एक मुसलमान महिला जिसके काफिर परिवार अपने त्योहारों को मनाते हैं
मेरे माता पिता और मेरे भाई मुसलमान नहीं हैं और वे मेरे जन्म दिन को मनाने पर ज़ोर देते हैं, चुनांचे वे मुझे पत्र भेजते हैं, मुझे फोन करते है और जन्म दिन के गीत गाते हैं, जबकि मैं ने उनसे कहा है कि यह दिन किसी भी अन्य दिन के समान ही है। परिवार में एकमात्र मैं ही मुसलमान हूँ और मैं ने एक मुस्लिम से शादी की है और कनाडा में अपने परिवार से दूर एक दूसरे क्षेत्र में रहती हूँ। इस वर्ष मैं ने उस दिन टेलीफोन को काट दिया ताकि उनके कॉल को रिसीव न करूँ, तो मुझे क्या करना चाहिए ॽ
उत्तर
सभी प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
हम आपको, ऐ सम्मानित बहन ! धर्म पर इस स्थिरता तथा शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और धर्म में नवाचारों (बिद्अतों) से दूर रहने पर बधाई देते हैं। हम अल्लाह से प्रश्न करते हैं कि वह आपको धर्म पर स्थिर रखे और आप को स्वर्ग में प्रवेश दिलाए, निःसंदेह वह सुनने वाला स्वीकार करने वाला है।
तथा आप अनेकेश्वरवादियों के त्योहारों की बधाई न देने की पूरी तरह लालायित बनें, क्योंकि यह उनकी समानता अपनाने और नकल करने के अंतर्गत आता है, जिसका मतलब उनके बातिल (झूठ) पर उन्हें मान्यता देना है, और बेहतर होगा कि आपके परिवार इस बात को जान लें कि आप उनका जवाब क्यों नहीं देती हैं, ताकि वे बार बार फोन न करें . . तथा आप अल्लाह से धर्म पर स्थिरता और दृढ़ता का प्रश्न करें। अल्लाह तआला आपको उस चीज़ की तौफीक़ प्रदान करे जिस से वह प्यार करता और प्रसन्न होता है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
काफिरों के त्यौहारों (धार्मिक समारोहों) में भाग लेने का हुक्म
मैं ने बहुत से मुसलमानों को देखा है कि वे क्रिसमस और कुछ दूसरे समारोहों और त्यौहारों में शामिल होते हैं। क्या क़ुर्आन व हदीस से कोई प्रमाण है जो मैं उन्हें दिखला सकूँ जो इस बात पर तर्क हो कि ये प्रथायें अवैध हैं?
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
काफिरों के त्यौहारों में भाग लेना निम्नलिखित बातों के कारण वैध नहीं हैः
सर्व प्रथम : यह उनकी छवि अपनाना और नक़्ल करना है, और "जिस ने किसी क़ौम की छवि अपनाई वह उसी में से है।" इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। (यह एक गंभीर चेतावनी है), अब्दुल्लाह बिन अल-आस कहते हैं : जिस ने मुश्रिकों की धरती पर निर्माण किया, उन का नीरोज़ (नव वर्ष दिवस) और उन के त्यौहारों को मनाया और उनकी छवि अपनाई, वह क़ियामत कि दिन घाटे में होगा।
दूसरा : उनके त्यौहारों और समारोहों में शामिल होना उन के साथ मित्रता और प्रेम का एक प्रकार है, अल्लाह तआला का फरमान है : "तुम यहूदियों और ईसाईयों को दोस्त न बनाओ, यह तो आपस में ही एक दूसरे के दोस्त हैं, तुम में से जो कोई भी इन से दोस्ती करे तो वह उन में से है, ज़ालिमों को अल्लाह तआला कभी भी हिदायत नहीं देता।" (सूरतुल माईदा : 51)
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : "हे वे लोगो जो ईमान लाये हो! मेरे और अपने दुश्मनों को अपना दोस्त न बनाओ, तुम तो दोस्ती से उनकी ओर संदेश भेजते हो और वे उस सच को जो तुम्हारे पास आ चुका है इंकार करते हैं, रसूल को और स्वयं तुम को भी केवल इस वजह से निकालते हैं कि तुम अपने रब पर ईमान रखते हो, अगर तुम मेरे रास्ते में जिहाद के लिए और मेरी खुशी की खोज में निकले हो (तो उन से दोस्ती न करो), तुम उन के पास प्रेम का संदेश छिपा-छिपा कर भेजते हो और मुझे अच्छी तरह मालूम है जो तुम ने छिपाया और वह भी जो ज़ाहिर किया, तुम में से जो भी इस काम को करेगा वह बेशक सीधे रास्ते से भटक जायेगा।" (सूरतुल मुम्तहिना : 1)
तीसरा : ईद ( अर्थात त्यौहार) एक धार्मिक और विश्वास (आस्था) से संबंधित मुद्दा है, सांसारिक प्रथा नहीं है, जैसाकि इस हदीस से पता चलता है कि : "हर क़ौम की एक ईद (त्यौहार) है, और यह हमारी ईद (त्यौहार) है।" और उनकी ईद (त्यौहार) एक भ्रष्ट शिर्क और कुफ्र के अक़ीदा (आस्था) को दर्शाती है।
चौथा : अल्लाह तआला के फरमान : "और जो लोग झूठी गवाही नहीं देते, और जब वे किसी व्यर्थ (लग़्व) के क़रीब से गुज़रते हैं तो इज़्ज़त से गुज़र जाते हैं।" (सूरतुल फुरक़ान : 72) की व्याख्या विद्वानों ने मुशरिकों के त्यौहारों से की है। इसी प्रकार उन में से किसी को ईद-कार्ड उपहार में देना, या उसे उनसे बेचना और इसी तरह उन के त्यौहारों की समस्त आवश्यक चीज़ें जैसे रोशनी (लाइट, बत्ती), पेड़, और खाने के पदार्थ न तुर्की मुर्गा और न ही वह मिठाईयाँ जो छड़ी के रूप में बनाई जाती हैं, या इन के अलावा अन्य चीज़ें उनसे बेचना जाइज़ नहीं है।
इसी से मिलते जुलते एक प्रश्न का उत्तर पहले दिया जा चुका है जिस में अधिक जानकारी और विस्तार है, देखिये प्रश्न संख्या : 947.
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
अविश्वासियों के त्योहारों को मनाना निषिध है
क्या ग़ैरमुस्लिमों के त्योहारों में भाग लेना जाइज़ है, उदाहरण के तौर पर जन्मदिवस के त्योहार में ?
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है ।
मुसलमान के लिए काफिरों के त्योहारों में भाग लेना, और उस अवसर पर हर्ष व उल्लास का प्रदर्शन करना और काम-काज को निरस्त कर देना जाइज़ नहीं है, चाहे वे धार्मिक त्योहार हों या सांसारिक। क्योंकि यह अल्लाह तआला के दुश्मनों की समानता अपनाने के अंर्तगत आता है जो कि वर्जित और निषिध है, तथा यह झूठ में उनके साथ सहयोग करने में दाखिल है। और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिस व्यक्ति ने किसी क़ौम (जाति) की समानता (छवि) अपनायी वह उसी में से है।"
तथा अल्लाह सुब्हानहु व तआला का फरमान है :
﴿ وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ ﴾ [المائدة : 2]
"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार पर एक दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरते रहो, नि:संदेह अल्लाह तआला कड़ी यातना देने वाला है।" (सूरतुल माइदा : 2)
तथा हम आप को शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह की किताब (इक़्तिज़ाउस्सिरातिल मुस्तक़ीम) का अध्ययन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि वह इस अध्याय में एक उपयोगी पुस्तक है।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है, तथा अल्लाह तआला हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आपके परिवार तथा साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।
वैज्ञानिक अनुसंधान और फत्वा जारी करने की स्थायी समिति, फत्वा संख्या (2540)
अनेकेश्वरवादियों के त्योहारों में उपस्थित होना और उन्हें उनकी बधाई देना
क्या क्रिश्चियन (ईसाईयों) के त्योहारों के समारोहों में भाग लेना और उन्हें उनकी बधाई देना जाइज़ है ?
उत्तर
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है ।
इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह फरमाते हैं : विद्वानों की सर्वसहमति के साथ मुसलमानों के लिए मुश्रेकीन (अनेकेश्वरवादियों) के त्योहारों में उपस्थित होना जाइज़ नहीं है। तथा चारों मतों के अनुयायी फुक़हा (धर्मशास्त्रियों) ने अपनी पुस्कतकों में इसको स्पष्ट रूप से वर्णन किया है ... तथा बैहक़ी ने सहीह इसनाद के साथ उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : "मुश्रेकीन के त्योहारों में उनके चर्चों में उनके पास न जाओ, क्योंकि उन पर क्रोध बरसता है।" तथा उमर रज़ियल्लाहु ने यह भी फरमाया : "अल्लाह के दुश्मनों से उनके त्योहारों में दूर रहो।"
तथा बैहक़ी ने अच्छी सनद के साथ अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : "जो आदमी गैर अरब के देशों से गुज़रा, फिर उनके नीरोज़ और महरजान को किया और उनकी समानता अपनाई यहाँ तक कि उसकी मृत्यु हो गई और वह उसी तरह था तो वह क़ियामत के दिन उन्हीं लोगों के साथ उठाया जायेगा।" अहकामो अह्लिज़्ज़म्मा (1/723-724) से समाप्त हुआ।
जहाँ तक उन्हें उनके त्योहारों की बधाई देने का संबंध है तो इसका उत्तर प्रश्न संख्या (947) में बीत चुका है। अत: हम प्रश्नकर्ता को उसे देखने की सलाह देते हैं।
शैख मुहम्मद सालेह अल मुनज्जिद
शैख मुहम्मद सालेह अल मुनज्जिद