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सहीह बुख़ारी में इस हदीस का उल्लेख किया गया है कि 70 हज़ार लोग स्वर्ग में जायें गे, मुसलमानों की पहली तीन पीढ़ियों के लोगों की संख्या ही 70 हज़ार तक पहुँच सकती है, तो क्या इस हदीस की कोई अन्या व्याख्या है?





उत्तर





उत्तर




हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति अल्लाह के लिए योग्य है।





शायद ऐ प्रश्नकर्ता! आप 70 हज़ार लोगों के बिना हिसाब के स्वर्ग में प्रवेष करने की हदीस की ओर संकेत कर रहे हैं, जिसे बुखारी व मुस्लिम और अहमद वगैरा ने नबी सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम (आप पर अल्लाह की दया और शान्ति अवतरित हो) से रिवायत किया है। और अगर आप इस हदीस में गौर करें तो आप ने अपने प्रश्न में जो आपत्ति व्यक्त की है -इन शा-अल्लाह - उसका समाधान हो जायेगा। इमाम बुखारी रहिमहुल्लाह ने अपनी सहीह में इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "मेरे सामने समुदायों को प्रदर्शित किया गया, चुनाँचि ईशदूत गुज़रने लगे जिन के साथ उनके कुछ अनुयायी थे, और ऐसा भी ईशदूत था जिसके साथ कोई भी नहीं था, यहाँ तक कि मुझे एक बड़ी झुण्ड दिखाई गयी, मैं ने कहा : "यह क्या है? क्या मेरी उम्मत (समुदाय) यही है?" कहा गया : बल्कि यह मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम है। कहा गया कि क्षितिज की ओर देखिये, तो मैं ने एक बड़ा समूह देखा जिस ने क्षितिज को भर दिया था। फिर मुझ से कहा गया कि इधर और उधर आकाश के क्षितिज में दिखिये, तो मैं ने एक झुण्ड देखा जिसने क्षितिज को भर दिया था। कहा गया कि यह आप की उम्मत (समुदाय) है, और इन में से 70 हज़ार लोग बिना हिसाब के स्वर्ग में प्रवेष करेंगे। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अंदर चले गये और उन्हें इसके बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया। चुनाँचि लोग इस पर चर्चा करने लगे और कहा कि हम लोग अल्लाह पर ईमान लाये और उसके पैग़ंबर की पैरवी की, तो क्या हम ही वे लोग हैं या हमारी संतानें हैं जो इस्लाम के समय काल में पैदा हुये जबकि हम जाहिलियत (अज्ञानता) के ज़माने में पैदा हुये थे? नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को इसकी सूचना मिली तो आप बाहर निकले और फरमाया : "ये वे लोग हैं जो झाड़-फूँक नहीं करवाते, न बुरा शकुन लेते हैं, न ही आग से दाग़ लगवाते हैं और अपने रब (प्रभु) पर भरोसा करते हैं .." (बुखारी हदीस संख्या: 5270)





इस हदीस का अभिप्राय इस बात को स्पष्ट करना है कि इस उम्मत का एक समूह बिना हिसाब व किताब के स्वर्ग में जाये गा, इसका मतलब यह नहीं है कि इस उम्मत के स्वर्गवासियों की संख्या 70 हज़ार है। ये 70 हज़ार जिनकी ओर हदीस में संकेत किया गया है, वे इस उम्मत के उच्च स्तर वाले लोग हैं क्योंकि इन के विशिष्ट गुण हैं जिनका हदीस में उल्लेख किया गया है कि : "ये वे लोग हैं जो झाड़-फूँक नहीं करवाते, न बुरा शकुन लेते हैं, न ही आग से दाग़ लगवाते हैं और अपने रब (प्रभु) पर भरोसा करते हैं।" 





तथा उन लोगों के बिना हिसाब और सज़ा के स्वर्ग में जाने के कारण को इमाम बुख़ारी रहिमहुल्लाह की एक दूसरी हदीस में स्पष्ट रूप से बयान किया गया है, जिसे उन्हों ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा कि:  नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि मेरे सामने उम्मतों (समुदायों) को प्रस्तुत किया गया, चुनाँचि एक नबी गुज़रता था उसके साथ एक समुदाय होता, और एक नबी के साथ एक समूह होता, और एक नबी ग़ुज़रता उसके साथ दस लोग होते, और कोई नबी ग़ुज़रता उसके साथ पाँच लोग होते, तथा कोई नबी अकेले गुज़रता उसके साथ कोई नहीं होता, फिर मैं ने देखा तो मुझे एक बड़ा समूह दिखाई दिया, मैं ने कहा कि ऐ जिब्रील! क्या ये लोग मेरी उम्मत हैं? उन्हों ने कहा कि नहीं, लेकिन आप क्षितिज की ओर देखें, मैं ने देखा तो एक बड़ा समूह दिखाई दिया, उन्हों ने कहा कि यह आप की उम्मत है, और ये सत्तर हज़ार जो इनके आगे हैं इन पर न कोई हिसाब होगा और न अज़ाब। मैं ने कहा : ऐसा क्यों? तो उन्हों ने उत्तर दिया : ये लोग आग से दाग़ नहीं लगवाते थे, न झाड़-फूँक करवाते थे, न बुरा शकुन लेते थे, और अपने रब पर भरोसा करते थे। इस पर उकाशा बिन मेहसन खड़े हुये और कहा : अल्लाह से दुआ कीजिये कि मुझे उन लोगों में से बना दे। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ऐ अल्लाह इसे उन लोगों में से बना। फिर एक दूसरा आदमी खड़ा हुआ और कहा कि अल्लाह से दुआ कर दीजिये कि मुझे भी उन लोगों में से बना दे। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  ने फरमाया : उकाशा तुम से इस में पहल कर गये।" (सहीह बुख़ारी हदीस संख्या: 6059)





तथा उनके गुणों के उल्लेख में सहल बिन सअद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस भी वर्णित है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप ने फरमाया : "मेरी उम्मत के सत्तर हज़ार या सात लाख (हदीस के एक वक्ता को शक हुआ है) लोग स्वर्ग में प्रवेष करेंगे, उनके प्राथमिक लोग प्रवेष नहीं करेंगे यहाँ तक कि उनके अंतिम लोग प्रवेष कर लें, उनके चेहरे चौदहवीं रात की चाँद के समान होंगे।" (बुखारी)





तथा अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि मैं ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना :"मेरी उम्मत के सत्तर हज़ार लोगों का एक समूह स्वर्ग में प्रवेष करेगा, जिनके चेहरे चाँद की तरह चमक रहे होंगे।" (बुखारी)





तथा उनके गुणों के उल्लेख में इमाम मुस्लिम ने अपनी सहीह में जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस का उल्लेख किया है जिस में यह वर्णित है कि : "फिर मोमिन लोग नजात पा जायेंगे, चुनाँचि सत्तर हज़ार लोगों का पहला समूह नजात पायेगा जिनके चेहरे चौदहवीं रात की चाँद के समान होंगे और उनका हिसाब नहीं होगा, फिर जो लोग उनके बाद होंगे वे आकाश के सब से अधिक चकमदार तारे की तरह होंगे ..."





हम सभी मुसलमानों के लिए इस हदीस और इस के अलावा अन्य हदीसों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की तरफ से शुभसूचना और अच्छी खबर है। जहाँ तक इस हदीस का संबंध है तो मुस्नद इमाम अहमद, सुनन तिर्मिज़ी और इब्ने माजा में अबू उमामा की हदीस में एक महान वृद्धि और अधिक जानकारी वर्णित हुई है जिसके शब्द यह हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "मेरे रब अज़्ज़ा व जल्ल ने मुझ से वादा किया है कि मेरी उम्मत में से सत्तर हज़ार लोगों को बिना हिसाब और अज़ाब के स्वर्ग में दाखिल करेगा, जिन में से हर हज़ार के साथ सत्तर हज़ार लोग होंगे, तथा मेरे रब अज़्ज़ा व जल्ल के तीन लपों भर लोग अधिक होंगे।"





अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें उन लोगों में से बनाये। अगर आप सत्तर हज़ार में से हर हज़ार के साथ सत्तर हज़ार को शुमार करें, तो बिना हिसाब के स्वर्ग में जाने वालों की कुल संख्या कितनी हो जायेगी?? और महान, दयालू, कृपालू, दानशील रब के हर लप के लोगों की संख्या कितनी होगी?? अल्लाह तआला से प्रार्थना है कि हमें भी उन संख्याओं में से बना दे।





दूसरी शुभ सूचना यह है कि इस उम्मत के जन्नतियों (स्वर्गवासियों) की संख्या, स्वर्ग में जाने वाले सम्पूर्ण लोगों की दो-तिहाई होगी। अत: मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत से जन्नत में जाने वाले लोग, पिछले सभी समुदायों से मिलकर जन्नत में जाने वाले लोगों से अधिकतर होंगे। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह शुभ सूचना अपनी उस हदीस में दी है जिस में आप ने एक दिन अपने सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से फरमाया : "क्या तुम इस बात को पसंद करते हो कि तुम जन्नत में जाने वाले लोगों के एक चौथाई रहो? हम ने कहा : जी हाँ, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: क्या तुम इस बात से प्रसन्न हो कि तुम एक तिहाई जन्नती रहो? हम ने कहा: जी हाँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया क्या तुम्हें पसंद है कि आधे जन्नती तुम ही रहो? हम ने कहा : जी हाँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : उस अस्तित्व की सौगंध जिस के हाथ में मुहम्मद की जान है मुझे आशा है कि जन्नत में जाने वाले लोगों में से आधा तुम ही होगे, इसका कारण यह है कि जन्नत में केवल मुसलमान ही जायेगा, और तुम लोग शिर्क करने वाले लोगों के मध्य काले बैल की खाल में सफेद बाल की तरह या लाल बैल की खाल में काले बाल के समान हो।" (बुखारी हदीस संख्या : 6047)





फिर अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक दूसरी सहीह हदीस में हमारे लिए शुभसूचना को सम्पूर्ण करते हुये फरमाया : "जन्नती लोगों की एक सौ बीस (120) पंक्तियाँ होंगी, जिन में से अस्सी (80) इस उम्मत की होंगी और चालीस पंक्तियाँ अन्य शेष समुदायों से होंगी।" (तिर्मिज़ी हदीस संख्या : 3469, तथा तिर्मिज़ी ने इस हदीस को हसन कहा है।)





अत: हम अल्लाह तआला की उसकी अनुकम्पा पर प्रशंसा और स्तुति करते हैं और उसकी अनुग्रह और करूणा का प्रश्न करते हैं, और यह कि हमें अपनी शक्ति और उपकार से स्वर्ग में निवास प्रदान करे, तथा अल्लाह तआला की दया और कृपा अवतरित हो हमारे नबी मुहम्मद पर।





शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद



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