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शुरुआती दिक्कतें





बाइबल यहूदी और ईसाई धर्म का पवित्र धर्मग्रंथ है। इसाईओं की बाइबिल में पुराने टेस्टामेंट और नए टेस्टामेंट हैं, पुराना टेस्टामेंट रोमन कैथोलिक और पूर्वी रूढ़िवादी संस्करणों और कुछ किताबों की स्वीकृति के कारण प्रोटेस्टेंट द्वारा ग्रंथ के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है जिसकी वजह से यह थोड़ा बड़ा है। यहूदियों की बाइबल में केवल वे किताबे शामिल हैं जो ईसाइयों के पुराने टेस्टामेंट के रूप में जानी जाती हैं। इसके अलावा, यहूदी और ईसाई सिद्धांत काफी अलग अलग हैं।[1]  पैगंबर मुहम्मद की भविष्यवाणी पुराने टेस्टामेंट और नए टेस्टामेंट दोनों में की गई है।





माना जाता है कि यीशु और धर्मोपदेशक अरामी भाषा बोलते थे। लगभग 650 ई. तक अरामी भाषा बोली जाती रही, इसके बाद इसकी जगह अरबी भाषा ने ले ली।[2]  हालांकि आज की बाइबल अरामी हस्तलिपि पर आधारित नहीं है, बल्कि ग्रीक और लैटिन संस्करणों पर आधारित है।





बाइबल की भविष्यवाणियों का हवाला देते हुए यह जरूरी नहीं है कि मुसलमान वर्तमान बाइबल को पूरी तरह से ईश्वर की किताब के रूप में स्वीकार करें। पिछले धर्मग्रंथों पर मुसलमानो के यकीन के लिए, कृपया यहां क्लिक करें।





 किसी को पैगंबर मानने के लिए यह आवशयक नहीं है कि उनकी भविष्यवाणी पिछले पैगंबर ने की हो। मूसा फिरौन के लिए एक पैगंबर थे, उससे पहले किसी ने भी उनके पैगंबर होने की भविष्वाणी नहीं की थी। इब्राहीम नमरूद के लिए ईश्वर की तरफ से भेजे गए पैगंबर थे, लेकिन फिर भी किसी ने उनके आने की भविष्यवाणी नहीं की थी। नूह, लूत और अन्य भी ईश्वर के भेजे गए पैगंबर थे फिर भी उनकी भविष्यवाणी नहीं की गई थी। एक पैगंबर होने का सबूत केवल पुरानी भविष्यवाणियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उनके द्वारा लाया गया वास्तविक संदेश, चमत्कार और बहुत कुछ शामिल है।





भविष्यवाणियों पर चर्चा करना एक नाजुक मामला है। इसके लिए बाइबल के संस्करणों और अनुवादों को देखना, हाल ही में खोजी गई हस्तलिपियों और हिब्रू, ग्रीक और अरामी शब्दों को खोजना और उनको जांचने की आवश्यकता होती है। यह विशेष रूप से मुश्किल है क्योकि 15वीं शताब्दी से पहले प्रिंटिंग प्रेस नही थे इसलिए बाइबल की सभी प्रतियों में भिन्नताएँ हैं।[3]  यह आम लोगों के लिए आसान विषय नहीं है। इसलिए सबसे अच्छी गवाही उस जगह के प्राचीन और आधुनिक विशेषज्ञों से मिलती है जिन्होंने भविष्यवाणियों को स्वीकार किया था।





हमारे पास शुरुआती यहूदि और ईसाइ भिक्षुओं और रब्बियों के रिकॉर्ड हैं जिन्होंने देखा कि पैगंबर मुहम्मद बिलकुल वैसे थे जैसा बाइबल में विशेष भविष्यवाणी की गई थी। इन लोगों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।





आने वाले पैगंबर





इस्लाम से पहले के यहूदी और अरब के ईसाई एक पैगंबर के आने का इंतजार कर रहे थे। पैगंबर मुहम्मद के आने से पहले अरब में यहूदी, ईसाई और अरब के मूर्तिपूजक रहते थे, जो कभी-कभी आपस में ही लड़ते रहते थे। यहूदी और ईसाई कहते थे: "एक पैगंबर के आने का समय आ गया है जो इब्राहिम के धर्म को आगे बढ़ाएगा। हम उसके साथ शामिल हो जायेंगे और तुम्हारे खिलाफ भयंकर युद्ध करेगें।" जब पैगंबर मुहम्मद वास्तव में आये तो उनमें से कुछ ने उन पर विश्वास किया और कुछ ने इनकार कर दिया। इसलिए ईश्वर ने ये छंद उतारा:





“और अब जो एक किताब ईश्वर की तरफ से उनके पास आई है, उसके साथ उनका क्या बर्ताव है? इसके बावजूद कि उसके आने से पहले वो खुद कुफ़्र करनेवालों के मुकाबले में जीत और मदद की दुआएं मांगा करते थे। मगर अब वो चीज़ आ गई है और वो उसे पहचान भी गए हैं, फिर भी उन्होंने उसे मानने से इनकार कर दिया है। तो अब ईश्वर की लानत इन इनकार करने वालों पर है।“ (क़ुरआन 2:89)





पहला गवाह एक ईसाई भिक्षु बुहैरा थे, जब पैगंबर मुहम्मद छोटे थे तभी उन्होंने उनके पैगंबर होने को पहचाना और अपने चाचा से कहा:





"...आपके भतीजे की किस्मत बहुत बड़ी है, इसलिए उसे जल्दी से घर ले जाओ।"[4]





 









 





दूसरे गवाह एक ईसाई विद्वान वरकाह इब्न नौफल थे, जो मुहम्मद से एक बार मिलने के तुरंत बाद मर गए। वरकाह ने प्रमाणित किया कि मुहम्मद अपने समय के पैगंबर थे और उन्होंने बिल्कुल मूसा और यीशु की तरह ही इल्म हासिल किया था।[5]





मदीना के यहूदी किसी पैगंबर के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। तीसरे और चौथे गवाह उनके दो प्रसिद्ध यहूदी रब्बी, अब्दुल्ला इब्न सलाम और मुखैरिक थे।[6]





छठे और सातवें गवाह भी यमनी यहूदी रब्बी, वहब इब्न मुनाबिह और काब अल-अहबर (डी. 656 सीई) थे। काब ने बाइबल में मूसा द्वारा आने वाले पैगंबर की भविष्यवाणी और तारीफ के लंबे अंश पाए।[7]





क़ुरआन कहता है:





"क्या इन (मक्कावालों) के लिये ये निशानी नहीं है कि इसे बनी-इस्राईल के आलिम जानते हैं।" (क़ुरआन 26:197)



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