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ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है:





"और (ऐ मुहम्मद) उन लोगों को खुशखबरी दे दो जिन्होंने विश्वास किया और अच्छे काम किए, कि उनके पास ऐसे बगीचे (स्वर्ग) होंगे जिनमें नदियां बहती हैं ..." (क़ुरआन 2:25)





ईश्वर ने यह भी कहा है:





"दौड़ो और एक-दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश करो अपने ईश्वर की क्षमा और उस स्वर्ग के लिए जिसकी चौड़ाई आसमान और जमीन की चौड़ाई के बराबर है, जो उन लोगों के लिए बनाई गई है जो ईश्वर और उसके पैगंबरो पर विश्वास करते हैं ..." (क़ुरआन 57:21)





पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने हमें बताया कि स्वर्ग के निवासियों में सबसे निचले श्रेणी के पास इस दुनिया से दस गुनी बड़ी दुनिया होगी,[1] और जो कुछ भी वह चाहेगा उसके पास दस गुना होगा।[2] इसके अलावा पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "पैर के आकार के बराबर स्वर्ग की एक जगह दुनिया और इसकी चीज़ों से बेहतर होगी।"[3] उन्होंने यह भी कहा: "स्वर्ग में ऐसी चीजें हैं जिन्हें किसी आंख ने नहीं देखा होगा, न किसी कान ने सुना होगा, और न ही किसी मनुष्य ने सोचा होगा।"[4] उन्होंने यह भी कहा: "दुनिया का सबसे दुखी आदमी जो स्वर्ग में जाने वाला होगा उसको एक बार स्वर्ग में डुबकी लगवाई जाएगी। और फिर उससे पूछा जाएगा, 'आदम के पुत्र, क्या तुमने कभी किसी दुख का सामना किया है? क्या तुमने कभी किसी कठिनाई का अनुभव किया?' तो वह कहेगा, 'नहीं, ईश्वर की कसम, हे ईश्वर! मैंने कभी किसी दुख का सामना नहीं किया, और मैंने कभी किसी कठिनाई का अनुभव नहीं किया।'”[5]





यदि आप स्वर्ग में जाते हैं तो आप बीमारी, दर्द, उदासी या मृत्यु के बिना एक बहुत ही सुखी जीवन व्यतीत करेंगे; ईश्वर आपसे प्रसन्न होंगे; और आप सदा वहीं रहोगे। ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है:





"लेकिन जिन लोगों ने विश्वास किया और अच्छे काम किए, हम उन्हें उन बगीचों (स्वर्ग) में डालेंगे जिनमें नदियां बहती हैं, जिनमे वो हमेशा रहेंगे..." (क़ुरआन 4:57)


ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है:





"जिन लोगों ने ईमान नहीं लाए और बिना ईमान लाए ही मर गए, तो उनमें से किसी को भी छुड़ाने के लिए अगर कोई एक सोने से भरा पहाड़ भी दे दे, तो भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्हें दर्दनाक अज़ाब (सज़ा) मिलेगी, और उनका कोई मददगार भी नहीं होगा।” (क़ुरआन 3:91) 





तो, यह जीवन हमारे लिए स्वर्ग में जाने और नरक की आग से बचने का एकमात्र मौका है, क्योंकि अगर कोई बिना ईमान लाए ही मर जाता है, तो उसके पास इस दुनिया में ईमान लाने के लिए वापस आने का दूसरा मौका नहीं होगा। जैसा कि ईश्वर ने क़ुरआन में कहा है कि क़यामत के दिन अविश्वासियों के साथ क्या होने वाला है।





"यदि आप देख सकते हैं कि जब वे नरक के आग के सामने रखे जाएंगे और तब कहेंगे," क्या हम (दुनिया में) लौट सकते हैं! तो हम अपने ईश्वर की आयतों को नहीं झुठलाएंगे, बल्कि ईमान वालों में से होंगे!” (क़ुरआन 6:27)





लेकिन यह दूसरा मौका किसी के पास नहीं होगा।





पैगंबर मुहम्मद ने कहा: दुनिया का सबसे खुशहाल आदमी जो गुनहगार पाया गया, उसे एक बार कयामत के दिन नरक के आग में डुबोया जाएगा। ईश्वर की दया और आशीर्वाद उस पर हो सकता है। तब उस से पूछा जाएगा, 'आदम के पुत्र, क्या तुमने कभी कोई अच्छा देखा? क्या तुमने कभी किसी आशीर्वाद का अनुभव किया?' तो ईश्वर की ओर से वह कहेगा, हे प्रभु 'नहीं!’”[1]





इस दुनिया के निर्माता और पालनकर्ता की आज्ञाओं के प्रति समर्पण से ही वास्तविक ख़ुशी और शांति मिल सकती है। ईश्वर क़ुरआन में कहता है:





"वास्तव में, ईश्वर को याद करने से दिलों को आराम मिलता है।" (क़ुरआन 13:28)





दूसरी ओर जो क़ुरआन से मुंह मोड़ता है, उसका जीवन इस दुनिया में कठिन हो जाता है। ईश्वर कहता है:





"लेकिन जो कोई क़ुरआन से मुंह मोड़ेगा,[1] उसका जीवन कठिन होगा, और हम उसे क़यामत के दिन अन्धा कर देंगे।" (क़ुरआन 20:124)





इस से यह समझा जा सकता है कि क्यों कुछ लोग आत्महत्या करते हैं जबकि वो पैसो से खरीदी हुई सभी भौतिक चीज़ों का आनंद ले रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, कैट स्टीवंस (जो अब यूसुफ इस्लाम है) को देखें, जो पहले एक प्रसिद्ध पॉप गायक थे, वह कभी-कभी एक रात में 150,000 डॉलर से अधिक कमा लेते थे। इस्लाम अपनाने के बाद, उन्हें सच्ची खुशी और शांति मिली जो उन्हें भौतिक सफलता में नहीं मिली थी।[2]








 



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