आदमी( में अरस्बक क रन सीइ ै गय स्िय से )सल्ि (शब्द अरस्बक "विंश" शब्दके वीयि को)शुक्र णु "सोिि " क ज त ै "सोिि " क कई अथि ै जो इस प्रक र ै:
- तरि पद थि क छोि भ ग (आदमी क शुक्र णु) स्जस में पैद इश क प नी ोत ै (वीयि)!
- और य तरि पद थि क छोि भ ग स्जस में पैद इश क प नी ोत ै (वीयि) एक ििंबी मछिी की तर िगत ै!
- और य तरि पद थि क छोि भ ग स्जस में पैद इश क प नी ोत ै (वीयि) ल्के ढिंग से िीरे िीरे ब र स्नकित ै!
)वीयि( ै आत में स्जससे भ्रूण अमि शुक्र णु :कक ै की खोज ने स्वज्ञ न आिुस्नकय तरि पद थि क छोि स भ ग ै ! (एक शुक्र णु- अस्िकतर रूप में - स्जसकी वज त पस्वत्र क़ुर न की आय त ने भी की ै और दूसरे उद रण में स्जसकी तरफ म इश र कर चुके ैं) इस क आक र(शुक्र णु क ) एक ििंबी मछिी की तर ोत ै
(शुक्र णु की ििंब ई क आकर चौड ई की तुिन में अस्िक ोत ै) और य भ ग(शुक्र णु) कई शुक्र णु के केंद्र से(वीयि से) तैर की करते हुए िीरे िीरे ब र स्नकित ै और गभ िशय लरेि के दौर न गभ िि न में द स्खि ो ज त ै !
और य सब पस्वत्र क़ुर न द्व र दी गई खबर के मुत स्बक़ ै स्जसकी तरफ पस्वत्र क़ुर न ने 1400 से भी अस्िक विों से इश र ककय ै, और एक ऐसे वक़्त में इस अद्भुत वैज्ञ स्नक तथ्यों की तरफ इश र ककय जब ककसी को इसके ब रे में थोड भी ज्ञ न न ीं थ , और कफर य ीं से पस्वत्र क़ुर न और उसकी आयतों की सच्च ई क पत चित ै कक य सविशस्िम न ईश्वर की तरफ से न स़्िि ककय हुआ इल् म ै और कफर य ीं से नबीये प क ़िरत मो म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की द वत और ररस ित की सच्च ई क इल्म ोत ै!
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: ै फरम त अल्ि सविशस्िम न :उद रण छठ
(बेशक म ने आदमी को पैद ककय स्मिी हुई म स्न से…) [सूरए इिंस न:2]
"स्मिी हुई म स्न" क अथि: स्मस्श्रत शुक्र णु (पुरुि और मस् ि के वीयि से)।
इम म अ मद ने अपने मसनद में ररव यत की ै, कक एक यहूदी ने पैगिंबर मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम से पूछ , और क : े मु म्मद, म नव को ककस चीज से पैद ककय ज त ै?
अल्ि के दूत पैगिंबर मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम ने फ़रम य :
" ै ोत पैद शुक्र णु से के मस् ि ओं और पुरुिों प्रत्येक!यहूदी ऐ "
[अ मद द्व र वर्णित:4424]
कुरआन की आयत में लपि रूप से बत ती ै कक म नव ज स्त की पैद इश केवि पुरुिों य केवि मस् ि ओं के शुक्र णु से न ीं ोती बस्ल्क पुरुिों और मस् ि ओं दोनों के शुक्र णु से ोती ै , और पुरुिों एविं मस् ि ओं के शुक्र णु एक स थ स्मिकर स्मिी" : ै से लपि शब्दों के भगव न कक जैस ै ोती पैद इश की ज स्त म नव दीस और ।)से वीयि के मस् ि और पुरुि( शुक्र णु स्मस्श्रत: य नी "म स्न हुईशरीफ में भी लपि रूप से आय ै कक म नव ज स्त की पैद इश पुरुिों एविं मस् ि ओं के स्मस्श्रत शुक्र णु से ोती ै !
प्र चीन समय में य म न ज त थ और (18) अठ र वीं ईसवी सदी के अिंत तक य म न ज त थ कक म नव शरीर - बचपन में पररस्मत आय म से- म स्सक रि से बनत ै और म द अिंिे की खोज के ब द य म न ज ने िग कक म नव शरीर अिंिे के भीतर पूरी तर से बन त ै,
और शुक्र णु की खोज के ब द य म न ज ने िग कक म नव शरीर शुक्र णु के शीिि स िन तकनीकी आिुस्नक और बीतने समय िेककन ै त बन से तर पूरी अिंदर के स रे य की ककय खोज य ने स्वज्ञ न आिुस्नक क रण के प्रगस्त आियिजनक में हुई बत ई की क़ुर न पस्वत्रप िे अस्िक स ि से 1400 और ैं गित द वे
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से म ध्यम के तकनीक सब आिुस्नक य और ैं सच्ची तथ्य प्रभ वश िी वैज्ञ स्नकभ्रूण के स्नम िण के चरणों को कफल्म ए ज ने के ब द हुआ !
आिुस्नक स्वज्ञ न के प्रभ वश िी वैज्ञ स्नक खोजों एविं स्नष्किि क सिंक्षेप स्नम्नस्िस्खत ै: -
- ि खों शुक्र णुओं में से सब गभ िशय चैनि तक न ीं पहुूँचते बस्ल्क केवि एक बहुत छोिी सी सिंख्य पहुिंचती ै स्जनकी त द द (500) से अस्िक न ीं ोती और इतन ी न ीं बस्ल्क म द शुक्र णु में केवि एक ी ि भद यक (अस्िकतर) शुक्र णु प्रवेश करत ै (अिंि - य केवि एक ी ै -) त कक गभिि रण के स्िए म द वीयि शुक्र णु से स्मस्श्रत ोकर एक शुक्र णु ो ज एिं! और य व ी ै स्जसकी खबर " ै शब्द क कक भगव न जैस ै गई दी द्व र आयत तीसरी की कुरआन पस्वत्र स्मस्श्रत से वीयि के मस् ि और पुरुि( शुक्र णु स्मस्श्रत य स्न "म स्न हुई स्मिी मस् ि ओं और पुरुिों प्रत्येक(( ै आय में शरीफ दीस की जैस और ,)शुक्र णु !")) ै ोत पैद से शुक्र णु के
य कक ै ोत म िूम से करने स्वच र पर "शुक्र णु" शब्द के भगव नमें आयत -एकवचन में आय ै बहुवचन में न ीं - शुक्र णुओं -, क्योंकक म द शुक्र णु में केवि एक ी ि भद यक (अस्िकतर) शुक्र णु प्रवेश करत ै (अिंि -य केवि एक ी ै-) त कक एक दूसरे से स्मस्श्रत ोकर एक शुक्र णु ो ज एिं,
और य ी से पस्वत्र कुर न के शब्दों की सिीकत उसक कवरेज और आिुस्नक स्वज्ञ न से अनुकूित क पत चित ै!
: ै फरम त अल्ि सविशस्िम न :उद रण स तव ूँ
[ऐ िोगो अगर तुम् ें क़य मत के कदन जीने में कुछ शक ों तो य ग़ौर करो कक मने तुम् ें पैद ककय स्मट्टी से कफर प नी की बूिंद से कफर िून की फुिक से कफर गोश्त की बोिी से नक़श बनी और बे बनी...] [सूरए ज]
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" "शुक्र णु" क अथि: نُطْفَةٍ "
थोड प नी जो पुरुिों और मस् ि ओं के प्रजनन क एक क रण ै ! (भगव न के शब्द के रूप में: "स्मिी हुई म स्न" य नी स्मस्श्रत शुक्र णु (पुरुि और मस् ि के वीयि से)।
" "िून की फुिक " क अथि: عَلَقَةٍ "
गभ िशय से सिंबिंस्ित जमे हुए रि क िुकड !
" गोश्त की बोिी " क अथि: " مُضْغَةٍ"
बोिी की तर म िंस क एक िुकड !
" "नक़श बनी और बे बनी" क अथि: مَُُلمقَةٍ وَغَيْْ مَُُلمقَة"
य नी बोिी की तर म िंस क िुकड इसक दो स् लस ै प ि स् लस स्जस में शरीर के कुछ अिंगों को तैय र ककय ज चूक ै य भगव न के शब्द "नक़श बनी" क अथि ै, दूसरे स् लसे स्जस में कुछ भी तैय र न ीं ककय गय और य भगव न के शब्द " औ बे बनी" क अथि ै!
सविशस्िम न अल्ि फरम त ै:
(कफर, उसे प नी की बूिंद ककय एक म़िबूत ठ र व में कफर मने उस प नी की बूिंद को िून की फुिक ककय , कफर िून की फुिक को गोश्त की बोिी कफर गोश्त की बोिी को स्िय ूँ, कफर उन स्ियों पर गोश्त प न य , कफर उसे और सूरत में उठ न दी तो बडी बरकत व ि ै अल्ि , सब से बे तर बन ने व ि )
[सूरए मूस्मनून:12-14]
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"उसे प नी की बूिंद ककय एक म़िबूत ठ र व में" क अथि: "سُلَالَةٍ من طِيٍ "
य नी म ने आदम - सभी मनुष्यों के स्पत - को स्मट्टी से बन य !
"शुक्र णु" क अथि: "نُطْفَة "
के भगव न( ै क रण एक प्रजनन क के ि ओंमस् और पुरुिों जो प नी थोड के मस् ि और पुरुि(शुक्र णु य नी स्मस्श्रत"म स्न हुई स्मिी":में रूप के शब्दवीयि से) " िून की फुिक " क अथि: "عَلَقَة "
गभ िशय से सिंबिंस्ित जमे हुए रि क िुकड !
" गोश्त की बोिी" क अथि: बोिी की तर म िंस क एक िुकड ! مُضْغَةً "
सविशस्िम न अल्ि फरम त ै:
(तुम् ें क्य हुआ अल्ि से इज़़्ित स्सि करने की उम्मीद न ीं करते [13] ि िंकक उसने तुम् ें तर तर बन य [14]) [सूरए नू : 1३-1४]!
"तर तर बन य " क अथि: स्वस्भन्न चरणों में! "أَطْوَارًا "
भ्रूण के स्नम िण के चरणों को आिुस्नक तकनीक के म ध्यम से कफल्म ने के ब द के भगव न जैस और ै ककय इश र ी प िे ने क़ुर न पस्वत्र तरफ स्जसकी( म नव देखन को स्मस्श्रत शुक्र णु युग्मक ) "बन य तर तर " ै ़ि स् र में शब्दके स्िए मुमककन ो गय ै, और कफर भ्रूण को गभ िशय के अिंदर जमे हुए रि की िून" अनुस र शब्द के भगव न ै गय ो मुमककन देखन में रूप के िुकडे के गे ो सम्भवदेखन में रूप के िुकडे के स्मट्टी य म स को भ्रूण कफर और," फुिक ै िगत तर की जुगि भ्रूण पर इस लतर ै गय रख त त के स्जसे द ढ़ ै देखन को व्यिंजनों केइस कफर और " बोिी की गोश्त " अनुस र शब्द के भगव नसम्भव ो गय ै और इसक दो भ ग ै प ि भ ग स्जस में शरीर के कुछ अिंगों दूसरे, ै अथि क "बनी नक़श " शब्द के भगव न य ै चूक ज ककय तैय र को "बनी बे और" शब्द के भगव न ै गय ककय न ीं तैय र भी कुछ में स्जस भ ग
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क अथि ै, य नी कक अगर म इस भ्रूण क वणिन हसिंथेरिक य गैर हसिंथेरिक रूप में करें तो य वणिन गित और अवैज्ञ स्नक ोग ,िेककन स ी वैज्ञ स्नक स्ववरण गोश्त बनी बे और बनी नक़श " ै क ने कुर न में रूप के शब्द के भगव न ककतनी में शब्दों के कुर न पस्वत्र कक ै सकते कर स्वच र आप " बोिी कीसिीकत ै ??
" में रूप के शब्द के भगव न ैं सकते देख को अवलथ की बन ने िी आप कफर कवर करने से म िंस को आप स्ियों कफर " ककय स्िय ूँ को बोिी की गोश्त कफर पर स्ियों उन कफर " में रूप के शब्द के भगव न ैं सकते देख को अवलथ कीम नव भ्रूण क ैं सकते देख को चरण अिंस्तम के सृस्ि आप तब " प न य गोश्तरूप इस लतर पर सभी स्पछिे चरणों के रूप से अिग ै म नव आकृस्त अन्य दूसरी सूरत और उसे रकफ" में रूप के शब्द के भगव न ै ोती अिग सेभ्रूण के दुस्नय इसीऔर ैं चरण के स्वक स के) स्नम िण क मनुष्य( भ्रूण ये "दी उठ न मेंव्यवलथ में पस्वत्र कुर न ने सिंस्क्षप्त शब्दों क प्रयोग करते हुए बडी सिीकत और आर ध्य तरीके से भ्रूण के स्वक स के चरण को बत य ै,
_________________________________________________________
भ्रूण स्नम िण के सभी चरणों को देखने के स्िए िॉ. करीम नजीब की ककत ब: एज जुि क़ुर न कफम तखफ़ी अि अर म की अध्ययन कर सकते ैं इसमें आिुस्नक तकनीकों द्व र फोिो स्िय गय ै और प्रत्येक चरण क समय लपष्ठ ककय गय ै,
आप स्वच र कर सकते ै कक पस्वत्र कुर न के शब्दों में ककतनी सिीकत ै और पस्वत्र क़ुर न और दीस शरीफ ने 1400 से भी अस्िक विों पूवि उन अस्वश्वसनीय वैज्ञ स्नक तथ्यों को बतय स्जसकी खोज आज इस आिुस्नक युग में तकनीकी स्वक स के ब द सम्भव ो सक ै!!
इसमें कोई सिंदे न ीं कक य सब पस्वत्र क़ुर न की सच्ची और स्वश्वसनीयत को इिंस्गत करत ै और य सविशस्िम न ईश्वर की ओर से अपने सच्चे नबी पे न स़्िि की गई व ी(इल् म) ै!
और कफर भगव न के ़िररये न स़्िि ककये गए रूपरेख में आज तक और क़य मत के कदन तक स्बन ककसी नुकस न और पररवतिन के पस्वत्र कुर न की रक्ष ोती र ेगी य इस ब त क सबूत ै कक य अल्ि की ककत ब ै और स्पछिी न स्जि की गई तम म आसम नी ककत बों क अिंस्तम ै!
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और इस चक चौंि वैज्ञ स्नक तथ्यों की अस्िक ज नक री के स्िए स्जसकी खबर पस्वत्र क़ुर न और दीस शरीफ ने 1400 से भी अस्िक विों पूवि ऐसे वि में कदय जब इस ब रे में ककसी को कुछ पत न ीं थ आप स्नम्नस्िस्खत ककत बों से ि भ उठ सकते ैं!:
1- मीन आय त अि एज ़ि अि इल्मी (लवगि, पृथ्वी, ज नवर, पौिे) कुर न में,िॉ जगिूि नज्ज र (अरबी सिंलकरण)
2- अि अज़्ि 1-2-३ िीि ए़ि ़ि अि इल्मी कफ अि सुन्न अि नबस्वय , िॉ जगिूि नज्ज र (अरबी सिंलकरण)
3- मौसूआ अि इलि म व इल्म अि दीस अि ए़ि ़ि अि इल्मी कफ अि क़ुर न अि करीम - िॉ जगिूि नज्ज र (अरबी सिंलकरण)
4-ककत ब इल्म अि अस्जन्न् कफ ज व अि क़ुर न व सुन्न स्ब ैअत अि एज ़ि अि इल्मी िीि क़ुर न व अि सुन्न बी मक्क अि मोकरिम
कफम तखफ़ी अि अर म िॉ करीम नजीब अि अअ़ि ए़ि ़ि अि क़ुर न - 5
6- अि इलि म व मुिशफ त अि इल्म अि दीसक ए द शव स् द व दि इि नबुव्व व ररस ित मु म्मद / प्रोफ़ेसर मु म्मद अि सैय्यद मु म्मद
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(प्रश्न):स् न्दू: में इलि म के पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम में स्वश्व स और उनकी द वत और ररस ित की तलदीक़ करने की ़िरूरत क्यों ै ?
(उत्तर14): मुस्लिम: पस्वत्र क़ुर न की सच्च ई और पस्वत्रत की ग रिंिी से सम्बिंस्ित स्पछिे प्रश्नों के उत्तर में मैंने य लपि ककय थ कक पस्वत्र क़ुर न पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम पे न स्जि हुआ स्जससे पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की द वत और ररस ित की सच्च ई क ज्ञ न ोत ै और मैं ने य भी लपि ककय थ कक (स्पछिे प्रश्न के उत्तर में) स् न्दू श स्त्रों में पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की अिंस्तम ़िम ने में आगमन की स फ़ और लपि भस्वष्यव णी मौजूद ैं!
मैं आपके स्िए पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के नबी और रसूि ोने के सबूत में प्रम ण के स थ सिंक्षेप में कुछ उद रण बय न करत हूूँ:
- शुद्ध आलथ और स फ सुथरी द वत स्जसे पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम िेकर आए और स्जसे शुद्ध लवभ व, पस्वत्र आत्म और अच्छे मन ने लवीक र ककय ै (स्जसकी अभी ऊपर इश र ककय ै)!
- पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम क स स् बे अिि क़ और करीम स्सफ़त ोन स्जसमें उनकी ब तों की स्मठ स ब तचीत में त ़िगी अच्छे म मि त स्िल्क़त की स्सफ ते कम ि व जम ि और सम्म स्नत विंश से ोन (व अरबों में सब से ज़्य द इज़़्ित व िे घर ने से थे) य सब इस ब त की दिीि ै कक अल्ि सविशस्िम न ने उन् ें ( ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम) को नबुव्वत व ररस ित के स्िए चुन स्िय ै !
- पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की इब दत दुस्नय की सज वि से अस्नच्छ एक भगव न की पूज िोगों को भि ई पुडय नैस्तकत और ररश्तेद र के स थ भि ई क म मि करने की तरफ आमिंस्त्रत करन और अपने मन को मेश अल्ि सविशस्िम न की लमरण में व्यलत रखन य सब ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के नबी और रसूि ोने की दिीि ै!
-आदमी के स थ दय करन भगव न के सभी प्र स्णयों के स थ करुण करन और ककसी भी क रन उन से जुडे िोगों क बरकत स्सि करन य सब ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के नबी और रसूि ोने की दिीि ै!
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- ईश्वर क उनकी प्र थिन को कबूि कर उनक समथिन करन ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के नबी और रसूि ोने की दिीि ै!
- मुजे़ि त और अिौककक (स्जसे अिंस्बय और रूसूि के इि व कोई दूसर न ीं कर सकत ) द्व र अल्ि सविशस्िम न क ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम क समथिन करन मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के नबी और रसूि ोने की दिीि ै! इसमें म न मोजे़ि (चमत्क र) भी श स्मि ै (कय मत के कदन तक स्जसकी सुरक्ष क व द खुद अल्ि सविशस्िम न ने स्िय ै ) और व : स्पछिी तम म ककत बों क अिंस्तम आसम नी ककत ब पस्वत्र क़ुर न ै जो अल्ि सविशस्िम न के व दे से और अपने प्रस्तहबिंब प्रक श से म फूज ै स्जस ने अपनी व स्ग्मत से अथि की भव्यत से शब्दों की सिीक गठबिंिन और बुन्य द से र जग रखी दे चुनौतीसे उद्देश्यों और िक्ष्योंबिन्द अपने को दूसरों और समय अरबों और िेककन देख ए ि कर) ि इन-एक( सूरत एक तर कीक़ुर न पस्वत्र भी कोईकक ैवे स्वफि र े और चक चौंि वैज्ञ स्नक तथ्यों को श स्मि (पस्वत्र क़ुर न) ने स्जसकी खबर 1400 से भी अस्िक विों पूवि ऐसे वि में कदय जब इस ब रे में ककसी को कुछ पत न ीं थ कफर आिुस्नक स्वज्ञ इसकी शुद्धत और स्वश्वसनीयत क गव बनकर आत ै त कक य स स्बत ो ज ए कक पस्वत्र क़ुर न अल्ि सविशस्िम न के तरफ से व ी (इल् म ) ै और ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम अल्ि के आखरी नबी ैं!
- इलि म के शत्रुओं द्व र ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम अल्ि को म रने और नुकस न पहुूँच ने की िग त र प्रय सों के ब वजूद द वत व ररस ित की तबिीग़ के स्िए ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम अल्ि को भगव न की सुरक्ष , च िीस स ि की उम्र में पैगिंबर मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम पे व ी न स़्िि हुई और 63 विि की उम्र में उनक स्निन हुआ य नी उनकी ररस ित की अवस्ि 23 स ि थी और य अवस्ि बहुत स रे र ष्ट्रपस्तयों और र ज ओं के श सन अवस्ि के बर बर ै!
िेककन इस अवस्ि में पैगिंबर मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम ने स्शकि और पूत परलती को जडें से उख ड फेंक अल्ि के अि व दूसरे (ग़ैरूल्ि ) की पूज को खत्म ककय ईम न और तौ ीद िोगों के कदिों में स्बठ य और स्बन ककसी स्शकि के स्सफि एक ईश्वर सविशस्िम न की इब दत के स्िए िोगों क अक़ीद मजबूत ककय , इसके इि व अरब प्र यद्वीप से सभी भ्रि प्रथ को उख ड फेंक , भगव न
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क य सब समथिन इस ब त पे गव ै कक ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम अल्ि के नबी और रसूि ैं!
:स र िंश क शैिी जीवन की वसल्िम अिैस् सल्िल्ि हु पैगिंबर मु म्मद -
मेश सोचते र ते, अस्िकतर चुप र ते, स्बन जरुरत ब त न ीं करते, नरम स्म़ि ज, लवयिं के स्िए कभी भी क्रोस्ित न ीं ोते, (भगव न के प्रस्तस्िद्ध के उल्ििंघन से क्रोस्ित ोते) आमतौर से उनकी िंसी मुलकुर ि ोती, अपने स स्थयों के स थ मज क करते और सच के इि व ब त न ीं करते,
क स्वशेित ओं स्जलम नी की वसल्िम अिैस् सल्िल्ि हु मु म्मद ़िरत पैगिंबर - :स र िंश
स्खित रिंग, पूर्णिम की च ूँद की तर गोि सुखि म इि सफेद चे र , सुरमई आूँखें (लव भ स्वक रूप से सुरम िग ने की वज से न ीं) बडी और सुखि िोरे व िी आूँखें, पिकों के ब ि आूँखें की स्मठ स और सुिंदरत को और अस्िक बन ती, एक दूसरे से स्बन जुडे ििंबी पतिी भौं, चौड म थ , पतिी न क, सुन्दर ोंठ, द िंतों के बीच अिंतर - स मने के द िंतों के बीच सुन्दर अिंतर- अगर ब त करते तो ऐस िगत की द िंतों के अिंतर से नूर स्नकि र ै, जब खुश ोते तो च ूँद के िुकडे की तर चे र चमकने िगत ,
घने और कुछ घुम वद र क िे ब ि, गरदन च िंदी की सुर ी म हनिंद, क िी द ढ़ी केवि कुछ सफेद ब ि (आयु के ब द),
सुसिंगत शरीर, न स़्िय द मोि न दुबि न िम्ब और न ी छोि , िेककन ििंब ई के स्नकितम, छ ती और पेि एक जैस , (य नी: ऊिंच ई में पेि और छ ती), चौडी छ ती, (खुद के स्िए कभी न ीं गुलस ोते बस्ल्क उनक क्रोि ईश्वर सविशस्िम न के स्िए थ ), रोशन बदन: अगर कभी शरीर क कुछ भ ग खुि ज त (जैसे ज और उमर के दरस्मय न कन्ि ) तो सफेदी की सुिंदरत से नूर की तर ऩिर आत ,... इसके अि व और भी पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की अच्छी स्जलम नी स्वशेित एिं ैं!
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(प्रश्न): स् न्दू: िमि के रूप में इलि म क चयन क्यों करन च स् ए?
(उत्तर): मुस्लिम: पूवि के दो प्रश्नों के उत्तर में क़ुर न की सच्च ई एविं पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम की द वत की सच्च ई जैस कक उनपर क़ुर न न स़्िि हुआ और दूसरे उद रण, सबूत और प्रम ण देकर लपिीकरण के अि व लपि करन च त हूूँ कक:
* इलि म प्र कृस्तक िमि ै और ईश्वर ने मनुष्य को इसी लवभ व पर पैद ककय ै य एकेश्वरव द िमि ै जो सविशस्िम न स्नम ित भगव न में आलथ और उसे एक ईश्वर म नने के स्िए स्नमिंत्रण करत ै म नव मन प्रस्त अिकिें सोच और उसे जव ब कदए ज ने की जरूरत इन स री ब तों क प्र रूस्पक त र्किक जव ब अस्ग्रम में गु़िर चुक ै!
* केवि इलि म एक ऐस िमि ै जो भगव न के सभी नस्बयों और रसूिों पर ईम न ि ने, उनकी इज़़्ित और श न बढ़ ने, उनके बीच भेदभ व न करने के स्िए आमिंस्त्रत करत ै और सभी नस्बयों रसूिों पे ईम न ि न उनकी इज़़्ित और श न बढ़ न उनकी सिंदेश(ररस ित) की पुस्ि करन ़िरूरी ै और इन सिंदेशों के अिंस्तम सन्देश पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम क सिंदेश ै जो इलि म िमि िेकर आए!
* आसम नी ककत ब(पस्वत्र क़ुर न)जो इलि म िेकर आय केवि एक ऐसी ककत ब ै स्जसकी स्न य स्वरूपण से सुरक्ष की स़्िम्मद री सविशस्िम न ईश्वर ने स्िय ै य इस क रण ै कक पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम के ब द कोई दूसर नबी य रसूि न ीं और पस्वत्र क़ुर न के ब द कोई दूसरी आसम नी ककत ब न ीं य एक ऐसी ककत ब ै स्जसपे स्पछिी सभी आसम नी ककत बें सिंपन्न ो ज ती ैं जो अपने प्रस्तहबिंब प्रक श से भगव न के व दे के मुत स्बक म फू़ि ै और म नवत की स री जरूरतों को श स्मि ै त कक मनुष्य दुस्नय और आस्िरत में अपन जीवन क मय ब कर सके, पस्वत्र कुर न श स्मि ैं:
क- स्बन ककसी अशुस्द्ध और िेढ़ेपन के स ी और स फ सुथर स्वश्व स
ख- सभी म नव जीवन की क मय बी के स्िए सीि क नून
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ग- म गिदशिन पूज स्जससे मनुष्य की आत्म बुर इयों से शुद्ध ोकर ए स न के ऊिंची प्रस्तष्ठ पर आसीन ो!
घ- अच्छे सिंलक र और सभ्य िेनदेन
ङ- उन्नस्त प्रगस्त और सभ्यत के स्िए उच्च स्शक्ष
च- स्वस्भन्न वैज्ञ स्नक क्षेत्रों में बहुत स रे िौककक स्वज्ञ न के कई और स्वस्भन्न सिंकेत त कक य सिंकेत स्वज्ञ न के र लते में आगे बढ़ने और लथ न िंतररत करने क एक म ध्यम ो!
छ- उच्च म गिदशिन के म ध्यम से स्वस्भन्न प्रक र के समलय ओं क ि स्जसक स मन इिंस न अतीत और वतिम न से करत र ै!
इसस्िए इलि म द्व र ि ई गई ईश्वर की अिंस्तम ककत ब (पस्वत्र कुर न) पर ईम न ि न और िमि के रूप में इलि म क चयन करन आवश्यक ै
* इलि म की उद रत : इलि म की उद रत इलि म के सन्देश से लपि ै इलि म क सन्देश शुद्ध स्वश्व स स फ सुथर अक़ीद एक ईश्वर पे स्वश्व स रखन उसकी बड ई बय न करन कमी दोि और अपम नजनक चररत्र से सविशस्िम न को प क रखन अक़ीदे में उद रत एविं मध्यलथत इस्ततय र करन ै तम न नबीयों पे ईम न ि न उनकी इज़़्ित और मतिबे को बिन्द करन ै (क्योंकक वे व िोग ैं स्जन् ें अल्ि ने अपन सन्देश िोगों तक पहुच ने के स्िए चुन ै)!
इलि म क उद रत स्वि न और पूज के कृत्यों में मध्यलथत इस्ततय र करने के सन्देश से भी लपि ै त कक कोई भी व्यस्ि अपनी त कत और ैस्सयत से ज़्य द बोझ न उठ ए और स्जसे करने की त क़त न ीं रखत उस पे बोझ न बन ज ए और र क म में मध्यलथत जैसे भोजन, पेय, और फ ितू खचि..., शरीर और आत्म क अस्िक र और आवश्यकत ओं को स्िए मध्यलथत , और य पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम क अपने स बी ़िरत सिम न की ब त क अनुसमथिन करने से लपि ै - अबू दद ि से ररव यत ैं "बेशक तुम् रे ईश्वर क तुम पे क़ ै और तुम् री ज न क तुम पे क़ ै और तुम् रे पररव र क तुम पे क़ ै इसस्िए प्रत्येक को उसक अस्िक र दो"
पैगिंबर सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम ने फ़रम य "सिम न ने सच क " [बुख री ने ररव यत की, एक ििंबी दीस से]
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इलि म िमि ऐस िमि ै जो दुस्नय और आस्िरत के बीच सिंतुिन क़य म करत ै और प्रत्येक क अस्िक र देत ै!
इस स्िए ़िरूरी ै की इलि म िमि को अपन य ज ए और य ठोस सबूत की बुस्नय द पे कक इलि म िमि अल्ि सविशस्िम न क सच्च िमि ै!
मैं य लपि करन च त हूूँ कक: आदमी को च स् ए कक (आम तौर पर) सच्च ई की ति श करें और जब भी ज िं भी इसकी स क्ष्य सबूत और स्वश्वसनीयत स्सि ो इसक अनुसरण करें समुद य में प्रचस्ित स्वश्व स पर ििे र न ठीक न ीं दरअसि समुद य के सदलयों द्व र चिी आ र ी ििंबी प्रथ िोगों के कदिों में घर कर ज ती ै और पूविजों(म त स्पत और द द द दी) की मुख िफत की इच्छ न ोने की वज से िोग खुद को उसी स्वश्व स पर ब की रखते ैं ख सकर जब िोगों को पत भी चि ज त ै की य स्वश्व स अपिंग ैं सच्च ई और स ी ईम न इसके इि व ै कफर भी थोडी सी भी प्र म स्णकत और सबूत के स्बन वे पूविजों से प्रचस्ित अपिंग स्वश्व स से िन न ीं च ते !
भ्रम अनुम न और अन्िस्वश्व स की बुस्नय द पे ऐसे स्वश्व स और आलथ को लवीक र करन स्जसकी प्र म स्णकत की थोडी सी भी सबूत न ो ख सकर अगर वे तकिसिंगत के स्वपरीत और उसके ़िरूररय त क स्वरोिी ो तो य उस म नव मन के स्िए अपम न ै जो सविशस्िम न ईश्वर द्व र म नव को कदय गय ै!
*******
(प्रश्न): स् न्दू: इलि म के चयन क पररण म आस्िरत में क्य ै?
(उत्तर14): मुस्लिम: अल्ि फरम त ै:
(और जो उसके हु़िूर ईम न के स थ आए कक अच्छे क म ककये ों तो उन् ीं के द्ऱिे ऊिंचे बसने के ब ग़ स्जनके नीचे ने रे ब े मेश उनमें र े, और य स्सि ै उसक जो प क हुआ) [सूरए तॉ : 75-76]
परमेश्वर सविशस्िम न पस्वत्र कुरआन की इस आयत में में बत त ै कक उन िोगों के स्िए सुिंदर और म न इन म ै जो िोग सविशस्िम न पर ईम न ि ए उसे तन
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म बूद तलिीम ककय और अल्ि को र ़िी करने के स्िए इखि स स्नयत से अच्छे क म ककये उसके आदेश के अनुप िन अिीन लवयिं को उसके स मने आत्मसपर्मित ककय !और य इनआम त ैं:
अमरत्व सुवगि में उच्च लथ न ज ूँ मेश मेश के स्िए आर म ै जो अस्वन शी और न खत्म ोने व ि ै!
:वणिन क लवगि में इलि म-
1-लथ यी सुख जो न क म ोग न ितम ोग !
2- जन्नस्तयों के स्िए चमकद र और ढिंग से सज य हुआ!
3- उसकी स्मट्टी तीि सफेद और िूि अच्छी ते़ि खुशबूद र शुद्ध कलतूरी ै व िं के किंकड (छोिे पत्थर) मोती और म स्णक के ैं !
4- व िं की म िें सोने और च िंदी की ैं!
5- लवगि की नकदय िं स्वस्वि और बहुत यत की वज से बहुत ी सुिंदर और कदिकश ैं कुछ नकदय िं शुद्ध प नी की ैं और कुछ दूि की ैं स्जसक लव द न ीं बदि ै और कुछ नकदय िं स्नमिि श द की ैं ... इसके अि व और अन्य!
6- लवगि रे ब ग नों और रसीिे फिों के पेड से भर हुआ ै!
7- ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम फरम ते ैं कक:
"लवगि में एक पेड ै स्जसकी छ य में य त्री सौ स ि तक चित र ेग ..." [वणिनकत ि:बुख री]
़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम फरम ते ैं कक:
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"लवगि में सरे पेडों क जड सोने क ै" [वणिनकत ि: स्तर्मि़िी]
8- उसके फि अच्छे स्वस्वि और ज़्य द ै और कभी ककसी भी समय कम न ीं ोत !
9- लवगि में स्वस्भन्न प्रक र के सभी लव कदि भोजन मौजूद ै (जैसे स्वस्भन्न प्रक र के म िंस .....) और पेय...!
10-व िं आूँखों की आनदिं और कदि की ि स् श की स री चीजें मौजूद ैं व िं ऐसी ऐसी नेमतें मौजूद ैं स्जसे आूँखों ने न कभी देख और न क न ने कभी सुन और न ी आदमी के कदि में उसके ब रे कोई ख्य ि आय !
:वणिन के जन्नस्तयों में इलि म
1-उनके चे रे बहुत अच्छे और खूबसूरत ोंगे, पूर्णिम की र त की च ूँद की तर कोमि चमकद र!
2- उनकी ििंब ई स ठ थ ोगी!
3- उनकी आयु ३३ विीय ोगी, कभी बूढ़े न ीं ोंगे, मेश जव न र ेंगे, न उनकी जव नी ितम ोगी और न उनके कपडे पुर ने ोंगें, वे मेश नेमतों में र ेंगे और उनको कभी मृत्यु न ीं आएगी!
4- तिंदुस्र्सलत, कभी बीम र न ीं ोंगे!
5- सविशस्िम न ईश्वर की प्रसन्नत क आनिंद िेंगे ईश्वर उन पर कभी आक्रोस्शत न ीं ोग , उनको कभी हचिंत ,सिंकि ग़म,तकिीफ ,कि और तकिीफ न ीं ोगी मेश खुश र ेंगे कभी कोई तकिीफ न ीं ोगी !
6- सविशस्िम न ईश्वर की दशिन क आनिंद िेंगे (सविशस्िम न को इ त ककये स्बन क्योंकक सविशस्िम न ईश्वर उस जैस कोई न ीं) आपस में कोई ककसी से ईि ि य ि न ीं करेग उनके कदि एक आदमी के कदि की तर ोग उनके बीच आपस में कोई इस्तति फ़ न ीं ोग !
7- र तर की लव कदि चीजें ख एिं स्पएिंगें!
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8- न थूकेंगे न बिगम करेंगें न पेश ब करेंगें न िैररन करेंगें उनक स़्िय द ख न प न ख ि के पसीने द्व र स्नकि ज एग उसकी खुशबू कलतूरी से भी अच्छी ोगी !
10- एक जन्नती को सौ आदमी क बि कदय ज एग
11- हूरें ऐन (लवगि की मस् ि ओं) से श दी करेंगे यकद लवगि की मस् ि ओं में से कोई पृथ्वी पर आ ज ए तो उनकी हुस्न और जम ि की वज से लवगि और पृथ्वी के बीच जो कुछ ै नूर से रौशन ो ज एग और इन दोनों के बीच व अच्छी खुशबु से भर ज एगी ज्ञ न ो कक पस्वत्र मुस्लिम मस् ि ओं को सविशस्िम न ईश्वर पुनजीस्वत करेग और नए स्सरे से बन एग तो हूरें ऐन (लवगि की मस् ि ओं) से भी ज्य द खूबसूरत ो ज एगीं और व लवगि में अपने पस्त के स थ र ेंगी!
12- उनक हुस्न और जम ि िग त र नय ोत र ेग और मेश बढ़त र ेग !
13- आत्म प्रेरण से थोडी सी भी परेश नी य थक न के स्बन सविशस्िम न ईश्वर की लतुस्त और प्रशिंस में िगे र ेंगे!
पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम फरम ते ैं कक:
" ईश्वर सविशस्िम न लवगि के िोगों से फरम एग : े लवगि के िोगों, वे क ेंगें: िब्बैक व स दैक म रे प्रभु अच्छ ई तेरे दलते कुदरत में ै , कफर परमेश्वर क ेग : क्य तुम िोग र जी हुए ? तो लवगि के िोग क ेंगें: म क्यों र जी न ीं ोंगे, े प्रभु तूने मुझे व सब कदय जो अपनी रचन में ककसी को भी न ीं कदय , कफर परमेश्वर क ेग : क्य मैं उससे भी बे तर तुम् ें न दूिं? वे क ेंगें: े प्रभु उस से बे तर क्य ची़ि ै? कफर परमेश्वर क ेग : मैं तुम िोगों से र जी हूूँ अब तुम िोगों पर कभी न र ़ि न ीं हूूँग " [मुस्लिम द्व र वर्णित]
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पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हु अिैस् वसल्िम फरम ते ैं कक:
"लवगि के िोगों को लवगि में प्रवेश करने के ब द क ज एग : सविशस्िम न भगव न फरम एग : क्य आप िोग कुछ और च ते ैं क्य कुछ अस्िक कर दूूँ? तो वे क ेंगे प्रभु क्य तू ने में लवगि में द स्खि न ीं ककय और नरक से न ीं बच य ? पैगिंबर ़िरत मु म्मद सल्िल्ि हुअिैस् वसल्िम फरम ते ैं कक: परमेश्वर अपन पद ि ि िेग तो जो कुछ भी उन् ें कदय गय ै उस से अस्िक स्प्रय सविशस्िम न प ठ क आय त इस कफर" ोग ़िय द य और ोग देखन परमेश्वर को चढ़ेगी न पर मुिं उनके औरभि ई व िों के स्िये भि ई ै और इस से भी अस्िक :"ककय वर्णित] द्व र [मुस्लिम "र ेंगे मेश उसमें वो, ैं व िे जन्नत व ी तव री और स्सय ी दीद र क ईश्वर सविशस्िम न: ै ै प्रक र इस जो ,स थ के उद रण सरि एक न ीं अ त नजर की जीव को ईश्वर सविशस्िम न , ोग स्बन ककये अ त उसे समय सविशस्िम न ैं बेस्नय ़ि से समय और जग ईश्वर सविशस्िम न सकती कर ! ै स्नम ित जग क और ******* च त करन प्रश्न से आप मैं ब द के लपिीकरण और उत्तर के प्रश्नों के आप :मुस्लिम): प्रश्न(? ै यर क्य की आप अब ब रे के इलि म की हूूँ स मिंजलय स थ के प्रकृस्त उस और सिंगत तकि को इलि म मैंने कक ै य तथ्य :स् न्दू): उत्तर( त र्किक क प्रश्न उस र में इलि म मैंने ै ककय पैद को सब ने अल्ि पर स्जस ै प य उत्तर सिंगत तकि स्जसक और थ सोचत में ब रे स्जसके ै प य प्र रूस्पक जव बएविं स्जसे ै की व्य ख्य की जो जन्नत नेहुए आप देते उत्तरक प्रश्नों अि व ! इसकेथ च त गय मचि स्िए उसके शौक भी मेर तो ै बन य स्िए के आस्लतक ने अल्ि
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