सामग्री

वो कौन से प्रश्न हैं जिन से मनुष्य का क़ब्र के अंदर सामना होता है और जिन से हम पनाह मांगते हैं?





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।





प्रथम :





जब इंसान मर जाता है और उसकी प्राण निकल जाती है और उसे उसकी क़ब्र में रख दिया जाता है तो उस समय वह आखिरत के प्रथम चरण में होता है, क्योंकि क़ब्र आखिरत के पड़ाव में से पहला पड़ाव है। उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु के मौला हानी से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : उसमान बिन अफ्फान जब क़ब्र पर खड़े होते थे तो रोते थे यहाँ तक कि उनकी दाढ़ी भीग जाती थी। तो उन से कहा जाता कि : जन्नत और जहन्नम का ज़िक्र किया जाता है, तो आप नहीं रोते और इस से रोते हैं? तो वह उत्तर देते कि : अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है :"क़ब्र आखिरत की पहली मंजिल है, अगर वह इस से छुटकारा पा गया तो उसके बाद का चरण इस से आसान है, और अगर वह इस से छुटकारा नहीं पाया तो इसके बाद का चरण इस से कठिन है।" और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "मैं ने क़ब्र से अधिक भयानक दृश्य कोई नहीं देखा।" इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 2308) और इब्ने माजा ने (हदीस संख्या : 4567 के तहत) रिवायत किया है। और अल्बानी ने "सहीहुल जामिअ" में (हदीस संख्या :1684 के तहत) इसे हसन कहा है।





दूसरा :





उसके पास उस पर तैनात दोनों फरिश्ते आते हैं और जो कुछ वह दुनिया में अपने रब, अपने धर्म और अपने पैग़ंबर के बारे में विश्वास रखता था, उसके संबंध में प्रश्न करते हैं, यदि वह उन्हें भली भांति जवाब देता है तो यह उसके लिए भला है, और यदि उन्हें जवाब नहीं देता है तो वे उसकी दुखदायी भयंकर पिटाई करते हैं।





यदि वह अच्छे लोगों में से है तो उसके पास सफेद चेहरे वाले फरिश्ते आते हैं, और यदि वह बुरे लोगों में से है तो उसके पास काले चेहरे वाले फरिश्ते आते हैं, और यही उसका फित्ना (आज़माइश) है जिस से वह दोचार होता है।





आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाया करते थे : "ऐ अल्लाह, मैं तेरी पनाह में आता हूँ काहिली, बुढ़ापा, क़र्ज़ और पाप से, ऐ अल्लाह, मैं तेरी पनाह में आता हूँ आग के अज़ाब, आग के फित्ने, क़ब्र के फित्ने और क़ब्र के अज़ाब और मालदारी के फित्ने की बुराई और गरीबी के फित्ने की बुराई, और मसीह दज्जाल के फित्ने की बुराई से, ऐ अल्लाह मेरी ग़लतियों को पानी, बरफ और ओले से धुल दे, और मेरे दिल को गुनाहों से पवित्र कर दे जिस प्रकार कि सफेद कपड़े को गंदगी (मैल कुचैल) से साफ किया जाता है, और मेरे और मेरे गुनाहों के बीच दूरी पैदा कर दे जिस प्रकार कि तू ने दूरी पैदा की है पूरब और पच्छिम के बीच।" इस हदीस को बुखारी ने रिवायत किया है (हदीस संख्या :6014)





इब्ने हजर फरमाते हैं :





आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के फरमान "और क़ब्र के फित्ने से": यह दोनों फरिश्तों का प्रश्न है। (फत्हुल बारी 11/177)





और मुबारकपूरी कहते हैं :





"क़ब्र का फित्ना" दोनों फरिश्तों का जवाब देने में हैरत और संकोच में पड़ना है। (तोहफतुल अह्वज़ी 9/328)





तीसरा :





जहाँ तक उस प्रश्न का संबंध है जिसे फरिश्ते क़ब्र में पूछते हैं तो वह नीचे आने वाली हदीस में वर्णित है :





बरा बिन आज़िब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : हम अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक अनसारी आदमी के जनाज़ा में निकले, हम क़ब्र के पास पहुँचे तो वह अभी तैयार नहीं थी, तो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बैठ गये और हम भी आप के चारों ओर इस तरह बैठ गये गोया कि हमारे सरों पर चिड़ियाँ बैठी हैं। आपके हाथ में एक लकड़ी थी जिस से आप कुरेद रहे थे, फिर आप ने अपना सिर उठाया और कहा : क़ब्र के अज़ाब से अल्लाह की पनाह मांगो, आप ने तीन बार -या दो बार- कहा, फिर आप ने फरमाया : जब मोमिन बन्दा दुनिया से कट रहा होता है और आखिरत की ओर जाने वाला होता है तो उसके पास आसमान से सफेद (चमकदार) चेहरे वाले फरिश्ते आते हैं गोया कि उनके चेहरे सूरज हैं, यहाँ तक कि वे उसके पास जहाँ तक निगाह जाती है बैठ जाते हैं, उनके साथ जन्नत के कफन और जन्नत की खुश्बू होती है, मौत का फरिश्ता (मल-कुल मौत) आता है और उसके सिर के पास बैठ जाता है, और कहता है : ऐ पवित्र जान, अल्लाह की बख्शिश और उसकी प्रसन्नता की ओर निकल, तो वह ऐसे ही बहते हुए (आसानी से) निकलती है जिस प्रकार कि मश्कीज़े के मुँह से पानी की बूँद बहती है, जब वह उसे निकाल लेता है तो (अन्य फरिश्ते) उसे उसके हाथ में पलक झपकने के बराबर भी नहीं छोड़ते हैं यहाँ तक कि उसे लेकर उस कफन और उस खुश्बू में रख लेते हैं, तो उस से धरती पर पाई जाने वाली सब से पवित्र कस्तूरी की सुगंध निकलती है, फिर उसे लेकर ऊपर चढ़ते हैं, और उसे लेकर फरिश्तों के जिस गिरोह से भी गुज़रते हैं तो वो कहते हैं : यह पवित्र आत्मा कौन है? तो वे दुनिया में उसका सबसे अच्छा नाम लेकर कहते हैं कि यह फलाँ बिन फलाँ है, यहाँ तक कि उसे आसमाने दुनिया (प्रथम आकाश) तक लेकर पहुँचते हैं, उसे खुलवाया जाता है तो उनके लिए खोल दिया जाता है, फिर हर आसमान के निकटवर्ती फरिश्ते उसके बाद वाले आसमान तक उसका स्वागत करते हैं, यहाँ तक कि उसे लेकर सातवें आसमान तक पहुँचा जाता है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : तो अल्लाह कहता है : मेरे बन्दे के कर्मपत्र को सातवें आसमान में ईल्लीईन में लिख दो और उसे धरती पर लौटा दो, क्योंकि मैं उन्हें उसी से पैदा किया हूँ और उसी में लौटाऊँ गा और उसी से दुबारा निकालूँ गा, चुनाँचि उसकी आत्मा को उसके शरीर में लौटा दिया जाता है, फिर उसके पास दो फरिश्ते आते हैं और उसे बैठाते हैं और उस से कहते हैं : तुम्हारा रब कौन हैं? तो वह जवाब देता है कि मेरा रब अल्लाह है, तो वे दोनों उस से कहते हैं : तुम्हारा धर्म क्या है? तो वह कहता है : मेरा धर्म इस्लाम है, तो वे दोनों उस से कहते हैं कि : जो आदमी तुम्हारे बीच भेजा गया था वह कौन है? तो वह जवाब देता है : वह अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तो वे दोनों कहते हैं : तुझे कैसे पता चला? (कि वह अल्लाह के पैग़ंबर हैं) तो वह जवाब देता है कि : मैं ने अल्लाह की किताब पढ़ी, उस पर ईमान लाया और उसको सच्चा माना। आकाश से एक उद्घोषणा (मुनादी) करने वाला आवाज़ देता है कि मेरे बन्दे ने सच्च कहा, अत: उस के लिए स्वर्ग का बिछौना लगा दो, उसे स्वर्ग का पोशाक पहना दो और उस के लिए स्वर्ग की ओर एक द्वार खोल दो, आप ने फरमाया कि फिर उसे स्वर्ग की सुगन्ध और भोजन पहुंचता रहता है, और उसकी क़ब्र जहाँ तक उसकी निगाह जाती है विस्तृत कर दी जाती है। और उसके पास सुंदर चेहरा, सुंदर कपड़ा और अच्छी सुगंध वाला आदमी आता है और कहता है : खुश हो जा उस चीज़ से जो तुझे खुश करने वाली है, यही तेरा वह दिन है जिसका तुझ से वादा किया जा रहा था। तो वह कहेगा कि तू कौन है? तेरा चेहरा तो ऐसा है जो भलाई लेकर आता है। तो वह कहेगा : मैं तेरा नेक अमल हूँ। तो वह कहेगा : मेरे पालनहार! क़ियामत क़ाइम कर दे ताकि मैं अपने परिवार और धन में वापस जाऊँ।





और जब काफिर बन्दा दुनिया से कट रहा होता और आखिरत की ओर जा रहा होता है तो उसके पास आसमान से काले चेहरे वाले फरिश्ते आते हैं जिनके साथ टाट होते हैं यहाँ तक कि वे उसके पास जहाँ तक उसकी दृष्टि जाती है बैठ जाते हैं, फिर आप ने फरमाया : फिर मौत का फरिश्ता आता है यहाँ तक कि उसके सिर के पास बैठ जाता है और कहता है : ऐ खबीस (अपवित्र) आत्मा, तू अल्लाह के क्रोध और उसके गुस्से की तरफ निकल, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : तो वह आत्मा उसके शरीर में फैल जाती है, आप ने फरमाया : चुनाँचि वह निकलती है तो उसके साथ रग और पट्ठे भी फंस कर चले आते हैं जिस प्रकार कि सीख को भीगे हुए ऊन से खींचा जाता है। फिर वह (मौत का फरिश्ता) उसे ले लेता है, जब वह उसे ले लेता है तो वे फरिश्ते उसके हाथ में उसे पलक झपकने के बराबर भी नहीं छोड़ते हैं यहाँ तक कि उसे लेकर उस टाट में डाल लेते हैं तो उस से धरती पर पाई जाने वाली सबसे अधिक बदबूदार दुर्गंध निकलती है, तो वे उस को लेकर ऊपर चढ़ते हैं और फरिश्तों के जिस दल से भी उनका गुज़र होता है वे कहते हैं : यह खबीस आत्मा कौन है? तो वे दुनिया में उसका सबसे बुरा नाम लेकर कहते हैं कि फलाँ बिन फलाँ है, यहाँ तक उसे आसमाने दुनिया तक ले जाया जाता है, तो फरिश्ते उसका दरवाज़ा खुलवाते हैं तो उसके लिए दरवाजा़ नहीं खोला जाता है। फिर रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह आयत पढ़ी : "उनके लिये आसमान के दरवाज़े नहीं खोले जायेंगे और वे जन्नत में दाखिल नहीं हो पायेंगे जब तक ऊँट सुई के नाके में दाखिल न हो जाये।" (सूरतुल आराफ : 40) आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : तो अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल फरमाता है : मेरे बन्दे के कर्मपत्र को सिज्जीन में धरती के निचले भाग में लिख दो, और उसे धरती की ओर लौटा दो क्योंकि मैं ने उन्हें उसी से पैदा किया है और उसी में लौटाऊँ गा और उसी से उन्हें दुबारा निकालूँगा। चुनाँचि उसकी आत्मा को फेंक दिया जाता है। हदीस के रावी ने कहा कि फिर रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह आयत पढ़ी : "अल्लाह का साझी बनाने वाला जैसे आकाश से गिर पड़ा, अब या तो पक्षी उसे उचक ले जायेंगे या हवा किसी दूर दराज़ जगह पर फेंक देगी।" (सूरतुल हज्ज : 31) फरमाया : फिर उसकी आत्मा को उसके शरीर में लौटा दिया जाता है, और उसके पास दो फरिश्ते आते हैं और उस से पूछते हैं : तुम्हारा रब कौन है? तो वह कहता है : हाह् हाह्, मुझे नहीं पता। तो वे दोनों उस से कहते हैं : तेरा धर्म क्या है? तो वह जवाब देता है : हाह् हाह्, मैं नहीं जानता। आप ने फरमाया : आसमान से एक मुनादी करने वाला आवाज़ देता है : उसके लिए आग (नरक) का बिछौना लगा दो, उसे नरक का कपड़ा पहना दो और उसके लिए नरक की ओर एक द्वार खोल दो। फरमाया : तो उसके पास उसकी गरमी और लपट आती रहती है और उसकी क़ब्र को तंग कर दिया जाता है यहाँ तक कि उसकी पिसलियाँ एक दूसरे में मिल जाती हैं, और उसके पास कुरूप बुरे कपड़े वाला बदबूदार आदमी आता है और कहता है : तेरे लिए उस चीज़ की शुभसूचना है जो तेरे लिए बुरी है, यह तेरा वह दिन है जिसका तुझ से वादा किया जाता था, तो वह कहेगा :तू कौन है? तेरा चेहरा तो ऐसा है जो बुराई लेकर आता है, तो वह जवाब देगा :मैं तेरा बुरा अमल हूँ। तो वह कहे गा कि : मेरे रब क़ियामत न क़ायम कर, मेरे रब क़ियामत न क़ायम कर।"





इसे अबूदाऊद ने (हदीस संख्या : 4753) और इमाम अहमद ने (हदीस संख्या: 18063) के अंतरगत रिवायत किया है और इस हदीस के शब्द अहमद के हैं।





और अल्बानी ने सहीहुल जामिअ़ (हदीस संख्या : 1676) के अंतरगत इसे सहीह कहा है।





अतः सहीह बात यही है कि दोनों फरिश्ते क़ब्र में मुर्दे से केवल तौहीद और अक़ीदा के मसाईल के बारे में प्रश्न करेंगे, और यह स्पष्ट और खुला है।





और अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखने वाला है।





इस्लाम प्रश्न और उत्तर





क्या इस बात की कोई दलील है कि पुनः जी उठने के दिन तराज़ू के ज़ुबान होगी ?





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।





वह मीज़ान – तराज़ू - जिस से क़ियामत के दिन आमाल – कार्यों - को तौला जायेगा,  क़ुर्आन और मुतवातिर सुन्नत से प्रमाणित है, तथा उसके विवरण के बारे में साबित है कि उसके दो पल्ले या पलड़े होंगे जिनमें नेकियों और बुराईयों को रखा जायेगा जैसा कि कार्ड वाले की सुप्रसिद्ध हदीस में है, तथा कुछ विद्वानों का कहना है कि : मीज़ान के ज़ुबान होगी, और इसके बारे में इब्ने अब्बास और हसन अल-बसरी से असर वर्णित है, लेकिन इस बारे में कोई मरफूअ हदीस सही नहीं है। (जिस हदीस की सनद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक पहुँचती है उसे मरफूअ हदीस, तथा सहाबी या ताबई की बात को असर कहा जाता है ).





शैख सालेह बिन अब्दुल अज़ीज़ आलुश्शैख हफिज़हुल्लाह ने फरमाया: ‘‘हदीस में आया है कि मीज़ान के दो पलड़े होंगे : एक पलड़े में बुराईयों को रखा जायेगा, और दूसरे पलड़े में नेकियों को रखा जायेगा। अतः जिसकी नेकियों का पलड़ा भारी हो गया तो वह सफल और कामयाब रहा और वह जन्नत में दाखिल होगा, और जिसकी बुराईयों का पलड़ा भारी हो गया तो वह अल्लाह सर्वशक्तिमान के अज़ाब से दोचार होगा ।





सुन्नत के कुछ विद्वानों ने अपने अक़ाइद में कहा है : मीज़ान के दो पलड़े और ज़ुबान हैं।





और मीज़ान के ज़ुबान होने के बारे में जैसा कि इब्ने क़ुदामा ने ‘‘लुमअतुल एतिक़ाद” में और उनके अलावा अन्य ने उल्लेख किया है, मुझे इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण याद नहीं है, या मैं उसके बारे में किसी स्पष्ट प्रमाण से अवगत नहीं हुआ हूँ, किंतु लोगों ने उसे इस बात से निकाला है कि झुकाव में प्रत्यक्ष वज़न ज़ुबान के द्वारा स्पष्ट होता है, अतः उन्हों ने प्रत्यक्ष शब्द को अमल में लाते हुए उसे ज़ुबान के मौजूद होने का सबूत बना दिया, इसलिए उचित होगा कि उसे अनुसंधान और अन्वेषण का विषय बनाया जाए।” ‘‘शर्हुल अक़ीदा अत्तहाविया” से समाप्त हुआ।





इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह की इबारत जिसकी ओर ‘‘लुमअतुल एतिक़ाद” में संकेत किया गया है, यह है: ‘‘मीज़ान के दो पलड़े होंगे और ज़ुबान होगी, जिसके द्वारा आमाल को तौला जायेगा:





﴿ فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ فَأُوْلَئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ فَأُوْلَئِكَ الَّذِينَ خَسِرُوا أَنفُسَهُمْ فِي جَهَنَّمَ خَالِدُونَ ﴾ [المؤمنون : 101 -102]





 “अतः जिन लोगों के मीज़ान भारी होंगे तो वही लोग सफलता प्राप्त करने वाले हैं और जिन लोगों के मीज़ान हल्के होंगे तो वही लोग हैं जिन्हों ने अपना घाटा किया नरक में हमेशा रहेंगे।” (सूरतुल मोमिनून : 102, 103)” अंत.





तथा शैख अब्दुर्रज़्ज़ाक़ बिन अब्दुल मोहसिन अल-अब्बाद हफिज़हुल्लाह ने फरमाया : ‘‘(अल-मीज़ान) आखिरत के दिन पर ईमान रखने में मीज़ान पर ईमान रखना भी है जो क़ियामत के दिन क़ायम किया जायेगा :





﴿وَنَضَعُ الْمَوَازِينَ الْقِسْطَ لِيَوْمِ الْقِيَامَةِ فَلا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْئًا وَإِنْ كَانَ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِنْ خَرْدَلٍ أَتَيْنَا بِهَا وَكَفَى بِنَا حَاسِبِينَ ﴾ [الأنبياء : 47]





“और हम क़ियामत के दिन बीच में ला रखें गे ठीक ठीक तौलने वाली तराज़ू को। फिर किसी पर कुछ भी अत्याचार न किया जायेगा, और यदि एक राई के दाने के बराबर कोई अमल होगा तो हम उसे ला हाज़िर करें गे और हम काफी हैं हिसाब करने वाले।” (सूरतुल अंबिया : 47)





चुनांचे आमाल, सहीफों और लोगों को तौला जाम येगा। और वह एक वास्तविक मीज़ान है, उसके दो पलड़े होंगे, एक पलड़े में नेकियाँ रखी जायेंगी और एक पलड़े में बुराईयाँ रखी जायेंगी। और इसी में से कार्ड वाली हदीस भी है। और उस हदीस में तर्क का स्थान पलड़ों का वर्णन है और वह यह शब्द है: ‘‘कार्ड को एक पलड़े में रखा जायेगा और सहीफों (कर्म-पत्रों) को एक दूसरे पलड़े में रखा जायेगा।” तथा कुछ आसार में आया है कि (उसके ज़ुबान और दो पलड़े हैं) और वह असर इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है, जिसे अबुश्शैख ने कल्बी के तरीक़ से उल्लेख किया है, तथा वह हसन से भी वर्णित है, जबकि ज़ुबान का वर्णन किसी मरफूअ़ हदीस में नहीं आया है। मीज़ान की हदीसें मुतवातिर हैं, और क़ुरआन मीज़ान से संबंधित आयतों से भरा हुआ है, और ये ऐसे तराज़ू हैं जों कण के बराबर चीज़ों को भी तौल डालेंगे :





﴿فَمَنْ يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَيْرًا يَرَهُ  وَمَنْ يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا يَرَهُ﴾ [الزلزلة : 7-8]





“जिसने एक कण के बराबर नेकी की है वह उसे देख लेगा और जिसने एक कण के बराबर भी बुराई की है वह उसे देखे लेगा।” (सूरतुज़ ज़लज़ला : 7 - 8).





“अत्तोहफतुस्सनीयह शर्ह क़सीदतुब्ने अबी दाऊद अल-हाई” से अंत हुआ।





और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।





 



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