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ईश्वर क़ुरआन में कहता है:





"या फिर उसका उदाहरण ऐसा है जैसे एक गहरे समुद्र के अंधेरे के ऊपर लहरे, उसपर और लहरे और उसके ऊपर बादल। अंधेरे पर अंधेरा छाया हुआ है। यदि आदमी अपना हाथ निकाले तो वह उसे भी न देख पाए..." (क़ुरआन 24:40)





यह छंद गहरे समुद्रों और महासागरों में पाए जाने वाले अंधेरे के बारे में बताता है, जहां आदमी यदि अपना हाथ बहार निकाले तो वह उसे भी नहीं देख सकता। गहरे समुद्रों और महासागरों में अंधेरा लगभग 200 मीटर और उसके नीचे की गहराई के बाद होता है। इस गहराई के बाद लगभग कोई रोशनी नही होती (चित्र 1 देखें)। और 1000 मीटर की गहराई के बाद बिलकुल ही रोशनी नही होती।[1]  पनडुब्बियों या विशेष उपकरणों के बिना आदमी चालीस मीटर से अधिक डुबकी नही लगा सकता। 200 मीटर की गहराई पर महासागरों के गहरे अंधेरे हिस्से में आदमी बिना किसी सहायता के जीवित नही रह सकता।





 





चित्र 1: 3 से लेकर 30 प्रतिशत सूर्य का प्रकाश समुद्र की सतह पर परावर्तित होता है। इसके बाद प्रकाश स्पेक्ट्रम के नीले रंग को छोड़कर लगभग सभी सात रंग पहले 200 मीटर में एक के बाद एक खत्म हो जाते हैं। (महासागर, एल्डर और पेरनेटा, पृष्ठ 27)


 





वैज्ञानिकों ने हाल ही में विशेष उपकरणों और पनडुब्बियों की सहयता से इस अंधेरे की खोज की है, जिसने उन्हें महासागरों की गहराई में डुबकी लगाने में सक्षम बनाया है।





हम पिछले छंद के इन वाक्यों "...एक गहरे समुद्र के अंधेरे के ऊपर लहरे हैं, उसपर और लहरे हैं और उसके ऊपर बादल हैं...” से भी समझ सकते हैं कि समुद्रों और महासागरों का गहरा पानी लहरों से ढका हुआ है, और इन लहरों के ऊपर अन्य लहरें हैं। यह स्पष्ट है कि लहरों की दूसरी सतह समुद्र के सतह की वो लहरें हैं जिन्हें हम देखते हैं, क्योंकि छंद मे बताया गया है कि दूसरी लहरों के ऊपर बादल हैं। लेकिन पहली लहरों का क्या? वैज्ञानिकों ने हाल ही में पता लगाया है कि आंतरिक लहरे हैं जो "विभिन्न घनत्वों की परतों के बीच घनत्व इंटरफेस पर होती हैं।"[2] (चित्र 2 देखें)।





 





चित्र 2: विभिन्न घनत्वों के पानी की दो परतों के बीच इंटरफेस पर आंतरिक लहरें। एक घना है (निचला वाला), दूसरा वाला कम घना है (ऊपरी वाला)। (समुद्र विज्ञान, ग्रॉस, पृष्ट 204)


 


आंतरिक लहरें समुद्रों और महासागरों के गहरे पानी को ढक लेती हैं क्योंकि गहरे पानी का उनके ऊपर के पानी की तुलना में अधिक घनत्व होता है। आंतरिक तरंगें सतही तरंगों की तरह कार्य करती हैं। ये सतही लहरों की तरह टूट भी सकते हैं। मानव आंतरिक लहरों को नही देख सकते, लेकिन कहीं भी तापमान या पानी के खारेपन के बदलाव का अध्ययन करके इनका पता लगाया जा सकता है।[3]



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