“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जल्द तथा देर से शमलने वाली हर प्रकार की भलाई माूँगता ह ूँ, जो मैं जानता ह ूँ और जो नहीं जानता। और मैं जल्द तथा देर से आने वाली हर प्रकार की बुराई से तेरी िरण चाहता ह ूँ, जो मैं जानता ह ूँ और जो नहीं जानता। ऐ अल्लाह! मैं तुझसे उस भलाई का प्रश्न करता ह ूँ, जो तेरे बांदे और तेरे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने तुझसे तलब शकया है, और मैं उस बुराई से तेरी िरण चाहता ह ूँ शजससे तेरे बांदे और तेरे नबी ने िरण चाही है। ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जन्नत तथा उससे शनकट करने वाले कायप एवां कथन का प्रश्न करता ह ूँ, तथा मैं जहन्नम और उससे शनकट कर देने वाले कायप एवां कथन से तेरी िरण चाहता ह ूँ। और मैं तुझसे सवाल करता ह ूँ शक तूने मेरे शलए जो भी फैसला शकया है, उसे बेहतर कर दे।”
[सहीह] रसूल सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने यह दुआ मोशमनों की माता आयिा रशजयल्लाहु अन्हा को शसखाई थी, और यह व्यापक दुआओां में से है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
ऐ अल्लाह! मैं तेरी नेमत के शिन के जाने, तेरे प्रदान शकए हुए कल्याण के (शवपशत्त में) बदल जाने, तेरी अचानक आपदा तथा तेरे हर प्रकार के क्रोध से तेरी िरण चाहता ह ूँ।
[यह हदीस सहीह है].
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे अच्िे कायप करने, बुराइयों को िोड़ने तथा शनधपनों से प्यार करने का सामर्थयप माूँगता ह ूँ और जब तू शकसी समुदाय को शफत्ने (प्रीक्षण) में डालना चाहे, तो मुझे उसमें डालने से पहले ही मृत्यु दे दे। मैं तुझसे तेरी महब्बत और तुझसे महब्बत करने वाले की महब्बत और तेरी महब्बत से शनकट करने वाले कायप से महब्बत का सामर्थयप माूँगता ह ूँ।''
[यह हदीस हसन सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने इस दुआ का अध्ययन करने और सीखने का आदेि शदया है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"ऐ अल्लाह! आकािों के स्वामी, धरती के स्वामी, महान शसांहासन के स्वामी, हमारे स्वामी और हर चीज के स्वामी, दाने एवां गुिली को फाड़ने वाले और तौरात, इांजील तथा कुरआन उतारने वाले! मैं हर उस चीज की बुराई से तेरी िरण माूँगता ह ूँ, शजसकी पेिानी को तू पकड़े हुए है। ऐ अल्लाह! तू अव्वल (प्रथम एवां आशद) है, तुझसे पहले कोई चीज नहीं, तू आश़िर (अांत एवां अनाशद) है, तेरे बाद कोई चीज नहीं, तू जाशहर (प्रत्यक्ष व उच्च) है, तेरे ऊपर कोई चीज नहीं और तू बाशतन (अप्रत्यक्ष व गुप्त) है, तेरे परे कोई चीज नहीं। हमारे कजप अदा कर दे और हमें शनधपनता से मुशि प्रदान कर।"
[यह हदीस सहीह है]. यह कजप के चुकाने और रोजी में शवस्तार के शलए दुआ है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"ऐ अल्लाह! तू हमें अपना इतना भय प्रदान कर जो हमारे और तेरी अवज्ञा के बीच आड़ बन जाए, तथा हमें अपने आज्ञापालन का सामर्थयप प्रदान कर शजसके द्वारा तू हमें अपनी जन्नत तक पहुूँचा दे और हमें इतना शवश्वास प्रदान कर शजसके द्वारा तू हमारे शलए दुशनया की आपदाओां को आसान कर दे। ऐ अल्लाह! जब तक तू हमें जीशवत रख, हमारे कानों, हमारी आूँखों और हमारी िशियों से हमें लाभाशन्वत होने की तौफ़ीक प्रदान कर, इन चीजों से लाभाशन्वत होना शनरांतर (आजीवन) बाकी रख, हमारा प्रशतिोध उन लोगों तक सीशमत कर दे जो हम पर अत्याचार करने वाले हैं, जो हमसे दुश्मनी करे उसके श़िलाफ़ हमारी मदद कर, हमारे धमप के मामले में हमें आपदा से ग्रस्त न कर, दुशनया को हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य और हमारे ज्ञान की पराकाष्टा न बना और शकसी ऐसे व्यशि को हमपर हावी ना कर जो हम पर दया न करे।"
[यह हदीस हसन है]. अब्दुल्लाह शबन उमर (रशजयल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं शक “बहुत कम ही ऐसा होता शक अल्लाह के रसूल
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
(सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम) शकसी मजशलस से उिते, तो अपने सहाबा के शलए यह दुआ न करते।
"ऐ अल्लाह! जब मैं खड़ा रह ूँ तो इस्लाम के द्वारा मेरी सुरक्षा कर, जब मैं बैिा रह ूँ तो इस्लाम के द्वारा मेरी सुरक्षा कर और जब मैं सोया रह ूँ तो इस्लाम के द्वारा मेरी सुरक्षा कर और मुझपर शकसी ईर्षयापलु ित्रु को हूँसने का अवसर न दे। ऐ अल्लाह! मैं तुझसे हर वह भलाई माूँगता ह ूँ, शजसके कोिागार तेरे हाथ में हैं और हर उस बुराई से तेरी िरण माूँगता ह ूँ, शजसके कोिागार तेरे हाथ में हैं।"
[यह हदीस हसन है].
"ऐ अल्लाह! शदलों के फेरने वाले! हमारे शदलों को अपनी आज्ञाकाररता पर फेर दे।"
[यह हदीस सहीह है].
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
'ऐ शदलों को उलटने पलटने वाले! मेरा शदल अपने धमप पर जमा दे।''
[यह हदीस सहीह है].नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम अकसर यह दुआ पढा करते थे।
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इस माध्यम से माूँगता ह ूँ शक सारी प्रिांसा तेरी है। तेरे शसवा कोई सत्य पूज्य नहीं है। तू महा उपकारी है। तू आकािों एवां धरती का रचशयता है। ऐ प्रतापी एवां उपकारी! ऐ सदा जीशवत रहने वाले और इस ब्रह्माण्ड को सांभालने वाले!"
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने एक व्यशि को अपनी नमाज में यह दुआ करते सुना, तो फ़रमाया: "उसने अल्लाह से उसके उस महान नाम के माध्यम से दुआ की है,
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
शजसके द्वारा उससे दुआ की जाए तो वह उसे कबूल करता है और जब उसके द्वारा माूँगा जाए तो वह प्रदान करता है।"
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इस माध्यम से प्रश्न करता ह ूँ शक तू अकेला और बेशनयाज है, शजसने न शकसी को जना है, न शकसी ने उसको जना है और न उसका कोई समकक्ष है शक तू मेरे गुनाहों को क्षमा कर दे। शनिःसांदेह तू बहुत क्षमा करने वाला और दयालु है।"
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने एक व्यशि को तिह्हुद में यह दुआ पढते सुना, तो फ़रमाया: "उसे क्षमा कर शदया गया, उसे क्षमा कर शदया गया, उसे क्षमा कर शदया गया।"
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे मागपदिपन, धमपशनष्टता, पशवत्रता और बेशनयाजी माूँगता ह ूँ।"
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
[यह हदीस सहीह है]. पशवत्रता: जो चीज अनुमेय नहीं है उससे बचना और दूर रहना। बेशनयाजी: लोगों से तथा जो कुि उनके पास है, उससे बेपरवाह होना।
"ऐ अल्लाह! क्षमा कर दे मेरे पाप, मेरी अज्ञानता, मेरी अपने मामले में ज़्यादती और उस चीज को शजसे तू मुझसे अशधक जानता है। ऐ अल्लाह! क्षमा कर दे मेरी इच्िािशि से होने वाले पाप तथा मेरे मजाक के रप में होने वाले पाप, मेरी गलती तथा मेरे जान-बूझकर होने वाले पाप को, और यह सब मेरी ओर से है। ऐ अल्लाह! क्षमा कर दे मेरे उन पापों को जो मैं पहले कर चुका ह ूँ और उन्हें जो बाद में, मैं कर सकता ह ूँ, और शजन्हें मैंने शिपाकर शकया है और शजन्हें मैंने शदखाकर शकया है, और शजन्हें तू मुझसे बेहतर जानता है। तू ही आगे करने वाला और तू ही पीिे करने वाला है तथा तू सब कुि करने में सक्षम है।"
[यह हदीस सहीह है].
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
ऐ अल्लाह! हमारे पालनहार! हमें दुशनया में भी भलाई प्रदान कर और आश़िरत में भी भलाई प्रदान कर और हमें आग (जहन्नम) के अजाब से बचा।"
[यह हदीस सहीह है]. दुशनया की भलाई के अांदर बांदे को दुशनया में प्राप्त होने वाली हर भलाई िाशमल है और आश़िरत की भलाई से अशभप्राय जन्नत है। अनस रशजयल्लाहु अन्हु की सूचना के अनुसार यह उन दुआओां में से एक है, जो नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम अकसर शकया करते थे। तथा स्वयां अनस रशजयल्लाहु अन्हु भी जब कोई दुआ करना चाहते, तो यही दुआ करते थे। इन सांशक्षप्त िब्दों में दुशनया एवां आश़िरत की सारी भलाइयाूँ समाशव कर दी गई हैं और साथ ही जहन्नम के अजाब से बचाव का अनुरोध शकया गया है, जो शक सबसे बड़ी बुराई है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
“ऐ अल्लाह! तू मेरा माशलक है। तेरे शसवा कोई सत्य पूज्य नहीं। तूने ही मुझे पैदा शकया है और मैं तेरा बांदा ह ूँ। मैं अपनी यथािशि तेरे वचन और प्रशतज्ञा पर कायम ह ूँ। मैं अपने शकए हुए कामों की बुराई से तेरी िरण चाहता ह ूँ। मैं अपने ऊपर तेरी नेमत को स्वीकारता ह ूँ तथा मैं अपने गुनाह को भी तेरे समक्ष स्वीकार करता ह ूँ। अतिः मेरे पाप क्षमा कर दे। कयोंशक तेरे शसवा कोई और गुनाह माफ़ करने वाला नहीं है।” नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने फ़रमाया: "शजसने यह दुआ यकीन के साथ शदन के समय पढी और उस शदन िाम होने से पहले मर गया, तो वह जन्नतवासी है और शजसने रात के समय उसे पूरे शवश्वास के साथ पढा और सुबह होने से पहले मर गया तो वह जन्नत वालों में से है।"
[यह हदीस सहीह है].
"ऐ अल्लाह! शनिय तू क्षमा करने वाला दयालु है, तुझे क्षमा करना पसांद है। अतिः मुझे क्षमा कर दे।"
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
[यह हदीस सहीह है].
"ऐ अल्लाह! अपने शजक्र, िुक्र और अच्िी तरह इबादत करने पर हमारी मदद फ़रमा।"
[यह हदीस सहीह है].
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
िठा अध्याय: शचिंता, दुुःख, सांकट और व्याकुलता की दुआएाँ
"ऐ अल्लाह! मैं तेरा बांदा और तेरे बांदे एवां बांदी का बेटा ह ूँ। मेरी पेिानी तेरे हाथ में है। मेरे बारे में तेरा आदेि चलता है। मेरे बारे में तेरा शनणपय न्याय पर आधाररत है। मैं तुझसे तेरे हर उस नाम का वास्ता देकर माूँगता ह ूँ, शजससे तूने ़िुद को नाशमत शकया है, या उसे अपनी शकसी सृश को शसखाया है, या उसे अपनी शकताब में उतारा है, या उसे अपने पास अपने परोक्ष ज्ञान में सुरशक्षत कर रखा है, शक कुरआन को मेरे शदल का वसांत, मेरे सीने की रोिनी, मेरे दुिःख का मोचन और मेरी व्याकुलता को समाप्त करने वाला बना दे।"
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने फ़रमाया है शक शजसने यह दुआ सुनी है, उसे इसे सीख लेना चाशहए।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
“ऐ अल्लाह! मैं तेरी ही दया की आिा रखता ह ूँ। अतिः मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ़्स के हवाले न कर और मेरे शलए मेरे सारे मामलों को िीक कर दे। तेरे अशतररि कोई वास्तशवक पूज्य नहीं है।”
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने बताया है शक यह व्यशथत लोगों की दुआओां में से है।
"अल्लाह के शसवा कोई सच्चा पूज्य नहीं, जो महान और सहनिील है। अल्लाह के शसवा कोई पूज्य नहीं, जो महान अिप (शसांहासन) का माशलक है। अल्लाह के शसवा कोई पूज्य नहीं, जो आकािों का स्वामी, धरती का स्वामी और उदार शसांहासन (अिप) का स्वामी है।"
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम सांकट के समय इसे पढते थे और उसके बाद दुआ करते थे।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"तेरे शसवा कोई वास्तशवक पूज्य नहीं, तू पशवत्र है। शनिःसांदेह मैं ही जाशलमों में से था"
[यह हदीस सहीह है]. यह दुआ मिली वाले नबी (यूनुस अलैशहस्सलाम) ने उस समय की थी, जब वह मिली के पेट में थे। नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने बताया है शक जो भी मुसलमान व्यशि शकसी भी काम के शलए यह दुआ करेगा, उसकी दुआ कबूल की जाएगी।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
सातवााँ अध्याय: नब़ी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम से प्रमाणणत कुि िरण मााँगने के वाक्ाांि
"ऐ अल्लाह! मैं तेरी प्रसन्नता के द्वारा तेरे क्रोध से िरण चाहता ह ूँ, तेरे क्षमादान के द्वारा तेरी सजा से िरण चाहता ह ूँ और तुझसे तेरी िरण में आता ह ूँ। मैं यथोशचत तेरी प्रिांसा करने में सक्षम नहीं ह ूँ। तू तो वैसा ही है, जैसा शक तूने स्वयां अपनी प्रिांसा की है।"
[यह हदीस सहीह है]. नववी ने इस हदीस की व्याख्या करते हुए एक सूक्ष्म बात उल्लेख की है। वह कहते हैं शक नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने उच्च एवां महान अल्लाह से यह दुआ की है शक वह आपको अपनी प्रसन्नता के द्वारा अपने क्रोध से और अपनी क्षमा के द्वारा अपनी सजा से िरण प्रदान कर दे। जबशक प्रसन्नता एवां क्रोध, इसी तरह क्षमादान एवां सजा शवपरीत अथप वाले िब्द हैं।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
इसका अशभप्राय: अल्लाह की इबादत और उसकी प्रिांसा करने के हक में होने वाली कोताही से क्षमा माूँगना है।
"ऐ अल्लाह!, मैं आपदा के क, दुभापग्य के शिकार होने, बुरे भाग्य (तकदीर) और दुश्मनों के खुि होने से तेरी िरण माूँगता ह ूँ।"
[यह हदीस सहीह है].(आपदा का क): वह क और कशिनाई जो मनुर्षय को हर उस आपदा से पीशड़त होने के कारण होती है, शजसे सहन करने की उसके पास कोई िशि नहीं होती और न तो वह उसे अपने आपसे दूर करने में सक्षम होता है। (दुभापग्य का शिकार होना): क, कशिनाई और सांकट का आना और शवनाि के कारणों का सामना होना। (बुरा भाग्य): ऐसा फैसला जो इनसान के हक में अच्िा न हो। (दुश्मनों का खुि होना): इनसान के शकसी मुसीबत और शवपशत्त में पड़ने और दुखी होने पर, दुश्मन का उसके दुिःख पर खुि होना।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"ऐ अल्लाह! मैं तेरी िरण में आता ह ूँ शवविता, आलस्य, कायरता, कांजूसी, बुढापे तथा कब्र की यातना से। ऐ अल्लाह! मेरे नफ़्स को तक़्वा प्रदान कर और उसे पशवत्र कर दे। तू ही सबसे बेहतर पशवत्र करने वाला है। तू ही उसका माशलक और स्वामी है। ऐ अल्लाह! मैं तेरी िरण चाहता ह ूँ ऐसे ज्ञान से जो लाभदायक न हो, ऐसे शदल से जो भय न खाता हो, ऐसे नफ़्स से जो तृप्त (सांतु) न होता हो और ऐसी दुआ से जो स्वीकार न की जाए।"
[यह हदीस सहीह है]. (उसे पशवत्र कर दे) अथापत: उसे पाक कर दे, तेरे शसवा उसे कोई पाक करने वाला नहीं है।
"ऐ अल्लाह! हम जहन्नम के अजाब से तेरी िरण में आते हैं, मैं कब्र की अजाब से तेरी िरण चाहता ह ूँ, मैं मसीह दज्जाल (काने दज्जाल) के शफ़तने से तेरी िरण चाहता ह ूँ तथा मैं जीवन एवां मृत्यु के शफ़तने से तेरी िरण चाहता ह ूँ।"
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
[यह हदीस सहीह है] अब्दुल्लाह शबन अब्बास रशजयल्लाहु अन्हुमा का वणपन है शक नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम सहाबा को यह दुआ उसी तरह शसखाते थे, जैसे उन्हें कुरआन की कोई सूरत शसखाते थे।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
आठवााँ अध्याय: नब़ी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के कुि अजकार
"मैं अल्लाह की पशवत्रता बयान करता ह ूँ उसकी प्रिांसा के साथ। मैं महान अल्लाह की पशवत्रता बयान करता ह ूँ।"
[यह हदीस सहीह है]. हदीस में है शक यह शजक्र नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम को उन सभी चीजों से अशधक पसांद था, शजनपर सूरज शनकलता है।
"अल्लाह पशवत्र है, सारी प्रिांसा अल्लाह के शलए योग्य है, अल्लाह शसवा कोई सत्य पूज्य नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है।"
[यह हदीस सहीह है]. हदीस में आया है शक ये अल्लाह के शनकट सबसे शप्रय िब्द हैं।
जुवैररया रशजयल्लाहु अन्हा से ररवायत है शक:
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
वह नमाज पढने के बाद उसी जगह बैिी थीं शक नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम उनके पास से सुबह के समय फ़ज्र की नमाज पढने के बाद शनकले। शफर सूरज ऊपर चढ जाने के बाद लौटे, तो वह उसी जगह बैिी थीं। यह देख आपने कहा: "मैं तुम्हें शजस हाल पर िोड़ गया था, अभी तक तुम उसी हाल पर होॽ" उन्होंने हाूँ में जवाब शदया, तो नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम ने कहा: "मैंने तुम्हारे पास से जाने के बाद चार िब्द तीन बार कहे हैं। यशद उन्हें आज तुमने जो अजकार पढे हैं, उनसे तौला जाए, तो वे चार िब्द भारी साशबत होंगे। वे चार िब्द हैं: َ د َ د َ ع ، ِ ه ِ د ْ م َ ح ِ ب َ و ِ الله َ نا َ ح ْ ب ُ س
''मैं अल्लाह की पशवत्रता बयान करता ह ूँ उसकी प्रिांसा के साथ, उसकी रचनाओां की सांख्या के बराबर, उसकी प्रसन्नता के बराबर, उसके शसांहासन के वजन के बराबर और उसके िब्दों को शलखने की रोिनाई के बराबर।"
[यह हदीस सहीह है]. इस हदीस को इमाम मुशस्लम ने ररवायत शकया है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"अल्लाह की तौफ़ीक के शबना पाप से बचने की िशि है, न पुण्य करने की क्षमता।"
[यह हदीस सहीह है]. हदीस में है शक यह जन्नत के ़िजानों में से एक ़िजाना है।
"मैं अल्लाह को अपना पालनहार, इस्लाम को अपना धमप और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम) को अपना नबी मानकर राजी हो गया।"
[यह हदीस सहीह है]. हदीस में है शक जो इन िब्दों को कहेगा, उसके शलए जन्नत अशनवायप हो जाएगी।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
"अल्लाह के अशतररि कोई सत्य पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं, उसी के शलए राज्य और उसी के शलए सब प्रिांसा है और वह प्रत्येक चीज का सामर्थयप रखता है|"
[यह हदीस सहीह है]. शजसने शदन में सौ बार ये िब्द कहे, उसे दस दास मुि करने के बराबर सवाब शमलेगा, उसके शलए सौ नेशकयाूँ शलखी जाएूँगी, उसके सौ गुनाह माफ़ शकए जाएूँगे, उसे उस शदन िाम तक िैतान से सुरक्षा प्राप्त होगी और कोई भी उससे अच्िा कमप करने वाला नहीं होगा, शसवाय उस व्यशि के शजसने उससे अशधक कमप शकया हो।
"ऐ अल्लाह! ऐ हमारे रब! सारी प्रिांसा तेरे ही शलए है, तू आकािों तथा धरती का थामने वाला है। सारी प्रिांसा तेरे ही शलए है, तू आकािों तथा धरती और उनमें मौजूद सारी चीजों का स्वामी है। सारी प्रिांसा तेरे ही शलए है, तू आकािों तथा धरती और उनमें मौजूद सारी चीजों का नूर (प्रकाि) है। तू सत्य है। तेरी बात सत्य है।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
तेरा वचन सत्य है। तुझसे शमलना सत्य है। जन्नत सत्य है। जहन्नम सत्य है। कयामत सत्य है। ऐ अल्लाह! मैंने अपने आपको तेरे सामने समशपपत कर शदया, तुझपर ईमान लाया, तुझपर भरोसा शकया, तेरी मदद से अपने ित्रुओां से झगड़ा शकया और तेरे ही पास अपना मामला फैसला के शलए ले गया। अतिः मेरे उन सारे गुनाहों को क्षमा कर दे, जो मैं पहले कर चुका ह ूँ और जो बाद में मुझसे हो सकते हैं, और जो मैंने गुप्त रप से शकया है और जो मैंने सावपजशनक रप से शकया है। तू ही आगे करने वाला और तू ही पीिे करने वाला है, तेरे शसवा कोई सत्य पूज्य नहीं।"
[यह हदीस सहीह है]. नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम यह दुआ रात में तहज्जुद के शलए उिते समय पढते थे।
“ऐ अल्लाह! मैंने अपने आपको तेरे सामने समशपपत कर शदया, तुझपर ईमान लाया, तुझपर भरोसा शकया, तेरी ओर लौटा और तेरी मदद से दुश्मनों से झगड़ा शकया। ऐ अल्लाह! मैं तेरे प्रभुत्व की
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
िरण में आता ह ूँ, तेरे शसवा कोई सत्य पूज्य नहीं, इस बात से शक तू मुझे गुमराह करे। तू जीवांत है, शजसे कभी मौत नहीं आती, जबशक s
[यह हदीस सहीह है].
"िुर करता ह ूँ अल्लाह के नाम से, शजसके नाम के साथ धरती और आकाि में कोई वस्तु हाशन नहीं पहुूँचा सकती तथा वह सुनने वाला और जानने वाला है।"
[यह हदीस सहीह है]. शजसने िाम के समय तीन बार यह दुआ पढी, सुबह तक कोई वस्तु उसको हाशन नहीं पहुूँचा सकती और शजसने सुबह के समय तीन बार यह दुआ पढी, िाम तक कोई वस्तु उसको हाशन नहीं पहुूँचा सकती।
दुआ के सद्गुण, शिाचार और वाांशित समय
तवषय सूच़ी
पहला अध्याय: दुआ की फ़जीलत (सद्गुण) 5
दूसरा अध्याय: दुआ के शिाचार और उसके स्वीकायप होने के कारण: 7
तीसरा अध्याय: दुआ के कबूल होने के समय, शस्थशतयाूँ और स्थान 10
चौथा अध्याय: कुरआनी दुआएूँ 13
पाूँचवाूँ अध्याय: हदीस से प्रमाशणत दुआएूँ 18
ििा अध्याय: शचांता, दुिःख, सांकट और व्याकुलता की दुआएूँ 30
सातवाूँ अध्याय: नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम से प्रमाशणत कुि िरण माूँगने के वाकयाांि 33
आिवाूँ अध्याय: नबी सल्लल्लाहु अलैशह व सल्लम के कुि अजकार 36
शवषय सूची 42