वच्छिा प्राप्त कर चुका होिा है और इस इबादि की अदायगी के माध्यम से आंिररक स्वच्छिा भी प्राप्त कर चुका होिा है, साथ ही वह अल्लाह के प्रति तनष्ठावान होिा है और अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैतह व सल्लम- के िरीके का अनुपालन कर रहा होिा है।


वो कायव, तजनके तलए वज़ू करना अतनवायव है:


1- हर प्रकार की नमाज़, फ़ज़व हो या नफ़ल।


2- काबा का िवाफ़ (चक्कर लगाना)।


3- कुरआन को छूना।



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